सुल्तानगंज (भागलपुर)। सुल्तानगंज स्थित प्रसिद्ध अजगवीनाथ मंदिर में स्थापित मनोकामना शिवलिंग के दर्शन मात्र से ही सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। सावन में इसपर जलाभिषेक का अलग ही महत्व है। यही कारण है कि देश-विदेश से श्रद्धालु सावन मास में सुल्तानगंज की उत्तरवाहिनी गंगा से जल लेकर पहले अजगवीनाथ के मनोकामना शिवलिंग का अभिषेक करते हैं। उसके बाद 105 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर देवघर पहुंचते हैं।
मंदिर का इतिहास : प्राचीन ग्रंथों में त्रेता युग में भी में भी इस मंदिर का प्रमाण मिलता है। मंदिर में स्थापित शिवलिंग और गर्भ गृह के बगल से एक रास्ता निकला है जो सीधे देवघर जाता है। पूर्व में यहां के पुजारी पूजन के बाद यहां से गंगाजल लेकर देवघर के लिए इसी मार्ग से निकलते थे। यहां के महंत बाबा बैधनाथ के अभिषेक के लिए प्रत्येक दिन गंगाजल लेकर जाते थे। एक दिन भगवान ने दर्शन देते हुए कहा कि अब प्रत्येक दिन यहां आने की आवश्यकता नहीं है। उसके बाद से ही यहां के महंत बैद्यनाथ धाम मंदिर में प्रवेश नहीं करते हैं। शिवरात्रि के वक्त बाबा के तिलकोत्सव में महंत के प्रतिनिधि द्वारा गंगाजल देवघर भेजा जाता है।
मंदिर की विशेषता : मंदिर की दिव्यता अलौकिक है। ग्रेनाइट पत्थर से मंदिर बना है। पहले मंदिर के चारों ओर गंगा बहती थी। अब भी सावन मास के समय मंदिर के पास गंगा पहुंच जाती है। पूर्व में श्रद्धालुओं को बाबा अजगवीनाथ के दर्शन के लिए नाव से जाना होता था। अब पुल बन जाने से सहूलियत हुई है।
अजगवीनाथ मंदिर का इतिहास काफी पुराना रहा है। दूर-दूर से श्रद्धालु बाबा के जलाभिषेक के लिए यहां पहुंचते हैं। बाबा के मनोकामना शिवलिंग पर जलार्पण करने से समस्त बाधाएं दूर होती हैं। इस बार बाबा मंदिर सावन माह में बंद रहेगा। कोरोना काल में सभी लोग सरकार की गाइडलाइन का पालन करें। बाबा सभी का कल्याण करेंगे। – महंत प्रेमानंद गिरी, अजगवीनाथ धाम, सुल्तानगंज
मंदिर काफी प्राचीन है। मंदिर और शिवलिंग के दर्शन के सहित सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। अविरल गंगा से जल उठाकर श्रद्धालु 105 किलोमीटर की यात्रा पर निकलते हैं। कोरोना काल में भक्त घर से ही पूजा अर्चना करें और प्रोटोकाल का पालन करें। – संजीव झा, स्थानीय पुरोहित
Input: Dainik jagran