Home TECH उड़ने वाले मोबाइल टावर की मदद से गावों में पहुंचाई जाएगी इंटरनेट!

उड़ने वाले मोबाइल टावर की मदद से गावों में पहुंचाई जाएगी इंटरनेट!

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टेक्नोलॉजी जगत में नए-नए इनोवेशन की वजह से हर वो चीज मुमकिन होती जा रही है जो हम कभी सपने में सोच करते थे। दुनिया की जानी-मानी कंपनियां Google और Facebook कई सालों से करोड़ों लोगों को इंटरनेट कनेक्टिविटी पहुंचाने के लिए काम कर रही हैं ताकि यूजर्स इंटरनेट कनेक्टिविटी के जरिए दुनिया से संपर्क में रहे। इंटरनेट कनेक्टिविटी को दूर-दराज के गावों तक पहुंचाने के लिए Loon जैसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है।

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CNN की रिपोर्ट के मुताबिक, एक अमेरिकी स्टार्ट-अप कंपनी ने उड़ने वाले मोबाइल टावर (Flying Cellphone Tower) बनाने की कोशिश की है। इस उड़ने वाले मोबाइल टावर में ड्रोन का इस्तेमाल किया गया है जो कि एक डायनिंग टेबल की साइज का है। इसे एक लंबे वायर के साथ जोड़ा गया है। इसे बनाने वालों की मानें तो एक महीने तक ये ड्रोन हवा में उड़ सकता है और इसके जरिए इंटरनेट कनेक्टिविटी दूर-दराज या दुर्गम इलाकों में पहुंचाई जा सकती है।

21वीं सदी में ड्रोन बेस इंटरनेट सर्विस मुहैया कराने की कोशिश सेल्युलर ऑन व्हील्स (COW) के जरिए भी की गई है। Spooky Action इस तरह की Telelift तकनीक के जरिए इंटरनेट कनेक्टिविटी दुर्गम इलाकों में पहुंचाने की कोशिश कर रहा है। इस टेक्नोलॉजी के मुख्य फीचर्स की बात करें तो Telelift कई सप्ताह तक हवा में रहकर इंटरनेट कनेक्टिविटी पहुंचा सकती है। ये तकनीक सेल्युलर ऑन व्हील्स के मुकाबले सस्ती है और टेलिकम्युनिकेशन के लिए एक सहज माध्यम बनकर सामने आ रहा है।

21वीं सदी में ड्रोन बेस इंटरनेट सर्विस मुहैया कराने की कोशिश सेल्युलर ऑन व्हील्स (COW) के जरिए भी की गई है। Spooky Action इस तरह की Telelift तकनीक के जरिए इंटरनेट कनेक्टिविटी दुर्गम इलाकों में पहुंचाने की कोशिश कर रहा है। इस टेक्नोलॉजी के मुख्य फीचर्स की बात करें तो Telelift कई सप्ताह तक हवा में रहकर इंटरनेट कनेक्टिविटी पहुंचा सकती है। ये तकनीक सेल्युलर ऑन व्हील्स के मुकाबले सस्ती है और टेलिकम्युनिकेशन के लिए एक सहज माध्यम बनकर सामने आ रहा है।

Loon टेक्नोलॉजी की बात करें तो Google की पैरेंट कंपनी Alphabet ने इस तकनीक की मदद से कई देशों के दुर्गम क्षेत्रों में इंटरनेट की सुविधा पहुंचाई है। Loon में एक टेनिस कोर्ट की साइज के बैलून को 12 मील की ऊंचाई पर हवा में उड़ाया जाता है। इसकी मदद से 25 मील के रेडियस में इंटरनेट कनेक्टिविटी पहुंचाई जा सकती है। 2018 में इसे केन्या के कुछ क्षेत्रों में इंटरनेट पहुंचाने के लिए इस्तेमाल करने की घोषणा की गई है।

 

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