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दिल्ली AIIMS में CM नीतीश की आंखों का इलाज, सियासत के सवाल- आंख दिखाने गए या फिर…?

पटना. पिछले कुछ समय से ऐसी खबरें लगातार आ रही हैं कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Government) में कुछ और मंत्री शामिल हो सकते हैं. यानी मोदी कैबिनेट का जल्द विस्तार हो सकता है. ऐसे में राजनीतिक तौर पर देश के सबसे संवेदनशील प्रदेशों में से एक बिहार में हलचल तेज है. इन सब कयासबाजियों के बीच सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) का वर्तमान दिल्ली दौरा भी सुर्खियों में है. मंगलवार को दिल्ली दौरे पर पहुंचे सीएम नीतीश ने बताया था कि उनकी आंख की सर्जरी दिल्ली एम्स में होगी. गुरुवार को एक तो तीन-चार दिनों बाद दूसरी आंख का भी ऑपरेशन होगा, लेकिन सियासी जानकारों की नजरों से देखें तो सीएम नीतीश के ‘आंख दिखाने’ के सियासी मायने भी हैं. माना जा रहा है कि सीएम नीतीश कुमार इस बार पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को ‘आंख दिखाने’ गए हैं.
दरअसल, बिहार के सियासी गलियारे में बड़ा सवाल तो यही है कि क्या इसमें जेडीयू भी शामिल होगी? अगर हां तो नए चेहरे कौन होंगे? भाजपा में क्या कुछ चल रहा है? वहीं, विपक्ष सवाल पूछ रहा है क्या मंत्रिमंडल में सांसदों की संख्या के अनुपात में JDU को भागीदारी मिलेगी? बिहार के सियासी गलियारे में यही चर्चा है कि दिल्ली दौरे में नीतीश कुमार PM नरेंद्र मोदी से मिल सकते हैं और JDU कोटे से केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने वालों का नाम दे सकते हैं. हालांकि, इस मसले पर सीएम नतीश कुमार के करीबी माने जाने वाले जेडीयू में ही दो अलग-अलग नेताओं की बातें सामने आई हैं.
जेडीयू के दो नेताओं की दोहरी बात
मुंगेर से जदयू के सांसद ललन सिंह ने यह साफ कहा है कि इस बार सीएम नीतीश निजी यात्रा पर दिल्ली गए हैं और उन्हें अपनी आंखों का इलाज कराना है. CM नीतीश के दिल्ली दौरे से मंत्रिमंडल विस्तार का कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि यह PM नरेंद्र मोदी का विशेषाधिकार है कि मंत्रिपरिषद का कब विस्तार किया जाए. मंत्रियों के नाम चयन में भी किसी का हस्तक्षेप नहीं हो सकता. जब PM मोदी को लगेगा तभी मंत्रिमंडल विस्तार होगा. हालांकि, इससे पहले JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने साफ कर दिया था कि इस बार JDU केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हो सकती है.
सियासी गलियारे में यह भी है चर्चा
सियासी गलियारे में तो अब भी यही चर्चा चल रही है कि नीतीश कुमार की तरफ से तीन नामों का प्रस्ताव केंद्र को जा सकता है. इनमें ललन सिंह, आरसीपी सिंह के अलावा संतोष कुशवाहा के बारे में अटकलें लगाई जा रही हैं. बता दें कि JDU ने 2019 में (जब बीजेपी दोबारा सत्ता में आई थी) नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली कैबिनेट का हिस्सा बनने के ऑफर को ठुकरा दिया था. कहा जाता है कि नीतीश कुमार ने संख्या के आधार पर मंत्रिमंडल में आनुपातिक भागीदारी मांगी थी, जिस पर भाजपा तैयार नहीं हुई थी. माना जा रहा है है कि जेडीयू को एक मंत्री पद ही दिया जा रहा था.
यूपी चुनाव पर भी है भाजपा की नजर
भाजपा की ओर से भी एक नाम भेजे जाने की चर्चा है. वहीं, कयास यह भी है कि भाजपा के ही एक मंत्री को ड्रॉप किया जा सकता है. हालांकि, अभी तक इस बात का खुलासा नहीं हुआ है कि वह एक मंत्री कौन होगा. राजनीतिक जानकार बताते हैं कि भाजपा मोदी मंत्रिपरिषद विस्तार में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव को ध्यान रखेगी इस वजह से बिहार के एक मंत्री ड्रॉप कर यूपी के किसी को मंत्री बनाया जा सकता है. कहा जा रहा है कि यूपी चुनाव में जिस जाति का समीकरण फिट बैठता है, उस जाति के नेता को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है.
चिराग की दो टूक पर बीजेपी की असमंजस
इस सियासी हलचल के बीच कयास तो यह भी लगाए जा रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोजपा कोटे से भी किसी एक सांसद को मंत्री बना सकते हैं. वह कौन होगा, यह अभी भविष्य के गर्त में है. हालांकि, इस पर चिराग पासवान ने अपनी प्रतिक्रिया जाहिर कर दी है. चिराग पासवान ने साफ तौर पर कहा है कि अगर बीजेपी अगर उनके चाचा पशुपति कुमार पारस को बतौर एलजेपी सांसद केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह देगी तो यह उन्हें स्वीकार नहीं होगा. अगर पशुपति पारस को निर्दलीय या किसी अन्य दल से मंत्रिमंडल में शामिल किया जाए तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी.
नीतीश के ‘आंख दिखाने’ के सियासी मायने
बहरहाल, सियासी गलियारों में चर्चा के बीच सीएम नीतीश कुमार बुधवार को दिल्ली एम्स पहुंचे और उन्होंने अपनी आंख दिखाई भी. गुरुवार को उनकी आंख का इलाज भी होना है, लेकिन सियासत में इस आंख दिखाने के कई अर्थ निकाले जा रहे हैं और कहा जा रहा है कि 2019 में जिस JDU ने मात्र एक सीट मिलने पर मंत्रिमंडल में शामिल होने से इनकार कर दिया था, आखिर दो साल में ऐसा क्या हो गया जिससे वो उसी मंत्रिमंडल में शामिल होने को बेचैन है? सवाल यह भी है कि क्या इस बार नीतीश भी आर-पार के मूड में हैं? या फिर भाजपा-जदयू के बीच ‘आंख दिखाने’ जैसी कोई बात नहीं बल्कि लोजपा में टूट के बाद सियासत की वर्तमान परिस्थितियों के अनुसार सिर्फ ‘आंखें चार’ करने वाली जैसी कोई बात है?
Source : News18
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गृहमंत्री अमित शाह ने बिहार के सीएम नीतीश से फोन पर की बात

बिहार में नीतीश कुमार के सरकार बदलने की अटकलों के केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की बिहार के मुख्यमंत्री से फोन पर बात हो गई है। अटकलें चल रही हैं कि नीतीश कुमार कई वजहों से बीजेपी से नाराज हैं और एनडीए गठबंधन छोड़कर तेजस्वी यादव की आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन के साथ नई सरकार बना सकते हैं। शुरू से ही यह माना जा रहा था कि बीजेपी नेतृत्व अगर मनाएगा तो नीतीश मान जाएंगे। अब जब अमित शाह और नीतीश कुमार की फोन पर बात हो गई है तो काउंटर अटकल शुरू हो गया है कि बीजेपी और जेडीयू का गठबंधन बना रहेगा।
मंगलवार को पटना में हाई वोल्टेज राजनीतिक मीटिंग हैं। नीतीश कुमार ने जेडीयू के विधायक दल के साथ-साथ सांसदों की भी मीटिंग बुला रखी है। लालू यादव की आरजेडी के विधायक दल की मीटिंग सोमवार को होनी थी लेकिन वो मंगलवार सुबह के लिए टल गई है। कांग्रेस विधायक दल की मीटिंग सोमवार की शाम हो गई है जिसमें भाग लेने प्रदेश के प्रभारी भक्त चरण दास भी पहुंचे हैं। नीतीश की इसी गहमागमी के बीच रविवार को कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से फोन पर बात हुई थी।
बता दें कि पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह के जेडीयू से इस्तीफा देने के बाद बिहार में राजनीतिक हलचल तेज हो गई हैं। हाल ही में जदयू के कुछ नेताओं ने आरसीपी सिंह पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था, जिसके बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। उन्होंने इस्तीफे के बाद कहा कि नीतीश कुमार सात जन्म भी प्रधानमंत्री नहीं बन पाएंगे। आरसीपी के तीखे बयान के बाद जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह ने भी पलटवार करते हुए हमला बोला। उन्होंने कहा कि आरसीपी सिंह का तन जदयू में और मन कहीं और था। ललन सिंह ने आगे कहा कि देर-सबेर आरसीपी सिंह को इस पार्टी से जाना ही था।
आरजेडी के साथ सरकार बनाने की चर्चा
बिहार में आरजेडी और जेडीयू के मिलकर सरकार बनाने की चर्चा जोरों पर है। चर्चा है कि नीतीश कुमार भाजपा का साथ छोड़कर लालू यादव की राजद का हाथ एक बार फिर थाम सकते हैं। हालांकि, राजद के प्रदेश अध्यक्ष ने साफ इनकार कर दिया है कि आरजेडी और जेडीयू का गठबंधन नहीं होगा। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि नीतीश कुमार के साथ हम सरकार नहीं बनाएंगे।
Source : Hindustan
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जनता दरबार में रिश्वत की शिकायत लेकर पहुंचा फरियादी, नीतीश ने जताई नाराज़गी सचिव को किया तलब

बिहार में सियासी गहमागहमी के बाच सीएम नीतीश कुमार सोमवार को जनता के दरबार कार्यक्रम में राज्य के अलग-अलग जिलों से आए शिकायकर्ताओं की शिकायत सुन रहे हैं। जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम में समाज कल्याण विभाग से जुड़ी कई शिकायतें आईं। एक महिला ने सीएम के सामने कहा कि उससे सेविका बहाली को लेकर उनसे रिश्वत की जा रही है। शिकायत सुनने के बाद सीएम नीतीश चौंक गए। उन्होंने पूछा कौन मांग रहा है पैसा।
सीएम नीतीश ने मुख्य सचिव का किया तलब
सोमवार को जनता दरबार में पहुंची एक महिला ने मुख्यमंत्री के सामने कहा कि उससे सेविका बहाली को लेकर पैसे की मांग की जा रही है। सीएम ने पूछा कि कौन मांग रहा है पैसा। जिसके बाद महिला ने बताया कि सीडीपीओ द्वारा पैसे की मांग की जा रही है। महिला की तरफ से घूस की मांग की जाने की बात सुनकर मुख्यमंत्री गुस्सा में आ गए। उन्होंने तुरंत मुख्य सचिव अमिर सुबहानी और अपने प्रधान सचिव को तलब किया। सीएम ने पूछा कि आखिर ये सब क्या हो रहा है। महिला कह रही है कि सीडीपीओ पैसा मांग रहा है। इसको आपलोग तुरंत देखिए। ऐसे मामलों में तत्काल कार्रवाई कीजिए।
मंत्री का लगाया फोन
जनता दरबार में बेगूसराय से आए एक युवक ने सीएम नीतीश कुमार के सामने ने कहा कि योग्य होने के बाद भी विकास मित्र में बहाली नहीं हुई। जिसके बाद सीएम ने कहा कि ये बहाली तो काफी पहले हुई थी, आप अभी शिकायत लेकर आए हैं। जिसपर युवक ने कहा कि सर मैं विकास मित्र के पद के लिए योग्य था लेकिन अन्य लोगों की बहाली कर दी गई। जिसके बाद उन्होंने शिक्षा मंत्री को फोन लगाकर युवक की समस्या बताई और कहा कि इसकी समस्या देख लीजिए।
सीएम नीतीश कुमार सामान्य प्रशासन, स्वास्थ्य, शिक्षा, समाज कल्याण, पिछड़ा एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण, वित्त, संसदीय कार्य,अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण, अल्पसंख्यक कल्याण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, सूचना प्रावैधिकी, कला संस्कृति एवं युवा विभाग तथा श्रम संसाधन विभाग से जुड़ी शिकायतों को सुन रहे थे।
Source : Dainik Jagran
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नीतीश को बिहार के विकास की नहीं, किसी भी तरह सीएम बने रहने की चिंता : चिराग पासवान

बिहार में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। अगले दो दिनों में राज्य में चार महत्वपूर्ण दलों (जेडीयू, आरजेडी, हम और कांग्रेस) के विधायक दल की बैठकें होंगी। इस बीच लोजपा (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने आरोप लगाते हुए कहा है कि नीतीश कुमार को सिर्फ मुख्यमंत्री कैसे बने रहें, इस बात की चिंता है। उन्हें विकास से कोई मतलब नहीं है। जबकि चिराग मॉडल तो विकास का मॉडल है, बिहार की 32 लाख जनता ने हमें सपोर्ट किया। उनका मॉडल क्या है, यह उन्हें बताना चाहिए। चिराग पासवान सोमवार को राजधानी पटना में अपने आवास पर पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे।
बता दें कि जदयू अध्यक्ष ललन सिंह ने रविवार को आरसीपी सिंह पर निशाना साधते हुए कहा था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कद छोटा करने के लिए वर्ष 2020 में षड्यंत्र हुआ था। तब एक मॉडल तैयार किया गया था, जिसका नाम था चिराग पासवान। अब दूसरा चिराग मॉडल तैयार करने का षड्यंत्र था। कुछ लोग जदयू रूपी जहाज में छेदकर इसे डुबाना चाहते थे। हम आभारी हैं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ऐसे लोगों को पहचान लिया। जहाज की मरम्मत करके उसे एकदम ठीक कर दिया है। अब कोई षड्यंत्र यहां चलने वाला नहीं है।
इसी पर पलटवार करते हुए चिराग पासवान ने कहा कि नीतीश कुमार अपना आंख का इलाज कराने दिल्ली जाते हैं। सारण में जहरीली शराब से मौत हो जाती है। आपके राज में एक दिन 10 हत्या होती है, लेकिन आपको बिहार में अपने सरकार का यह फेल्योर नहीं दिखता।
ललन सिंह के बयान कि जदयू डूबता नहीं बल्कि दौड़ता जहाज है पर तंज कसते हुए चिराग पासवाान ने कहा कि पानी में चलने वाला जहाज दौड़ेगा कैसे? क्या उपेंद्र कुशवाहा साल 2020 बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग मॉडल के प्रतीक नहीं हैं? बता दें कि उपेंद्र कुशवाहा उस समय जदयू से अलग चुनाव लड़े और नीतीश कुमार के दल ने बाद में उन्हें जदयू में शामिल कर लिया।
Source : Hindustan
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