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ढिंचैक पूजा ने रिलीज किया अपना नया गाना, सुनते ही लोगों के दिमाग की बत्ती हुईं गुल

गर आप सोशल मीडिया की दुनिया में एक्टिव रहते हैं तो ढिंचैक पूजा को तो बहुत अच्छे से जानते होंगे. जी हां, वही सोशल मीडिया स्टार जिसके गाने सुन लोग अपना माथा पकड़ लेते हैं. ढिंचैक पूजा पिछले कुछ दिनों से सुर्खियों से गायब थी. लेकिन इस बार उन्होंने अपने नए गाने को रिलीज करते ही फिर से सुर्खियां बटोर ली है. पूजा ने इस बार जो गाना रिलीज किया है, उसे सुनते ही लोगों के दिमाग के फ्यूज उड़ गए.
Jaun main plane mein releasing on YouTube
15 sep 2021
Don't forget to watch 😉 pic.twitter.com/R40VwrYjku— Dhinchakpooja (@DhinchakPooja) September 14, 2021
अब सोशल मीडिया पर भी उनका गाना चर्चा का विषय बना हुआ है. इस बार पूजा ने जो गाना गाया है वो है जाऊं मैं प्लेन में. जैसे ही इस गाने को पूजा ने सोशल मीडिया पर शेयर किया तभी से चारों तरफ उनकी चर्चा होने लगी. नतीजतन ट्विटर पर भी कमेंट की भरमार लग गई. एक यूजर ने कहा कि साल का सबसे सुपरहिट गाना फिर से रिलीज हो चुका है. वहीं एक अन्य यूजर ने कहा कि ढिंचैक पूजा के गाने को सुनने के बाद मेरी कोई अंतिम ख्वाहिश नहीं रही. इसके अलावा और भी कई लोगों ने मजेदार कमेंट किए.
— Prayag (@theprayagtiwari) September 14, 2021
जाऊ मैं प्लेन में, हा, हा, जाऊ मैं प्लेन में,
प्लेन मैं दो द्वार आगे, पीछे भी दो द्वार है,
पायलट उड़ाता प्लेन है, एयर होस्टेस उसमें तीन है.
जाऊ मैं प्लेन में, प्लेन की सवारी मस्त है
ढींचक पूजा मेरा नाम है, गाना सुनाके सबको पकाना मेरा काम है। हान हान…. जाऊ मैं प्लेन में x5— Deë Deê (@am_ur_Dopamine) September 14, 2021
Rip that plane
— 𝐒𝐀𝐘𝐄𝐍𝐀🥀 (@say_ena_) September 15, 2021
Me on 15 sep. – pic.twitter.com/iDw2gT989n
— Sanju! (@Sanju_O7) September 14, 2021
— ⌁Yaຮђ⌁ (@_paGal_LADKA__) September 15, 2021
आपको बता दें कि ढिंचैक पूजा ने 14 सितंबर को ट्विटर पर बताया कि उनका नया गाना ‘जाऊं मैं प्लेन में…’ यूट्यूब पर बुधवार को रिलीज हो रहा है, इसके साथ ही उन्होंने अपील की थी उनके नए गाने को देखना ना भूलें. इसके बाद उनके इस ट्वीट पर लोगों ने ऐसे-ऐसे कमेंट किए कि जिन्हें पढ़कर आप भी लोटपोट हो जाएंगे. पूजा के इस नए गाने को लोग सोशल मीडिया पर जमकर शेयर कर रहे हैं.
Source : TV9
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फिल्मी रेस्क्यू: 16 किमी बही, 16 घंटे पानी में गुजारे, नाव में बैठी वह भी पलट गई, फिर भी बची जिंदगी

साहस हो तो मौत को भी मात दी जा सकती है, यह साबित कर दिखाया है, मध्य प्रदेश के विदिशा जिले की सोनम दांगी ने। सोनम पूरी रात नदी में लहरों से जूझती रही। दूसरे दिन उन्हें नदी से निकाले जाते समय रेस्क्यू टीम की नाव पलट जाने से वह दोबारा बह गई। 16 किमी दूर तक बहने के दौरान उन्हें एक लकड़ी का सहारा मिला। वह कहती हैं कि मुसीबत की इस घड़ी में वह ईश्वर के साथ अपने इकलौते 12 वर्षीय बेटे को याद करती रही। बेटे की याद ने उन्हें जिंदगी के लिए संघर्ष करने की ताकत दी। आखिर में वह जिंदगी की जंग जीत गई।
ऐसे हुआ हादसा
रेस्क्यू दल का नेतृत्व करने वाले जिला होमगार्ड के कमांडेंट शशिधर पिल्लई ने बताया कि गुरुवार की शाम जिले के गंजबासौदा निवासी कल्लू दांगी अपनी बहन सोनम को मोटरसाइकिल पर बैठाकर पडरिया गांव (सोनम की ससुराल) से अपने घर आ रहे थे। रास्ते में बेतवा नदी के बर्रीघाट पुल पर उनकी मोटरसाइकिल फिसल गई। इस दौरान सोनम नदी में जा गिरी। कल्लू उनको बचाने के लिए नदी में कूदे, मगर बचा नहीं सके। अंधेरा हो जाने के कारण बचाव अभियान भी नहीं चलाया जा सका। इस दौरान सोनम करीब आठ किमी बहते हुए सिंरोज रोड स्थित निर्माणाधीन पुल के पास पहुंच गई। सोनम ने बताया कि भारी बारिश हो रही थी। बिजली कड़क रही थी। लेकिन, मुझे अपने बेटे का चेहरा याद आ रहा था। मैंने खुद को हिम्मत दी कि मुझे अपने बच्चे के लिए जीना है। इसी सोच के साथ मैंने निर्माणाधीन पुल के पिलर के सरिया को पकड़ लिया और सारी रात ऐसे ही गुजार दी।
ऐसे बची जान
शुक्रवार तड़के पांच सदस्यीय दल ने बचाव अभियान शुरू किया। एक घंटे के भीतर ही नदी में उनको खोज लिया गया। दल ने उनको निकाला और लाइफ जैकेट पहनाकर नाव में बैठाया। इसी दौरान नदी का बहाव तेज होने के कारण नाव पलट गई। दल के सदस्य तैराक होने के कारण किनारे पर पहुंच गए, लेकिन वह नदी में बहती चली गई। इस बार उनको एक लकड़ी का सहारा मिला। पिल्लई ने बताया कि सोनम जब दोबारा बह गईं तो करीब तीन घंटे तक स्थानीय प्रशासन की मदद से उनकी खोजबीन चलती रही। सुबह करीब आठ बजे ग्राम राजखेड़ा के पास ग्रामीणों को वह दिखाई दी। स्थानीय युवाओं ने नदी में उतरकर उनको बचा लिया। उन्होंने करीब 16 घंटे तक जिंदगी के लिए संघर्ष किया।
Source : Dainik Jagran
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उम्र- 3 साल, रिकॉर्ड- 5 मिनट में क्यूब सॉल्विंग, भारत की बेटी का कमाल

अमूमन 2 या 3 साल के बच्चे से आप क्या उम्मीद कर सकते हैं. यही कि वह ठीक से चले दौड़े, बात करे. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे लिटिल मास्टर की कहानी बता रहे हैं जो 3 साल की उम्र में अपने नाम पर रिकॉर्ड दर्ज करा चुकी है.
दिल्ली के विवेक विहार की रहने वाली दिविशा विशाल भंसाली ने 3 साल की उम्र में यंगेस्ट क्यूब सॉल्वर का अवार्ड अपने नाम किया है. इसमें उन्होंने थ्री लेयर्ड , टू वे और प्राइमेक्स क्यूब को सुलझा कर यंगेस्ट क्यूब सॉल्वर बन गई हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि दिविशा ने यह रिकॉर्ड केवल 5 मिनट में बनाया है. इंडियन क्यूब एसोसिएशन के मुताबिक इससे पहले जिस बच्चे ने रिकॉर्ड बनाया था उसने लगभग 3 घंटे का समय लिया था लेकिन दिविशा ने मात्र पांच मिनट में कैसा कर सबको हैरान कर दिया है.
दिविशा की मां आरती बताती हैं कि उन्हें खुद को क्यूब सॉल्व करने का पहले से ही शौक था. वह चाहती थीं कि उनकी बेटी शुरुआत से ही शार्प रहे इसलिए उन्होंने उसे 2 साल की उम्र से ही पढ़ाई के बेसिक सिखाना शुरू कर दिया था. आरती बताती हैं कि 1 दिन पढ़ते-पढ़ते दिविशा ने जब क्यूब को टटोला तब उसकी रुचि बढ़ती गई. बस इसी के बाद दिविशा की मां को ख्याल आया कि वह अपनी बेटी को भी क्यूब सॉल्विंग के गुर सिखाएंगी. वे बताती हैं कि उन्होंने महज 40 दिन में इसे क्यूब सिखाया और आज परिणाम आपके सामने हैं.
दिविशा के पिता विशाल भंसाली बताते हैं कि यह क्यूब सॉल्व करना कोई आम बात नहीं है. इसमें 20 मैथमेटिकल कैलकुलेशंस लगते हैं. इसीलिए किसी आम इंसान के लिए इसे 5 मिनट में सॉल्व कर देना बेहद कठिन है. विशाल बताते हैं कि उन्हें अपनी बेटी पर बहुत गर्व है कि उन्होंने सबसे कम समय में इतनी कम उम्र में यह रिकॉर्ड अपने नाम पर दर्ज करवाया है.
Source : Aaj Tak
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रक्षाबंधन पर अनोखी तस्वीर, बहन ने शहीद भाई की प्रतिमा पर राखी बांधी

राजस्थान में भाई की कलाई पर राखी बांधती एक बहन की तस्वीर वायरल हो गई. दरअसल बहन ने देश के लिए शहीद होने वाले अपने भाई को राखी बांधी थी, जिसे वेदांत बिड़ला ने सोशल मीडिया पर शेयर की, जिसके बाद ये फोटो वायरल हो गई.
वेदांत बिड़ला ने लिंक्डइन पर शहीद भाई को राखी बांधने की फोटो एक पोस्ट के साथ शेयर की थी. लेकिन, भाई कोई जवाब नहीं देता. राजस्थान में लगी ये मूर्ति शहीद गणपत राम कदवास की मूर्ति है, जो एक बहादुर थे, जिन्होंने जम्मू और कश्मीर में दुश्मनों से लड़ते हुए अपनी जान दे दी. वेदांत बिड़ला ने लिखा कि शहीद भाई की प्रतिमा की कलाई राखी बांधते हुए और रक्षा के सार का सम्मान करते हुए देखा जा सकता है.
जोधपुर के खुदियाला में लगी है मूर्ति
बिड़ला ने लिखा, “यह वही है जो भारत को अविश्वसनीय बनाता है. दुख और गर्व का क्षण. भाई को खोने का दुख और गर्व है कि उन्होंने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया. वह रक्षा बंधन के रूप में भावनात्मक अशांति से गुजर रही होगी, वह अपने भाई की कलाई पर राखी नहीं बांध पाएगी. इसलिए वह इसे उनकी मूर्ति पर बांधती है. शहीद गणपत राम कदवासरा जोधपुर के ओसियां इलाके के खुदियाला गांव के रहने वाले थे. वह जाट रेजीमेंट से थे. गणपत राम 24 सितंबर 2017 को जम्मू-कश्मीर में दुश्मनों से लड़ते हुए शहीद हो गए.”
800 किमी से आती है बहन
उनकी पोस्ट ने कई लोगों के दिल को छुआ. देश को बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डालने के लिए सेना के जवानों को धन्यवाद दिया. ऐसे ही राजस्थान के फतेहपुर में एक बहन अपने शहीद भाई की प्रतिमा को राखी बांधने के लिए 800 किमी की यात्रा करके हर साल आती है. शहीद भाई धर्मवीर सिंह शेखावत की प्रतिमा को राखी बांधने के लिए उसकी बहन उषा कंवर अहमदाबाद से इतना लंबा सफर करती है. बता दें की धर्मवीर सिंह कश्मीर के लाल चौक में तैनात थे, जहां साल 2005 में हुए आंतकी हमले में वो शहीद हो गए थे.
Source : Aaj Tak
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