तबादले के लिए सिफारिश कल्चर के खिलाफ केंद्र सरकार सख्त हो गई है. राजनीतिक मदद के जरिए आईएएस अधिकारियों के इंटर कैडर ट्रांसफर को लेकर सरकार ने गंभीरता दिखाई है और एक मेमोरेंडम जारी किया है. इसमें चेतावनी देते हुए कहा गया कि ऐसा करना मौजूदा नियमों का उल्लंघन है और इसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है. कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने 3 दिसंबर को ऑफिस मेमोरेंडम जारी किया. इस मेमोरेंडम में बताया गया कि सरकारी अधिकारियों ने विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के आउट स्टेशन ऑफिस में अटैच किए जाने को लेकर बड़ी संख्या में व्यक्तिगत और स्वास्थ्य कारणों से इंटर कैडर ट्रांसफर रिक्वेस्ट डाली है.
विभाग ने कहा कि यह सभी रिक्ववेस्ट केंद्रीय सचिवालय में तैनात अस्सिटेंट सेक्शन ऑफिसर्स ग्रेड के अधिकारियों की ओर से मिली है. मिनिस्टर्स, लोकसभा व राज्यसभा के सांसदों द्वारा इन अधिकारियों के तबादले की रिक्वेस्ट को कई बार भेजा गया है.
विभाग द्वारा जारी मेमोरेंडम के अनुसार, इस तरह का आचरण सीसीएस के रूल 20 (कंडक्ट रूल्स) के खिलाफ है, जिसमें यह कहा गया है कि कोई भी सरकारी अधिकारी अपने हितों के लिए उच्च अधिकारियों पर राजनीतिक या अन्य बाहरी लोगों की मदद से दबाव नहीं डाल सकता है. उच्च अधिकारियों ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और कहा है कि इस तरह के सभी मामले अनुशासनात्मक कार्रवाई की श्रेणी में आते हैं.
सिफारिश कल्चर आम बात
सीनियर ब्यूरोक्रेट्स के मुताबिक, तबादले के लिए सरकारी हस्तक्षेप या मदद हर सरकार में बड़े पैमाने पर होती है. जबकि जूनियर से लेकर सीनियर अधिकारियों के लिए इस बारे में नियम स्पष्ट हैं और यह अनुचित है. इस बारे में कई बार राजनीतिक लोगों की ओर से मौखिक रूप से अनुरोध किया जाता है लेकिन पेपर पर कुछ नहीं होता है.
पंजाब कैडर के 1984 बैच के आईएएस अधिकारी केबीएस सिधू, जो कि हाल ही में पंजाब के स्पेशल चीफ सेक्रेटरी के पद से रिटायर हुए हैं उन्होंने News18 से कहा कि अखिल भारतीय सेवाओं में यह नियम शुरुआत से ही अस्तित्व में है. हालांकि इसका पालन करने के बजाय इसका उल्लंघन ज्यादा होता है. केबीएस सिधू ने कहा कि इस नियम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सिविल सर्वेंट नेताओं का समर्थन प्राप्त करके अपनी तटस्थता और निष्पक्षता से समझौता न करे.
रिटायर्ड सिविल सर्वेंट केबीएस सिधू ने आगे कहा कि, जबकि विधायक व सांसद इस बारे में लिखित अनुशंसा कर सकते हैं लेकिन फोन पर सिफारिश का कल्चर आम हो गया है. मंत्रालय द्वारा जारी मेमोरेंडम ऐसे मामलों पर अंकुश लगा सकता है हालांकि ऐसी प्रथा को समाप्त करना थोड़ा मुश्किल लगता है.
Source : News18
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