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बिहार : मंदार पर्वत जिससे हुआ था समुद्र मंथन, निकले थे 14 रत्न और कालकूट विष

बांका: सभ्यताओं के उत्थान-पतन से ही इतिहास के चेहरे सजते और बिगड़ते हैं. इतिहास निर्माण में पर्वतों और नदियों की विशेष भूमिका रही है. भारत की पहचान पर्वतों और नदियों पर आधारित है. लेकिन विज्ञान की बढ़ती हुई प्रयोगों ने पहचान के मापदंड को ही बदल दिया है. बिहार के बांका जिले के बौंसी-बाराहाट प्रखंड के सीमा पर अवस्थित मंदार पर्वत विश्व-सृष्टि का एकमात्र मूक गवाह है. इतिहास में आर्य और अनार्य के बीच सौहार्द्र बनाने के लिए समुद्र मंथन किया गया था, जिसमें मंदार मथानी के रूप में प्रयुक्त हुआ था.
अपार घर्षण और पीड़ा झेलकर भी उसने सागर के गर्भ से चौदह महारत्न निकालकर मानव कल्याण के लिए संसार को दिया. फिर भी, दुनिया की भूख नहीं मिटी. तब भी लोग पर्वत के अस्तित्व पर उंगलियां उठाने से बाज नहीं आते. इसके शीर्ष पर भगवान मधुसूदन, मध्य में सिद्धसेनानी कामचारिणी, महालक्ष्मी, महाकाली और महासरस्वती के साथ पाद में गणेश की अवस्थिति है, पर्वत पर दुर्गम ऋषि-कुण्ड और गुफाएं हैं, जिसमें सप्तर्षियों का निवास है.
आज भी रहस्य बना हुआ है मंदार
महार्णव (क्षीर सागर) में सोए हुए भगवान विष्णु के साथ भी मंदार मौजूद था और आज भी एक रहस्य बना हुआ है. ब्रहमांड का सबसे वृहताकार शिवलिंग भी यही मंदार है. पुराणों में सात प्रमुख पर्वतों को “कुल पर्वत” की संज्ञा दी गई है, जिनमें मंदराचल, मलय, हिमालय, गंधमादन, कैलाश, निषध, सुमेरु के नाम शामिल हैं. देवराज इंद्र और असुरराज बलि के नेतृत्व में तृतीय मनु तामस के काल में समुद्र मंथन हुआ.
हिन्दू धर्म ग्रंथों में है समुद्र मंथन की कहानी
तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के प्राचीन भारतीय इतिहास एवं संस्कति के सेवानिवृत्त विभागाध्यक्ष डॉ. प्रताप नारायण सिंह और डीएन सिंह कॉलेज भुसिया, रजौन के प्राचार्य सह इतिहास विभागाध्यक्ष डॉ. प्रोफेसर जीवन प्रसाद सिंह ने जानकारी देते हुए कहा कि हिन्दू धर्म ग्रंथों में एक प्रचलित समुंद्र मंथन की कहानी का वर्णन है.
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ऐसा माना जाता है कि दैत्यराज बलि का राज्य तीनों लोकों पर हो गया था. इंद्र सहित देवता गण उससे भयभीत रहते थे. इस परिस्थिति में देवताओं की शक्ति बढ़ाने के लिए भगवान विष्णु ने देवताओं को सलाह दी कि आप लोग असुरों से दोस्ती कर लें और उनकी मदद से क्षीर सागर को मथ कर उससे अमृत निकाल कर उसका पान कर लें.
यह समुंद्र मंथन मंदार पर्वत और बासुकी नाग की सहायता से किया गया, जिसमें कालकूट विष के अलावा अमृत, लक्ष्मी, कामधेनु, ऐरावत, चंद्रमा, गंधर्व, शंख सहित कुल 14 रत्न प्राप्त हुए थे.
हलाहल विष को महादेव ने पिया था
पौराणिक कथाओं के अनुसार समुंद्र मंथन श्रावण मास में किया गया था और इससे निकले कालकूट विष का पान भगवान शिव ने किया था. हालांकि, विष को उन्होंने अपने कंठ में ही रोक लिया था. इसके प्रभाव से उनका कंठ नीला हो गया और वो नीलकंठ कहलाने लगे. विष के प्रभाव को कम करने के लिए सभी देवी-देवताओं ने उन्हें जल अर्पित किया, इसलिए श्रावण मास में भगवान शिव का जलाभिषेक का विशेष महत्व है.
भगवान शिव का निवास स्थान था मंदार
मंदार क्षेत्र के क्षेत्रीय इतिहासकार रविशंकर ने बताया कि पुराणों में वर्णित है कि यह क्षेत्र त्रिलिंग प्रदेश के नाम से जाना जाता था, जिसमें पहला लिंग मंदार, दूसरा बाबा वैद्यनाथ और तीसरा बासुकीनाथ था. मंदार पर्वत के ऊपरी शिखर पर विष्णु मंदिर है और बगल में जैन मंदिर भी है. नीचे काशी विश्वनाथ मंदिर है. भगवान शिव का पहला निवास स्थल मंदार ही था. इसे हिमालय से भी प्राचीन माना गया है. जानकार बताते हैं कि धन्वंतरि के पौत्र देवोदास ने भगवान शिव को मनाकर काशी में स्थापित कर दिया था. इसलिए काशी विश्वनाथ के नाम से भी इसे जाना जाता है.
पुराणों के अनुसार त्रिपुरासुर का भी निवास मंदार क्षेत्र में ही था. भगवान शंकर ने अपने बेटे गणेश के कहने पर त्रिपुरासुर को वरदान दिया था. बाद में भगवान शंकर पर त्रिपुरासुर ने आक्रमण कर दिया. त्रिपुरासुर के डर से भगवान शिव कैलाश पर्वत पर चले गए. फिर वहां से बचकर मंदार में रहने लगे, फिर यहाँ आकर पर्वत के नीचे से भगवान शिव को ललकारने लगे, अंत में देवी पार्वती के कहने पर भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का अंत किया था.
पर्वत के नीचे है सरोवर
बाराहाट के स्थानीय जानकार कुंदन कुमार सिंह ने बताया कि भगवान विष्णु ने मधु कैटभ का वध कर मंदार आर्यों को सौंप दिया और कालांतर में यह भारत का प्रसिद्ध तीर्थ मधुसूदन धाम बन गया. मंदार पर्वत 750 फीट का सुडौल पर्वत है, इसमें पूरब से पश्चिम की ओर अवरोही क्रम में कुल सात श्रृंखलाएं हैं. पर्वत के नीचे पूरब की ओर एक पापहारिणी नामक सरोवर है, जिसका निर्माण 7वीं सदी के उत्तर गुप्तकालीन शासक राजा आदित्य सेन की धर्मपत्नी रानी कोण देवी ने अपने पति की चर्म-व्याधि से मुक्ति उपरांत कराई थी.
पर्वत पर आरोहण के लिए सीढ़ियां बनाई गई हैं. मध्य पर्वत स्थित भगवान नरसिंह गुफा तक जाने के लिए 300 से अधिक सीढ़ियां बनी हुई हैं. इस सीढ़ी का निर्माण मौर्यकाल के राजा उग्रभैरव ने कराया था. इस पर्वत पर नीचे से क्रमश: दुर्गा, काली, सूर्य, महाकाल भैरव, गणेश, बासुकी नाग का रज्जू-चिन्ह, त्रिशिरा मंदिर का भग्नावशेष, दो ब्राह्मी-लिपि का शिलालेख, सीता कुंड, शंख कुंड, आकाश गंगा, हिरण्यकश्यपु गुफा, पाताल का प्रवेश द्वार, मधु का मस्तक, सीता वाटिका, शिवकुंड, सौभाग्य कुंड, धारापतन तीर्थ, कामाख्या-योनि कुंड, कामदेव गुफा, अर्जुन गुफा, शुकदेव मुनि गुफा, परशुराम गुफा, काशी विश्वनाथ लिंग, राम-झरोखा, प्राचीन मधुसूदन मंदिर (1756 से पूर्व) व्यास गुफा, गौतम गुफा, आदि कई दर्शनीय धरोहर है.
रोपवे बन जाने से कम होगी परेशानी
मालूम हो मकर संक्रांति के अवसर पर प्रत्येक वर्ष यहां मेले भी लगते हैं, जहां आसपास के जिले सहित दूर-दूर से लोग भ्रमण करने आते हैं. वैसे तो इस पर्वत पर भ्रमण करने के लिए साल भर देशभर से अनेकों सैलानियों का आना-जाना लगा रहता है, मगर मकर संक्रांति पर इस पर्वत का अलग ही महत्व है. मालूम हो 750 फीट ऊंचे इस मंदार पर्वत पर आज तक लोग सीढ़ियों के सहारे काफी कठिनाइयों का सामना करते हुए चढ़ते-उतरते थे. मगर पर्यटन विभाग की मदद से 7 करोड़ की लागत से नवंबर 2017 से निर्माणाधीन रोपवे के बन जाने के बाद शैलानियों को काफी हद तक अब परेशानियों से बचना पड़ेगा.
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बिहार में चुनाव से पहले फिर होगा बड़ा उलटफेर : प्रशांत किशोर

बिहार में जन सुराज अभियान के तहत समस्तीपुर पहुंचे प्रशांत किशोर ने नई नवेली महागठबंधन सरकार पर जमकर निशाना साधा है। पीके ने नीतीश कुमार पर हमला करते हुए कहा कि बिहार में चुनाव से पहले फिर बड़ा उलटफेर हो सकता है। उन्होंने कहां की मौजूदा सरकार अगर अगले 2 साल में 10 लाख नौकरियां दे देती है तो मै समर्थन में अपना अभियान वापस ले लूंगा। उन्होंने कहा कि जो नियोजित शिक्षक स्कूलों में पढ़ा रहे हैं, उन्हें तो समय पर तनख्वाह दे नहीं पा रही ये सरकार और नई नौकरियां कहां से दे पाएगी।
नीतीश कुमार कुर्सी से नही उठने वाले
प्रशांत किशोर ने कहा, ‘अभी हमको आए हुए 3 महीने ही हुए और बिहार की राजनीति 180 डिग्री घूम गई। अगला विधानसभा चुनाव आते-आते अभी कई बार बिहार की राजनीति घूमेगी। नीतीश कुमार फेवीकॉल लगाकर अपनी कुर्सी पर बैठ गए हैं और बाकी की पार्टियां कभी इधर तो कभी उधर होती रहती है।’
‘ये सरकार जुगाड़ पर चल रही है’
जनता ने इस सरकार को वोट नहीं दिया था। ये सरकार जुगाड़ पर चल रही है, इसे जनता का विश्वास प्राप्त नहीं है।” उन्होंने 2005 से 2010 के बीच एनडीए सरकार के काम की प्रशंसा भी की। इससे पहले हाल ही में बिहार में नीतीश कुमार के पालाबदल पर प्रशांत किशोर ने अहम टिप्पणी की थी, प्रशांत किशोर ने कहा था कि नीतीश कुमार ने 10 सालों में यह छठा प्रयोग किया है। उन्होंने कहा कि इससे उनकी राजनीतिक स्थिति पर भी असर होगा,उन्होंने कहा कि यह संभावनाओं की भी बात है ऐसा नहीं है कि उनका नुकसान नहीं हुआ है, 115 विधायकों वाली पार्टी अब 43 पर आ गई है।
प्रशांत किशोर भी राजनीति में उतरने की कर रहे तैयारी
बिहार में जेडीयू और भाजपा की राहें अलग होने के बाद पार्टी प्रमुख नीतीश कुमार ने महागठबंधन की सरकार में आठवीं बार बिहार के सीएम के तौर पर शपथ ली। वहीं, दूसरी ओर चुनावी रणनीतिकार और नीतीश कुमार के साथ काम कर चुके प्रशांत किशोर भी सक्रिय राजनीति में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। पीके इन दिनों अपनी पार्टी खड़ी करने की तैयारी में जुटे हुए हैं। मई 2022 में शुरू किए गए ‘जन सुराज’ यात्रा के जरिए पीके ने अपनी पार्टी को आकार देना शुरू कर दिया है। उनका दावा है कि वह बिहार को एक ऐसा राजनीतिक विकल्प देने का प्रयास कर रहे हैं जो जाति की राजनीति से ऊपर बिहार के पिछड़ेपन के पीछे के मूल मुद्दों तक पहुंच सके।
Source : Asianet News
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बिहार में चल रहा था फर्जी थाना, चौकीदार से लेकर दारोगा तक सब नकली

बांका. बिहार में फर्जी पुलिसवाले तो पकड़ाते रहे हैं, इस बार पूरा का पूरा एक थाना ही फर्जी पाया गया. यह फर्जी थाना पिछले 8 महीने से इलाके में एक्टिव था और लोगों से पैसे ऐंठ रहा था. आश्चर्य की बात है कि जिला मुख्यालय में चल रहे इस फर्जी थाने की किसी को कानों कान खबर नहीं थी. बता दें कि यह फर्जी थाना बांका शहर के एक निजी गेस्ट हाउस की में चल रहा था.
इस बारे में बांका थानाध्यक्ष ने बताया कि एक गुप्त सूचना के आधार पर किसी अपराधी की गिरफ्तारी के लिए पुलिस गई थी. जब वह छापेमारी कर थाना लौट रही थी तो उसी समय बांका गेस्ट हाउस के सामने सड़क पर एक अनजान महिला और युवक पुलिस ड्रेस में दिखे. शक के आधार पर जब उनसे पूछताछ की गई तो फर्जी थाने का मामला सामने आया. थानाध्यक्ष ने बताया कि गिरफ्तार महिला अनिता खुद को दारोगा बता रही थी और वह बिहार पुलिस के फुल ड्रेसअप में थी. उसके पास से एक अवैध पिस्टल भी बरामद हुआ है. जबकि पकड़े गए दूसरे आरोपी का नाम आकाश कुमार है. वह खुद को थाने का चौकीदार बता रहा था. गिरफ्तार अनिता बांका जिले के फुल्लीडुमर के दुधघटिया की रहने वाली है. उसने बताया कि फुल्लीडुमर के भोला यादव ने दारोगा में भर्ती कर बांका के इस कार्यालय में तैनात किया था.
अपने काम के बारे में अनिता ने बताया कि जहां कहीं भी सरकारी आवास वगैरह बनते थे, वहां जांच करने के लिए वह जाती थी. वहीं, गिरफ्तार आकाश के मुताबिक, भोला यादव को 70 हजार रुपए देकर वह फर्जी थाने में चौकीदार की नौकरी कर रहा था. थानाध्यक्ष के मुताबिक, इस कार्यालय में बहाल सभी कर्मियों को पुलिस वर्दी और अवैध पिस्टल उपलब्ध कराने में फुल्लीडुमर के भोला यादव का नाम मुख्य सरगना के रूप में सामने आ रहा है.
इस मामले की पुष्टि करते हुए एसपी डॉ. सत्य प्रकाश ने बताया कि जालसाजों का यह गिरोह पटना स्कॉर्ट टीम के नाम से बांका में एक कार्यालय संचालित करता था. यहां से पुलिस वर्दी में कुछ संदिग्ध लोगों की गिरफ्तारी हुई है. फर्जी कार्यालय से कुछ कागजात के साथ ही बिहार पुलिस की वर्दी, बैच सहित अन्य सामान जब्त किए गए हैं. एसपी की मानें तो इस गिरोह से जुड़े लोग ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को पुलिस की नौकरी का झांसा देकर पैसे ठगते थे. इस मामले की गहराई से जांच की जा रही है. फिलहाल बांका पुलिस मामले में आगे की कार्रवाई शुरू करते हुए प्राथमिकी दर्ज करने की तैयारी में है.
Source : News18
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कार्तिकेय सिंह के आरोप पर लालू यादव का बयान, बोले.. ऐसा कोई मामला नहीं, झूठे हैं सुशील मोदी

बिहार में महागठबंधन की नई सरकार बनने के कुछ समय बाद ही कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह को लेकर विवाद हो गया। बीजेपी नेता और पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने आरजेडी और नीतीश सरकार पर जमकर हमला बोला है। बिहार में जंगलराज की वापसी के आरोप लगाए हैं। इस पर आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने सुशील मोदी को झूठा करार दिया है। उन्होंने कहा कि ऐसा कोई मामला नहीं हैं। लालू यादव बुधवार शाम को दिल्ली से पटना पहुंच रहे हैं।
दिल्ली स्थित बेटी मीसा भारती के घर से एयरपोर्ट जाते वक्त लालू यादव को मीडियाकर्मियों ने घेर लिया। मीडिया ने उनसे बिहार के मौजूदा राजनितिक घटनाक्रमों पर सवाल पूछे। साथ ही कहा कि सुशील मोदी लगातार उनकी पार्टी पर हमला बोल रहे हैं। इस पर लालू यादव ने कहा, ‘सुशील मोदी झूठा आदमी है। ऐसा कोई मामला नहीं है।’ साथ ही लालू यादव से जब लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि हमें तानाशाही सरकार को हटना है, मोदी को हटाना है।
सरकार बनने के बाद पहली बार पटना आ रहे लालू
बता दें कि लालू यादव बुधवार शाम को विमान के जरिए पटना पहुंच रहे हैं। महागठबंधन सरकार बनने के बाद वे पहली बार बिहार आ रहे हैं। उनके मंगलवार को मंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोह में आने का कार्यक्रम था, लेकिन तबीयत ठीक नहीं होने के चलते वे पटना नहीं पहुंच पाए।
दूसरी ओर, नए कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह उर्फ कार्तिक कुमार को लेकर बिहार की राजनीति गर्माई हुई है। कार्तिकेय सिंह आरजेडी एमएलसी हैं और पूर्व विधायक एवं बाहुबली नेता अनंत सिंह के करीबी माने जाते हैं। उनके आरजेडी चीफ लालू यादव से भी अच्छे संबंध हैं। कार्तिकेय के खिलाफ पटना के बिहटा में राजू बिल्डर के अपहरण का केस दर्ज है।
Source : Hindustan
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