स्मार्ट सिटी परियोजना (Smart City Project) की गति धीमी होने के कारण देश भर के 100 शहरों में पटना 62वें स्थान (Patna Ranked 62th) पर है. भोपाल देश के 100 स्मार्ट सिटी में सर्वाधिक पैसा खर्च करने वाला शहर बन गया है. इसके साथ ही दूसरे स्थान पर सूरत और तीसरे स्थान पर इंदौर और अहमदाबाद चौथे स्थान पर है. बिहार के शहरों में पटना के 62वें स्थान के अलावा बिहारशरीफ 70वें, भागलपुर 91वें और मुजफ्फरपुर 99वें स्थान (Muzaffarpur Ranked 99th) पर है.

देशभर के शहरों की सूची में पुदुचेरी का स्थान सबसे नीचे है. इस बार चयनित योजनाओं और खर्च राशि के साथ ही स्थानांतरण के आधार पर स्मार्ट सिटी की रैंकिंग निर्धारित की गई है. देशभर के स्मार्ट सिटी शहरों में 85.56 फ़ीसदी अंक के साथ मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल पहले स्थान पर है, जबकि 21.71 फीसदी फंड ट्रांसफर और 21.24 फीसदी फंड इस्तेमाल कर वह देश भर में पहले पायदान पर है.

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स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत बिहार की राजधानी पटना अब तक 8.18 फीसदी फंड ट्रांसफर और 7.44 फीसदी फंड का इस्तेमाल कर देशभर में 62वें स्थान पर है. पटना को 34.39 फीसदी अंक मिला है. बिहारशरीफ को 28.3% अंक मिला है. बिहारशरीफ 70वें स्थान पर है. यहां 2.48 फंड ट्रांसफर और 5.26 फीसदी  फंड का उपयोग किया गया है. भागलपुर को 15.19 फीसदी अंक मिला है. भागलपुर में 8.4 फीसदी फंड ट्रांसफर और 1.75 फीसदी फंड का इस्तेमाल किया गया है. मुजफ्फरपुर में 2.4 फीसदी फंड ट्रांसफर हुआ है और वहां 3.63 फीसदी फंड का इस्तेमाल किया गया है. इसे कुल मिलाकर 8.13 अंक मिला है.

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कई योजनाएं अधर में


पटना में स्मार्ट सिटी परियोजना 2017 से चल रहा है. केंद्र सरकार द्वारा पटना स्मार्ट सिटी कंपनी लिमिटेड को 194 करोड़ सहित कुल 380 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं. इस राशि में 131 करोड़ रुपये का इस्तेमाल किया जा चुका है. गांधी मैदान में मेगा स्क्रीन बनकर तैयार है. हालांकि, तकनीकी कारणों से इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सका है. पटना में अदालतगंज तालाब के सौंदर्यीकरण का कार्य अब तक अधूरा ही है. इसके अलावा बीर चंद पटेल पथ को स्मार्ट रोड बनाने का काम भी पूरा नहीं हो पाया है. मंदिरी और बाकरगंज नाले को पाटकर स्मार्ट रोड बनाने की योजना भी अधर में लटकी हुई है.

धीमी रफ्तार से पटना की मेयर भी चिंतित


शहर के आधा दर्जन स्कूलों की आधारभूत संरचना बेहतर करने का भी काम आज तक पूरा नहीं हो सका है. इंटीग्रेटेड सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के अंतर्गत सभी होल्डिंग में क्यूआर कोड लगाने की योजना आज तक पूरी नहीं हो पाई है. पटना में तीन दर्जन जनसेवा केंद्र बनाए जाने थे. हालांकि, 9 के भवन तो बन चुके हैं लेकिन अब तक एक भी चालू हालत में नहीं है. इसके अलावा पब्लिक ट्रांसपोर्ट स्टैंड बनाने समेत कई योजनाएं आज भी लंबित हैं. पटना की प्रथम नागरिक और मेयर सीता साहू ने स्मार्ट सिटी की परियोजना के धीमी गति से चलने पर चिंता जताई है. पूर्व उप महापौर और निगम पार्षद विनय कुमार पप्पू ने भी इसे अफसोस जनक करार दिया है.

Source : News18

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