बीजिंग. चीनी सरकार ने अपने एक और फैसले से तानाशाही और सनक का परिचय दिया है. देश की कम्युनिस्ट सरकार ने हाल में प्राइवेट ट्यूटर्स को यह कहते हुए बैन कर दिया है कि इससे बच्चे विदेशी विचारधारा से प्रभावित हो सकते हैं. अब इसे लेकर देशभर में अभिभावकों ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया है.

विशेषज्ञों का कहना है कि चीनी सरकार ने यह निर्णय प्राइवेट सेक्टर पर निगाह रखने और सरकारी स्कूलों को बढ़ावा देने के लिए किया है. लेकिन इसके पीछे की मंशा ये भी है कि अगर बच्चे सिर्फ सरकारी स्कूलों में पढ़ेंगे तो वो वैसा ही सोच सकेंगे जैसा चीनी सरकार चाहती है. यानी चीनी सरकार की मंशा छोटे बच्चों के मस्तिष्क पर नियंत्रण की है. हांगकांग पोस्ट नाम के अखबार ने कई एक्सपर्ट्स से बातचीत कर चीनी सरकार के निर्णय की तह तक जाने की कोशिश की है.

किसी भी रूप में विदेशी दखल नहीं चाहती चीनी सरकार

माना जा रहा है कि चीनी सरकार नहीं चाहती कि किसी भी रूप में देश के छात्रों को पश्चिमी देशों की विचारधारा का ज्ञान हो. सरकार का मानना है कि प्राइवेट स्कूलों के जरिए बच्चों पर अन्य देशों द्वारा दखल भी दिया जा सकता है.

क्या कह रही है सरकार

हालांकि सरकार द्वारा यह तर्क भी दिया जा रहा है कि सरकारी स्कूलों पर इसलिए जोर दिया जा रहा है जिससे बच्चों पर प्राइवेट स्कूलों में बच्चों पर पड़ रहे दबाव को कम किया जा सके. लेकिन सरकार का ये तर्क लोगों को पच नहीं रहा है.

बता दें कि चीन अपने देश में ऐसे तानाशाही निर्णय लेने के लिए पहले से कुख्यात है. हालांकि हाल ही में चीन ने तीन बच्चों की पॉलिसी लाकर अपनी सख्त निर्णयों में कुछ ढील देने के संकेत दिए हैं. देश में बीते कई दशकों से एक बच्चा नीति लागू थी.

Source : News18

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