MUZAFFARPUR
मुजफ्फरपुर केंद्रीय कारा में विदेशी और मुस्लिम महिला समेत 200 बंदियों ने किया छठ

लोक आस्था के महान पर्व छठ का समापन गुरुवार को उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही संपन्न हो गया. सूर्योपासना के इस महान पर्व में आम से लेकर खास लोगों तक की सहभागिता दिखी. इस कड़ी में बिहार के कई जेलों में बंद कैदियों ने भी इस व्रत का अनुष्ठान किया. बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित जेल में तो एक विदेशी कैदी ने भी भगवान भास्कर के प्रति अपनी आस्था दिखाते हुए छठ किया. जिला के शहीद खुदी राम बोस केंद्रीय कारा में छठ महापर्व मनाया गया, जहां नाइजीरियन नागरिक ने भी व्रत का अनुष्ठान किया.
जेल प्रशासन की ओर से इसके लिए पूरी तैयारी की गयी थी. जेल परिसर स्थित पोखर में घाट बनाया गया था और उसमें लाइट और रंग-बिरंगी झालरों से सजाया गया. सेंट्रल जेल में करीब 200 महिला और पुरुष बन्दियों ने छठ महापर्व किया. व्रत करने वालों में एक नाइजेरिया युगबूम सिनाची ओनिया और एक मुस्लिम बंदी भी शामिल थे. दोनों ने अपनी मन्नत पूरा होने के लिए भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया. जेल प्रशासन की ओर से सभी व्रतियों को कपड़ा दिया गया.
जेल अधीक्षक बृजेश कुमार मेहता ने बताया कि करीब 200 बंदियों ने भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया, इसमें एक मुस्लिम सहित 99 महिला बन्दी हैं, वही एक विदेशी भी शामिल है. जेल में बंद कैदियों में भी खासा उत्साह था. छठ व्रती महिलाओं द्वारा प्रस्तुत छठ पूजा गीत से परिसर का वातावरण भक्ति में हो गया. जेल उपाधीक्षक सुनील कुमार मौर्य ने बताया कि अंदर सुरक्षाकर्मियों को चौकसी को लेकर विशेष हिदायत दी गई थी. छठ महापर्व जेल परिसर के अंदर हर्षोल्लास के साथ संपन्न हो गया.
Source : News18
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STF के हत्थे चढ़ी हार्डकोर नक्सली ‘मंसूरी दीदी’, आधा दर्जन केस में तलाश, मिनट भर में बनाती थी बम

STF मुजफ्फरपुर की टीम ने हार्डकोर महिला नक्सली मंसूरी देवी उर्फ मंसूरी दीदी को उसके सरैया थाना के जैतपुर ओपी के रामकृष्ण दुबियाही स्थित आवास से गिरफ्तार किया है. STF ने प्रारंभिक पूछताछ के बाद मंसूरी दीदी को कुढ़नी थाने के हवाले कर दिया, जिसके बाद सोमवार को उसे विशेष कोर्ट में पेश किया गया. उसके खिलाफ मुजफ्फरपुर में कुढ़नी, सकरा, करजा, सरैया और बगहा के लौकरिया थाने में आधा दर्जन नक्सली केस दर्ज हैं.
मंसूरी दीदी वर्ष 2013 के अप्रैल में कुढ़नी स्थित तुर्की रेलवे स्टेशन के समीप हरि कंस्ट्रक्शन कंपनी के बेस कैंप को उड़ाने के मामले में कुढ़नी थाने में नामजद थी. इसके बाद से वह फरार चल रही थी. इस बीच SSP ने पुराने मामलों की समीक्षा की, जिसके बाद उन्होंने मंसूरी दीदी की गिरफ्तारी का आदेश दिया गया. STF मुजफ्फरपुर की टीम को जानकारी मिली की वह अपने घर पर आयी हुई है, इसके बाद टीम ने शनिवार की देर रात जैतपुर ओपी के रामकृष्ण दोबियाही गांव में छापेमारी की. जहां मंसूरी दीदी पकड़ी गई. टीम ने पूछताछ की और फिर उसे कुढ़नी थाने के हवाले कर दिया.
पुलिस सूत्रों की मंसूरी दीदी वैशाली सब जोनल कमेटी की सदस्य है. इसके अलावा विस्फोटक दस्ते की सक्रिय मेंबर भी है. वो बम बनाना भी जानती है. इसके अलावा जिले में घुम-घूमकर नक्सली संगठन से जुड़ने, पिछड़ों के हक की लड़ाई आदि के मुद्दे पर महिलाओं को प्रेरित करने का काम करती है. फिलहाल वो कई महीने से गायब थी. मंसूरी पिछले कुछ दिनों से पश्चिम चंपारण के बगहा और बाल्मीकि नगर में सक्रिय थी. दो-तीन दिन पहले रामकृष्ण दोबियाही गांव आयी थी, जहां से उसकी गिरफ्तारी हुई.
बताया जाता है कि वैशाली के थाथन बुजुर्ग के हार्डकोर नक्सली मुसाफिर सहनी की करीबी थी. हार्डकोर नक्सली रोहित और भारती की करीबी हो गयी और उनके निर्देशन पर नक्सली संगठन के लिए काम करती थी. मंसूरी वर्ष 2011 से नक्सली संगठन से जुड़ी और 2019 तक सक्रिय रही थी.
Source : News18
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मतलुपुर स्थित बाबा खगेश्वरनाथ महादेव मंदिर को दिया जाएगा पशुपतिनाथ मंदिर का स्वरूप

नेपाल के प्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर की तर्ज और स्वरूप पर बंदरा प्रखंड की मतलुपुर स्थित बाबा खगेश्वरनाथ महादेव मंदिर का जीर्णोद्धार होगा। मंदिर के साथ ही पूरे परिसर का भी स्वरूप बदल जाएगा। यहां पूजा के साथ श्रद्धालुओं व पर्यटकों के लिए भी विशेष व्यवस्था की जाएगी। सोमवार को अभियंताओं की टीम ने मंदिर व परिसर के विभिन्न स्थलों का निरीक्षण किया।
मंदिर परिसर स्थित धर्मशाला सभागार में भारत-नेपाल भ्रातृ मंच, नेपाल व मंदिर न्यास समिति की एक संयुक्त बैठक हुई। अध्यक्षता मन्दिर न्यास समिति के अध्यक्ष व पूर्व कुलपति डॉ गोपालजी त्रिवेदी व संचालन सचिव बैद्यनाथ पाठक ने किया। इसमें मंदिर के स्वरूप, डिजाइन, निर्माण कार्य इत्यादि चीजों को लेकर विस्तृत चर्चा की गई। सर्वसम्मति से मंदिर निर्माण को जल्द शुरू करने पर सहमति जतायी गई।
इंजीनियर भगवान झा ने बताया कि पशुपतिनाथ मंदिर के स्वरूप में खगेश्वरनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार किया जाएगा। साल 2024 में तैयार कर लेने का लक्ष्य रखा गया है। इसके डीपीआर का काम भी अंतिम चरण में है। शोभा कांत झा ने कहा कि इस मंदिर का नया स्वरूप ऐतिहासिक होगा। इससे भारत-नेपाल मैत्री संबंध और प्रगाढ़ होगा।
पूर्व कुलपति डॉ गोपालजी त्रिवेदी ने बताया कि मंदिर के डिजाइन व जीर्णोद्धार की प्रक्रिया शुरू हो गई है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में जो प्रारूप आया है, उस पर मंथन चल रहा है। पशुपतिनाथ मंदिर की तरह ही बाबा खगेश्वरनाथ मंदिर के स्वरूप पर सर्व सहमति बनी है। बैठक में मुरली मनोहर मिश्र, बंदना पांडेय, शोभा कांत ठाकुर, वीरेंद्र कुमार पांडे, डॉ नवल किशोर सिंह, दीपक कुमार, अधिवक्ता शैलेंद्र कुमार सिंह, रामसकल कुमार, श्यामनन्दन प्रसाद ठाकुर आदि थे।
चार वर्ष पहले रखी गई थी आधारशिला
खगेश्वरनाथ मंदिर के पुर्ननिर्माण कार्य का 22 अप्रैल 2018 को शिलान्यास हुआ था। पुराने मंदिर की जगह पशुपतिनाथ मंदिर की तर्ज पर भव्य मंदिर निर्माण के लिए डीपीआर भी बना था। तत्कालीन नगर विकास व आवास मंत्री सुरेश शर्मा, महावीर मंदिर न्यास समिति के सचिव डॉ. किशोर कुणाल आदि ने आधारशिला रखी थी। लेकिन निर्माण शुरू नहीं हो सका था। सचिव बैद्यनाथ पाठक ने बताया कि पुराने डिजाइन में परिवर्तन व कोरोना के कारण निर्माण रूक गया था। जो डीपीआर तैयार हुआ है उसके अनुसार डेढ़ करोड़ से अधिक खर्च होंगे।
Source : Hindustan
MUZAFFARPUR
सिकंदरपुर मन की जमीन बिक्री पर कोर्ट सख्त, कार्रवाई के आदेश

सिकंदरपुर मन की जमीन पर अतिक्रमण व अवैध खरीद-बिक्री पर अब हाईकोर्ट ने रिपोर्ट तलब की है। एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन को कार्रवाई करने व इस संबंध में रिपोर्ट देने के लिए कहा है।
अब जिला निबंधन कार्यालय में मन की जमीन की अबतक हुई खरीद-बिक्री का रिकार्ड खंगाला जा रहा है। हाईकोर्ट में दाखिल जनहित याचिका में जमीन माफिया पर मन की चार बीघा दो कट्ठा आठ धूर जमीन अवैध रूप से रजिस्ट्री व जमाबंदी कराने का आरोप लगाया गया है।
याचिका में कहा गया है कि सिकंदरपुर मन की जमीन की लगातार अवैध तरीके से खरीद-बिक्री की जा रही है। इससे सरकारी जमीन व संपत्ति का नुकसान हो रहा है।
हाईकोर्ट ने इसपर संज्ञान लेते हुए रिपोर्ट तलब की है। कार्यालय में जो रिकार्ड अबतक खंगाले गए हैं, उनके अनुसार मन की जमीन की खरीद-बिक्री 2018 से पहले ही हुई है। 2018 में मन की सारी जमीन की मापी व पहचान के बाद इसे रोक सूची में डाल दिया गया था। इस अवधि के बाद मन की जमीन की खरीद-बिक्री रुक गई, लेकिन जनहित याचिका में जिस निबंधन का जिक्र किया गया है, वह 2018 के पहले का है। जब मन की जमीन रोक सूची में शामिल नहीं थी।
इसके साथ ही 2018 से पहले कैडेस्ट्रल व रिविजनल सर्वे में मन व बिहार सरकार की जमीन के रूप में चिह्नित जमीन की खरीद-बिक्री के रिकार्ड खोजे जा रहे हैं।
कैडेस्ट्रल सर्वे, रिविजनल सर्वे व उपलब्ध खतियानों के अध्ययन के मुताबिक मन का रकबा 120.84 एकड़ है, रैयती रकबा 10.70 एकड़ है व बिहार सरकार के नाम से रकबा 17.75 एकड़ है। यानी मन का कुल रकबा 149.29 एकड़ है, जबकि मापी के बाद मन के पास लगभग 63 एकड़ जमीन बताई जाती है।
Source : Hindustan
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