सहरसाः जिले के नौहट्टा प्रखंड के चंद्रायण रेफरल अस्पताल खंडर में तब्दील हो गया लेकिन आज तक कोशी के लोग इसका लाभ नहीं ले सके. इस अस्पताल को 1995 में बिहार सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री रहे लालू प्रसाद ने उद्घाटन किया था. हाल के दिनों में खुद लालू प्रसाद यादव ने भी इसका जिक्र किया था कि उस रेफरल अस्पताल के साथ अनदेखी की गई है.

referral hospital of Saharsa turned into ruins 26 years ago Lalu Prasad Yadav inaugurated

पूर्वी व पश्चमी तटबंध के अंदर बसे लाखों परिवार की सुविधा को ध्यान में रखकर इस अस्पताल का निर्माण करवाया गया था. अगर यह अस्पताल सुचारू रूप से संचालित होता तो 25 वर्षों में गई कितने लोगों की जान बचाई जा सकती थी. कई बार ऐसा हुआ कि स्वास्थ्य केंद्र तक आते-आते मरीजों की जान चली गई. यहां एक आयुष चिकित्सक और पांच जीएनएम कार्यरत हैं.

जुआ खेलने वालों का अड्डा बना रेफरल अस्पताल

एक ग्रामीण रमन कुमार ने बिहार सरकार पर ही सवाल खड़ा कर दिया. रमन ने कहा कि आरजेडी द्वारा इस अस्पताल का उद्घाटन किया हुआ था शायद इसलिए सुशाशन बाबू अनदेखी कर रहे हैं. अस्पताल का हालत ऐसी है कि मरीजों के लेटने वाला वाला बेड टूट गया है. जर्जर भवन जुआ खेलने वालों का अड्डा बन गया है.

गंभीर मरीजों को भेजना पड़ता है सहरसा

रेफरल अस्पताल में कार्यरत डॉ. बुद्धदेव टुड्डू ने बताया कि पांच वर्षों से यहां वे पदस्थापित हैं. भवन की हालत इतनी जर्जर है कि डर बना रहता है. यहां किसी तरह की अतिरिक्त सुविधा नहीं है. यहां से जो अत्यधिक गंभीर मामले आते हैं उनको तुरंत रेफर कर दिया जाता है. कोरोना की जांच हो रही है और कभी-कभी वैक्सीन भी यहां दी गई है.

अस्पताल में कार्यरत जीएनएम अनिता कुमारी ने कहा कि यहां साधारण दवाई उपलब्ध है. किसी तरह काम चलाते हैं. यहां पेट दर्द, सर्दी, खांसी या साधारण बुखार होने पर जांच के बाद दवा दी जाती है. गंभीर मामला आता है तो सहरसा रेफर कर दिया जाता है.

Source : ABP

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