बिहार में नए साल की खुशियां मनाने के लिए लोग पर्यटन स्थलों के अलावा मंदिरों में जाना अधिक पसंद करता है। राज्य के कुछ प्रमुख मंदिरों में पहली जनवरी को श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बनता है। ऐसे देवस्थलों में गोपालगंज का थावे मंदिर खास अहमियत रखता है। यहां बिहार ही नहीं, उत्तर प्रदेश के कई जिलों से भी लोग दर्शन-पूजन के लिए पहुंचते हैं। थावे में मां दुर्गा का मंदिर है, जहां नवरात्र में खूब भीड़ उमड़ती है। इसके साथ पहली जनवरी के मौके पर भी यहां श्रद्धालुओं का आगमन अधिक होता है। मान्यता है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं की मां सभी मनोकामनाएं पूरा करती हैं।
सिंहासिनी भवानी, थावे भवानी और रहषु भवानी है मां का नाम
गोपालगंज जिला मुख्यालय से करीब छह किलोमीटर दूर सिवान जाने वाले मार्ग पर थावे नाम का एक स्थान है, जहां दुर्गामंदिर थावे वाली का एक प्राचीन मंदिर है। मां थावे वाली को सिंहासिनी भवानी, थावे भवानी और रहषु भवानी के नाम से भक्त पुकारते हैं। ऐसे सालों भर मां के भक्त आते हैं, परंतु शारदीय नवरात्र और चैत्र नवरात्र के समय यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगती है।
असम के प्रसिद्ध शक्तिपीठ कामख्या धाम से जोड़ा जाता है नाता
मान्यता है कि यहां मां अपने भक्त रहषु के बुलावे पर असम के कामख्या स्थान से चलकर यहां पहुची थीं। कहा जाता है कि मां कामाख्या से चलकर कोलकाता (काली के रूप में दक्षिणेश्वर में प्रतिष्ठित), पटना में पटन देवी के नाम से जानी गई, आमी (छपरा जिला में मां दुर्गा का एक प्रसिद्ध स्थान), घोड़ाघाट होते हुए थावे पहुची थीं और रहषु के मस्तक को विभाजित करते हुए साक्षात दर्शन दी थीं। इस मंदिर के पीछे एक प्राचीन कहानी है।
रहषु से मिलने बाघ पर सवार होकर आती थीं मां दुर्गा
जनश्रुतियों के मुताबिक चेरो बंश के मनन सिंह थावे में राजा थे। वे अपने आपको मां दुर्गा का सबसे बड़ा भक्त मानते थे। उनके शासनकाल में राज्य में अकाल पड़ गया और लोग खाने को तरसने लगे। तब थावे में मां कामख्या देवी का एक सच्चा भक्त रहषु रहता था। कथा के अनुसार रहषु मां की कृपा से दिन में कतरा (घास) काटता था। लोक कथाओं में कहा जाता है कि रात में देवी मां सात बाघों पर सवार होकर आती थीं। बाघ ही रहषु के धान की दंवरी करते थे, जिससे मक्सरा धान का चावल निकलता था। अगले दिन सारा चावल इकट्ठा करके जनता जनार्दन में बांट दिया जाता था। इस बात की जानकारी राजा को मिली, परंतु राजा को विश्वास नहीं हुआ।
कोलकाता, पटना और आमी होते हुए थावे पहुंची थीं मां
राजा ने महामंत्री और सेना को आदेश दिया कि रहषु को बंदी बनाकर दरवार में हाजिर किया जाए। रहषु को दरबार में पेश किया गया। राजा ने रहषु को ढोंगी बताते हुए मां को बुलाने को कहा। राजा जिद्दी थे। रहषु ने कई बार राजा से प्रार्थना की अगर देवी मां यहां आएंगी तो राज्य बर्बाद हो जायेगा, परंतु राजा नहीं माने। रहषु की प्रार्थना पर मां कोलकाता, पटना, आमी और घोड़ा घाट होते हुए यहां पहुंची। राजा के सभी भवन गिर गए। देवी मां ने रहषु भक्त का मस्तक फाड़ कर अपने दाहिने हाथ का कंगन दिखा दिया। इसी के साथ राजा-रानी समेत पूरा परिवार खत्म हो गया।
देवी मंदिर से कुछ ही दूरी पर है रहषु भगत का मंदिर
मां ने जहां दर्शन दिया, वहां एक भव्य मंदिर है तथा कुछ ही दूरी पर रहषु भगत का भी मंदिर है। मान्यता है कि जो लोग मां के दर्शन के लिए आते हैं, वे रहषु भगत के मंदिर भी जरूर जाते हैं। मंदिर के आसपास के लोगों के अनुसार यहां के लोग किसी भी शुभ कार्य के पूर्व और उसके पूर्ण हो जाने के बाद यहां आना नहीं भूलते। यहां मां के भक्त प्रसाद के रूप में नारियल, पेड़ा और चुनरी चढ़ाते हैं।
तीन तरफ से जंगलों से घिरा हुआ था मंदिर
मंदिर का गर्भ गृह बहुत पुराना है। तीन तरफ से जंगलों से घिरे इस मंदिर के गर्भ गृह में कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। नवरात्र की सप्तमी को मां दुर्गा की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन भक्त मंदिर में काफी संख्या में पहुंचते हैं। इस मंदिर की दूरी गोपालगंज से छह किलोमीटर है। राष्ट्रीय राजमार्ग 85 के किनारे स्थित मंदिर सिवान जिला मुख्यालय से 28 किलोमीटर दूर है। सिवान थावे से कई सवारी गाड़ियां आती है, जबकि थावे जंकशन से एक किलोमीटर की दूरी पर मंदिर है। थावे जंकशन से मंदिर जाने के लिए ई-रिक्शा मौजूद रहता है। यहां तक कि थावे बस स्टैंड से मंदिर जाने के लिए सवारी हमेशा मौजूद रहती है।
सोमवार और शुक्रवार को अधिक होती है भीड़
वर्तमान में खरमास चढ़ने के कारण दुर्गामंदिर में श्रद्धालुओं का आना कम हो गया है, लेकिन सोमवार और शुक्रवार के दिन खरमास में श्रद्धालु पूजा करने के लिए पहुंच रहे हैं। ऐसे तो कुछ न कुछ तो श्रद्धालु पूजा करने के लिए प्रतिदिन आ रहे हैं। खरमास के चलते यहां सगाई और विवाह का कार्यक्रम बंद है। मंदिर परिसर में हमेशा ही मांगलिक कार्यक्रम होते रहते हैं। मंदिर परिसर के इर्द-गिर्द मांगलिक कार्यक्रम करने के लिए गेस्ट हाउस भी बने हुए हैं।
Source : Dainik Jagran