पटना. जिस CAA, NRC और NPR को लेकर विपक्ष पिछले कुछ दिनों से हो-हल्ला कर रहा था और सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) को लगातार टारगेट कर रहा था, नीतीश ने उन सभी हमलों की धार को मंगलवार को विधानसभा सत्र के दूसरे दिन अपने मास्टरस्ट्रोक (Masterstroke) से एक दिन में ही कुंद कर दिया.
CAA पर विपक्ष की बोलती बंद
जिस CAA को लेकर आरजेडी के नेता लगातार हमला कर रहे थे. नीतीश ने उस हमले की धार को ये कहकर कुंद कर दिया कि 2003 में CAA को लेकर बनी स्टैंडिंग कमिटी में लालू प्रसाद भी थे. नीतीश ने कहा कि सीएए का प्रस्ताव 2003 में आया था. तब कांग्रेस के लोगों ने इसका समर्थन किया था. सीएए बनाने वाली कमिटी में लालू प्रसाद भी सदस्य थे. इस कमिटी में NRC पर भी चर्चा हुई थी. जाहिर है नीतीश के इस मास्टरस्ट्रोक के बाद आरजेडी के पास कोई जवाब नहीं बचा.
NRC पर पीएम के बहाने ‘ना’
नीतीश ने NRC पर पीएम नरेंद्र मोदी के ही बयान को पढ़ते हुए बिहार में NRC नहीं लागू करने की बात दोहराई. सीएम नीतीश ने पीएम मोदी के 22 दिसंबर 2019 के दिल्ली में दिए भाषण का हवाला देते हुए कहा कि जब से मेरी सरकार आई है, NRC पर कोई चर्चा नहीं हुई है. उन्होंने ये भी दावा किया कि बिहार में NRC लागू नहीं होगी और इसका प्रस्ताव विधानसभा से पारित भी करवा लिया. नीतीश ने इस मास्टरस्ट्रोक से न सिर्फ विपक्ष, बल्कि बीजेपी को भी साध लिया.
NPR के मुद्दे की निकाली हवा
विपक्ष की ओर से उछाले जा रहे NPR के मुद्दे की भी नीतीश कुमार ने न सिर्फ हवा निकाल दी, बल्कि डिप्टी सीएम सुशील मोदी और बीजेपी नेताओं के सामने मोदी सरकार की ओर से लाए जा रहे NPR के नए फॉर्मेट में तमाम खामियां गिना दी. नीतीश ने NPR को 2010 के प्रारूप में ही लागू करने की बात कही.मोदी सरकार के खिलाफ भी, बीजेपी का साथ भी
नीतीश ने मोदी सरकार के फैसले के खिलाफ जाते हुए भी बीजेपी को साथ रखने की चाल चली. नीतीश ने NPR को लेकर केंद्र सरकार को लिखी गई चिट्ठी का जिक्र करते हुए ये भी बता दिया कि जिस राजस्व विभाग से चिट्ठी भेजी गई, उसके मंत्री बीजेपी के ही विधायक हैं.
प्रस्ताव से किया सबको पस्त
नीतीश ने सदन से NPR और NRC पर सदन से सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कराकर एक तीर से दो निशाना साधा. न सिर्फ विपक्ष को चित कर दिया, बल्कि बीजेपी नेताओं को भी साथ ले लिया. मजबूरी ही सही, प्रस्ताव का साथ देने के बाद बीजेपी नेताओं को अब NRC और NPR पर अलग लाइन लेने का मौका नहीं मिलेगा.
जातीय जनगणना की मांग दोहराई
नीतीश ने न सिर्फ CAA, NRC, NPR जैसे मुद्दों की हवा निकाल दी, बल्कि जातीय जनगणना की मांग कर सियासी बाजी मार ली.
समझिए नीतीश के मास्टरस्ट्रोक के मायने
1. CAA को CM नीतीश का ‘खुल्लमखुल्ला’ समर्थन देकर बीजेपी के साथ दोस्ती की मजबूती पर मुहर लगा दी.
2. NPR और NRC पर नीतीश ने अपनी शर्तों पर चलने का फैसला किया, जिसका साथ बीजेपी ने दिया.
3. केंद्र के फैसले से उलट बिहार में NPR, 2010 के फार्मेट में लागू होगा, फिर भी बीजेपी, नीतीश के साथ.
4. गठबंधन बचाने के लिए जरूरत पड़ने पर नीतीश और बीजेपी दोनों एक कदम पीछे लेने को तैयार हैं.
6. मुस्लिमों को नीतीश ने संदेश दे दिया कि बीजेपी के साथ रहकर भी उनकी बातों का पूरा ख्याल रखेंगे.
7. CAA पर मनमोहन सरकार के दौरान की कमिटी का जिक्र कर विपक्ष के हमले की धार को कुंद कर दिया.
8. NRC लागू नहीं करने और NPR पर प्रस्ताव पारित कर चुनावी साल में विपक्ष को मुद्दाविहीन कर दिया.
चुनावी साल में बिहार की सियासत के माहिर खिलाड़ी माने जाने वाले नीतीश को हरा पाना विपक्ष के लिए आसान नहीं होने वाला है. वहीं बीजेपी भी बखूबी जानती है कि सत्ता में रहने के लिए नीतीश के साथ देने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं. जाहिर है नीतीश कुमार को बिहार की सियासत का चाणक्य यूं ही नहीं कहा जाता है.
Input : News18