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लिट्टी-चोखा का वर्ल्ड रिकार्ड! बिहार का ये पूरा शहर आज खाएगा केवल एक ही चीज

बिहार का बक्सर शहर आज अनोखा रिकार्ड बना रहा है। शहर के प्राय: हर घर में आज अपने राज्य का मशहूर व्यंजन लिट्टी-चोखा जरूर बनेगा। शहर में लिट्टी-चोखा बनाने और खाने का क्रम रविवार की अल सुबह पौ फटने के साथ ही शुरू हो गया है, जो देर रात तक चलेगा। दरअसल, बक्सर में पिछले पांच दिनों से चल रहे पंचकोसी मेले का आज आखिरी दिन है। इस दिन लोग बक्सर शहर के चरित्रवन में लिट्टी-चोखा खाते हैं। कुछ लोगों के लिए यह पिकनिक है तो कई लोग इसे एक देसी अंदाज वाला एक फूड फेस्टिवल मानते हैं। लोक कथाओं के अनुसार इस मेले का अतीत भगवान श्रीराम से जुड़ा है। पंचकोसी मेले का असल अंदाज भी धार्मिक ही है। इसके जरिए बिहार की सांस्कृतिक पहचान और खाने की देसी डिशेज की ब्रांडिंग भी होती है। हालांकि, इतने बड़े आयोजन को बड़ी पहचान दिलाने के लिए सरकार और प्रशासन के स्तर से कोई प्रयास नहीं हाेने पर स्थानीय लोगों में अफसोस भी है।
दिल्ली से कोलकाता के लिए रेल के रास्ते चलने पर पटना से पहले बिहार का पहला बड़ा शहर बक्सर पड़ता है। आज बक्सर का नजारा बेहद अलग है। बक्सर में आज अनोखा लिट्टी-चोखा मेला लगा है। वस्तुत: इस मेले का नाम पंचकोशी मेला है, जिसका आज बक्सर में लिट्टी-चाेखा खाकर समापन होगा। मेले का आज पांचवां और आखिरी दिन है। मेले के आखिरी पड़ाव पर बक्सर में गंगा नदी में स्नान करने के बाद लोग लिट्टी-चाेखा बनाकर खाएंगे। लिट्टी-चोखा बनाने के लिए गोबर के उपले का इस्तेमाल होता है, जिसके धुएं से पूरे शहर का आसमान भर गया है। सुबह होने के साथ ही शहर के किला मैदान और चरित्रवन आदि इलाकों में लिट्टी-चोखा बनाने का क्रम शुरू हुआ, जो रात तक चलता रहेगा। वैसे तो आज इस शहर के लगभग हर घर में लिट्टी-चोखा बनाया और खाया जाएगा।
भगवान राम से जुड़ी है कथा
पंचकोशी मेले की लोककथा भगवान राम से जुड़ी है। लोक मान्यता के अनुसार भगवान राम ने बक्सर और इर्द-गिर्द के चार गांवों में पांच दिनों तक घूमते हुए अलग-अलग व्यंजन खाए थे। बसांव मठ के महंत अच्युत प्रपन्नाचार्यजी ने बताया कि मुनि विश्वामित्र बक्सर में डेरा जमाए राक्षसों के संहार के लिए भगवान राम और उनके भाई लक्ष्मण को अयोध्या से अपने साथ लेकर बक्सर आए थे। बक्सर में ही ताड़का का वध हुआ था। उन्होंने बताया कि मेले में आए साधु-संतों को आज पंचकोशी परिक्रमा समिति की ओर से विदाई दी जाएगी।
पांच दिनों में पांच तरह के व्यंजन
पंचकोशी मेले की शुरुआत बक्सर से सटे गांव अहिरौली में पुआ खाकर होती है। इसके बाद अगले दिन नदांव में खिचड़ी, भभुअर में चूड़ा-दही और नुआंव में सत्तू-मूली का प्रसाद ग्रहण किया जाता है। कई श्रद्धालु तो इन पांच दिनों तक अपने घर नहीं लौटते। मेले के आखिरी दिन बक्सर के चरित्रवन में लिट्टी-चोखा का प्रसाद ग्रहण कर लोग धन्य होते हैं।
उपलों का कारोबार एक करोड़ तक जाने की उम्मीद
इस मेले में करीब एक करोड़ रुपए के उपलों का कारोबार होने की उम्मीद है। लिट्टी-चोखा तैयार करने के लिए लोग गोबर के उपलों का इस्तेमाल करते हैं। उपले बेचने वाले दुकानदार बताते हैं कि कोरोना काल से पहले 50 से 60 लाख रुपए तक उपले पंचकोशी मेले में बिक जाते थे। पिछले साल मेले में रौनक नहीं थी। इस बार भीड़ अच्छी दिख रही है, इसलिए कारोबार भी अधिक होने की उम्मीद है। इसके अलावा टमाटर, आलू, बैगन, मूली, हरी मिर्च, लहसून, प्याज और अदरक की खपत भी बढ़ गई है।
हनुमान जी के ननिहाल में अंजनी सरोवर की श्रद्धालुओं ने की परिक्रमा
पंचकोसी परिक्रमा में शनिवार को श्रद्धालुओं ने भभुअर से चलकर उन्नाव स्थित उद्दालक आश्रम में सत्तू-मूली का प्रसाद ग्रहण किया। स्थानीय लोग इस गांव को हनुमान जी की ननिहाल मानते हैं। यहां अंजनी सरोवर में स्नान व पूजा-अर्चना के बाद श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना की। पौराणिक मान्यता के अनुसार पंचकोसी परिक्रमा के चौथे दिन भगवान श्रीराम एवं लक्ष्मण को सत्तू-मूली खिलाकर महर्षि उद्दालक ने उनकी आवभगत की थी। जिसके उपलक्ष्य में पंचकोसी के चौथे पड़ाव उन्नाव में सत्तू एवं मूली प्रसाद के रूप में खाया जाता है। इससे पहले भभुअर में रात्रि विश्राम के बाद सुबह श्रद्धालु एवं संत-महात्मा उन्नाव पहुंचे। यहां अंजनी सरोवर में स्नान कर हनुमानजी तथा माता अंजनी के मंदिर में जाकर उन्हें मत्था टेके। फिर, सत्तू-मूली का प्रसाद खाकर रात्रि विश्राम किए।
पंचकोसी परिक्रमा समिति के अध्यक्ष सह बसांव पीठाधीश्वर श्री अच्युत प्रपन्नाचार्यजी महाराज के सान्निध्य में बसांव मठ के संतों द्वारा सत्तू-मूली प्रसाद का वितरण किया गया। इस अवसर पर वहां कथा-प्रवचन का आयोजन भी हुआ। जिसमें दामोदराचार्य जी, सुदर्शनाचार्य जी, छविनाथ त्रिपाठी, अहिरौली मठ के मधुसूदनाचार्य जी काली बाबा, आदि ने कथा के माध्यम से महर्षि उद्दालक एवं बाल हनुमान तथा माता अंजनी के जीवन चरित्र का वर्णन किया। आयोजन को सफल बनाने में समिति के सचिव डॉ. रामनाथ ओझा, सुरेश राय, सुबेदार पांडेय, टुनटुन वर्मा, रोहतास गोयल, आदि मठिया के अन्य परिकरों का सहयोग रहा।
अंजनी सरोवर के नाम से विख्यात है तालाब
मान्यता के अनुसार नुआंव स्थित उद्दालक आश्रम के समीप राम भक्त हनुमान की माता अंजनी अपने पुत्र के साथ रहती थीं। जहां बचपन में हनुमानजी खेला करते थे। अंजनी के निवास के चलते ही यहां का मौजूद सरोवर अंजनी के नाम से विख्यात हो गया। उन गाथाओं को याद दिलाते हुए वहां एक मंदिर का निर्माण कराया गया है। जिसमें माता अंजनी के साथ हनुमान जी विराजमान हैं। इसकी चर्चा साकेतवासी पूज्य संत श्रीनारायणदास जी भक्तमाली उपाख्य मामाजी द्वारा रचित पुस्तक में भी की गई है। जिसका उल्लेख करते हुए पंचकोसी समिति के सचिव डॉ. रामनाथ ओझा ने बताया कि पौराणिक काल में यहां माता अंजनी निवास कर उक्त तालाब में स्नान करती थीं। जिससे यह तालाब अंजनी सरोवर के नाम से विख्यात हो गया।
लिट्टी-चोखा के मेला को एक दिन पूर्व किला मैदान पहुंचे श्रद्धालु
पंचकोसी परिक्रमा के पांचवें दिन लिट्टी-चोखा के मेला को लेकर एक दिन पूर्व शनिवार से ही श्रद्धालु चरित्रवन पहुंचने लगे थे। पंचकोसी के अवसर पर लिट्टी-चोखा का प्रसाद बनाने व खाने के लिए एक दिन पूर्व ही दूर-दराज से लोगों के पहुंचने का सिलसिला जारी हो गया था। इस दौरान गाजीपुर, मोहनिया, कुदरा, कथुआ (पिरो), जगदीशपुर (आरा) आदि से उमड़े श्रद्धालुओं ने मां गंगा के पवित्र जल से आटा गूंथकर लिट्टी-चोखा बनाकर प्रसाद के रूप में भी ग्रहण किए। मौके पर मेनका देवी, शकुंतला देवी, शांता देवी, मीना देवी आदि ने कहा की शनिवार का दिन होने से आज भी बना लिए हैं, रविवार को भी बनाकर खाएंगे। जबकि, कुछ का कहना था की रविवार को भीड़ ज्यादा रहेगी इस कारण आज ही खाकर चले जाएंगे।
नुआंव की परिक्रमा भगाती है दरिद्रता
पंचकोसी परिक्रमा के दौरान उन्नाव स्थित उद्दालक आश्रम की परिक्रमा व रात्रि विश्राम करने से श्रद्धालुओं की दरिद्रता समाप्त हो जाती है। पौराणिक गाथाओं का उल्लेख करते हुए कथा वाचकों ने कहा कि माता लक्ष्मी की बड़ी बहन का नाम दरिद्रा है। उसके दरिद्रता एवं निर्धनता के भय के चलते दरिद्रा से कोई विवाह करना नहीं चाहता था। परंतु भगवान विष्णु की इच्छा पर उनके परम भक्त महर्षि उद्दालक, माता लक्ष्मी की बड़ी बहन दरिद्रा से शादी करने पर राजी हो गए। समझने की बात यह है कि इससे पहले महर्षि ने अहंकार को श्री नारायण के चरणों में समर्पित कर दिया था। जिसके चलते उनके साथ दरिद्रा के रहने पर भी दरिद्रता फटक नहीं पाती थी और अंतत: दरिद्रा को उद्दालक ऋषि को छोड़कर भगवान के पास जाना पड़ गया।
संकट में उन्नाव मेला का अस्तित्व
पंचकोसी परिक्रमा के चौथे विश्राम स्थल उन्नाव में आयोजित होने वाले मेला के अस्तित्व पर संकट मंडराने लगा है। समय रहते यदि प्रशासन सचेत नही हुआ तो वह दिन दूर नहीं जब उन्नाव पंचकोसी मेला केवल यादों में सिमटकर रह जाएगा। इसका कारण अंजनी सरोवर का अतिक्रमण बताया जाता है। अतिक्रमण के चलते न केवल इस पौराणिक धरोहर का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है बल्कि, प्रति वर्ष होने वाला सरोवर का परिक्रमा भी संचालित नहीं हो सका। इस संबंध में पंचकोसी परिक्रमा समिति के सचिव डॉ. रामनाथ ओझा व सुरेश राय ने बताया कि रास्ते के अतिक्रमण के कारण मेलार्थी एवं संत समाज परिक्रमा की रस्मअदायगी नहीं कर सके। जबकि इस समस्या से प्रशासन को पूर्व में ही अवगत करा दिया गया था। अतिक्रमण का सिलसिला अगर इसी प्रकार जारी रहा तो वह दिन दूर नही जब पंचकोसी यात्रा मेला के चौथे पड़ाव का अस्तित्व ही मिट जाएगा।
मेले को राष्ट्रीय स्तर पर दिलाई जानी चाहिए पहचान
बक्सर के जाने-माने अधिवक्ता और समाजसेवी रामेश्वर प्रसाद वर्मा ने कहा कि भगवान श्रीराम से जुड़ा यह मेला बिहार की सांस्कृतिक पहचान और धार्मिक परंपरा को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना सकता है। उन्होंने कहा कि स्थानीय सामाजिक संगठनों के साथ ही प्रशासन और सरकार को भी इसके लिए पहल करनी चाहिए। सामाजिक कार्यकर्ता जितेंद्र मिश्र ने कहा कि प्रशासन चाहे तो इस मेले की बदौलत बक्सर का नाम विश्व रिकार्ड की सूची में दर्ज हो सकता है। उन्होंने कहा कि एक साथ ऐसा आयोजन शायद ही कही होता हो, जहां लाखों लोग केवल लिट्टी-चोखा ही खाते हैं। अधिवक्ता विनय सिन्हा ने कहा कि मेले में हिस्सा लेने के लिए अगल-बगल के कई जिलों के लोग आते हैं। दूसरी तरफ, शहर के लोग मेले में जाएं न जाएं, अपने घर में ही सही, इस दिन लिट्टी-चोखा ही खाते हैं। बक्सर से सटे गांवों में भी लोग आज के दिन लिट्टी-चोखा जरूर बनाते और खाते हैं। यहां तक कि दूसरे जिलों, प्रदेशों, यहां तक कि विदेश में रहने वाले बक्सर के लोग भी आज के दिन लिट्टी-चोखा खाना नहीं भूलते हैं।
Source : Dainik Jagran
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BIHAR
‘लालू बिन चालू ए बिहार न होई…’, बीजेपी-जेडीयू के ब्रेकअप पर लालू यादव की बेटी के तंज भरे ट्वीट

बिहार में कल तक जो नीतीश कुमार बीजेपी के साथ मिलकर सुशासन की सरकार चला रहे थे, उनका अब बीजेपी से मोहभंग हो गया है। वहीं, बीजेपी-जेडीयू के अलग होने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद की बेटी ने जश्न मनाया और एक भोजपुरी गाने की मजेदार लाइन ट्वीट की, जिसमें कहा गया, लालू बिन चालू ए बिहार न होई (लालू के बिना बिहार नहीं चल सकता)। बता दें, इस गाने को भोजपुरी गायक खेसारी लाल यादव ने गाया है। यह गाना बिहार विधान परिषद चुनाव से पहले रिलीज हुआ था।
लालू प्रसाद की बेटी रोहिणी आचार्य ने अपने ट्विटर हैंडल पर भोजपुरी गाने के साथ आरजेडी के चुनाव चिन्ह का जिक्र करते हुए ट्वीट किया, राज्याभिषेक की तैयारी करो, लालटेन वाहक आ रहे हैं। गाने में कुछ लाइन हैं, जो राजद नेता तेजस्वी यादव पर है। वह कुछ इस तरह है, तेजस्वी के बिना सुधार न होई (तेजस्वी के बिना कोई प्रगति नहीं हो सकती)।
"राजतिलक की करो तैयारी आ रहे हैं , लालटेन धारी "✌️ pic.twitter.com/R0pYeaU2mN
— Rohini Acharya (@RohiniAcharya2) August 9, 2022
‘बोले बिहार-तेजस्वी भव सरकार’
इससे पहले के एक ट्वीट में उन्होंने ‘किंगमेकर’ शब्द के साथ अपने पिता लालू प्रसाद की एक तस्वीर पोस्ट की थी। उन्होंने ट्वीट में कहा, उनकी ईमानदारी आसमान से भी ऊंची है, वह लोगों की शान हैं। लालू यादव की एक और बेटी राज लक्ष्मी यादव ने भी अपने पिता की पुरानी तस्वीरें शेयर करते हुए लिखा, बोले बिहार-तेजस्वी भव सरकार।
तेजस्वी यादव ने 2015-2017 तक बिहार के उपमुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। वहीं चारा घोटाले में दोषी लालू प्रसाद यादव फिलहाल जमानत पर बाहर हैं।
बिहार में मचे घमासान पर रोहिणी आचार्य के तंज भरे ट्वीट-
लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य आज सुबह से ही बीजेपी पर हमलावर हैं। वह लगातार ट्वीट कर रही हैं और बीजेपी पर तंज कस रही हैं। रोहिणी आचार्य ने ट्विटर पर लिखा- बीजेपी वाले DP बदलने को कह रहे थे… हम लालूवादी सरकार ही बदल दिये… रोहिणी आगे कहती हैं- इ बिहार है बबुआ… उड़ती चिड़िया को हल्दी लगाता है।
अमंगल पांडे बोल रहा है
जनादेश के साथ धोखा हुआ है..क्यों TikTok मंत्री
महाराष्ट्र में साधु गिरी कर रहे थे क्या?
सौ चूहा खा कर ढोंगी प्रवचन दे रहे है ..— Rohini Acharya (@RohiniAcharya2) August 9, 2022
भाजपा वाले
DP बदलने को कहा था
हम लालूवादी सरकार ही बदल दिये ✌️इ बिहार है बबुआ उड़ती चिड़िया को हल्दी लगाता है🤟🙏
— Rohini Acharya (@RohiniAcharya2) August 9, 2022
गौरतलब है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर पलटी मारी है। उन्होंने बीजेपी के साथ अपना गठबंधन तोड़ लिया है। जेडीयू विधायकों और सांसदों की मीटिंग में उन्होंने बीजेपी से गठबंधन तोड़ने का फैसला लिया। आज सुबह से ही बिहार की सियासत में गरमाहट देखी जा रही थी। अलग-अलग दलों के नेताओं की बैठकें हो रही थीं लेकिन सबकी नजरें जनता दल यूनाइटेड के सांसदों और विधायकों की बैठक पर थी। क्योंकि इसी बैठक में एनडीए के साथ गठबंधन के भविष्य को लेकर ऐलान होना था। आखिरकार जेडीयू ने बीजेपी से अलग होने के रास्ते को चुन लिया। बैठक में नीतीश ने कहा, ‘बीजेपी ने पार्टी को तोड़ने की कोशिश की, हमें धोखा दिया। बीजेपी ने हमेशा जेडीयू को अपमानित किया।’
Source : India TV
BIHAR
बिहार में फिर बनेगी चाचा-भतीजे की सरकार, आज नीतीश-तेजस्वी लेंगे शपथ

बिहार में बीजेपी के सियासी ब्रेकअप के बाद फिर से चाचा(नीतीश कुमार) और भतीजे (तेजस्वी यादव) की सरकार बनने जा रही है. आज दोपहर दो बजे महागठबंधन सरकार का शपथ ग्रहण समारोह है. मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम पद शपथ लेंगे.
वहीं बिहार की नई सरकार के मंत्रिमंडल की तस्वीर भी साफ हो गई है. जानकारी के मुताबिक कैबिनेट में आरजेडी के सबसे ज्यादा 16 विधायक मंत्री बनेंगे. इसके बाद जेडीयू के 13, कांग्रेस के 4, हम के 1 के विधायक नई सरकार में मंत्री बनेंगे. वहीं लेफ्ट पार्टी सरकार को बाहर से स्पोर्ट कर रही हैं.
इससे पहले नीतीश कुमार ने मंगलवार दोपहर को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. वहीं शाम को राज्यपाल के सामने सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया. वह महागठबंधन के साथ मिलकर सरकार बनाने जा रहे हैं.
उन्होंने दावा किया कि कुल सात पार्टियों और एक निर्दलीय विधायक ने उन्हें समर्थन दिया है. उनके पास कुल 165 विधायकों का समर्थन हासिल है. अब आज दोपहर दो बजे महागठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम पद की शपथ लेंगे.
हमारे विधायकों को तोड़ने की चल रही थी साजिश
– जेडीयू विधायक दल की बैठक के बाद नीतीश कुमार ने बीजपी पर आरोप लगाते हुए कहा था कि बीजेपी ने हमें हमेशा अपमानित किया. 2019 में भी मंत्री बनाने का आश्वासन दिया गया, लेकिन प्रतिनिधित्व नहीं मिला.
आरसीपी सिंह के जरिये जेडीयू को कमजोर करने की कोशिश की गई. चिराग पासवान के जरिए हमें कमजोर करने की कोशिश की गई. हमारे विधायकों को तोड़ने की साजिश चल रही थी. हमें खत्म करने की साजिश रची गई.
नीतीश कुमार ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ने की वजह बताते हुए कहा कि समाज में विवाद पैदा करने की कोशिश की गई थी. कई तरह की बातें की जा रही थीं, जो कि हमें अच्छा नहीं लग रहा था.
इससे पहले नीतीश ने कहा था कि पार्टी के सभी लोगों की इच्छा थी कि बीजेपी से अलग हो जाना चाहिए. विधायकों और सांसदों की सहमति के बाद गठबंधन तोड़ने का फैसला लिया गया.
आरजेडी में नीतीश का नहीं मिलेगा सम्मान: सुशील मोदी
बीजेपी नेता सुशील मोदी ने कहा कि उन्हें (नीतीश कुमार) राजद में वह सम्मान नहीं मिलेगा जो उन्हें भाजपा में रहते हुए मिला था. हमने ज्यादा सीटें होने के बावजूद उन्हें सीएम बनाया और कभी उनकी पार्टी को तोड़ने की कोशिश नहीं की.
जनता के साथ नीतीश ने किया विश्वासघात
– बीजेपी नीतीश पर हमलावर हो गई. आरसीपी सिंह ने ट्विटर पर लिखा है, ‘बिहार की जनता के द्वारा NDA के पक्ष में दिए गए 2020 के जनादेश के साथ विश्वासघात !’
– बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने नीतीश कुमार पर बड़ा हमला बोला है. उन्होंने कहा है कि नीतीश कुमार बार-बार जनता को धोखा देने का काम करते हैं. इस बार भी जनादेश एनडीए को मिला था, लेकिन नीतीश ने फिर महागठबंधन से हाथ मिलाया. रविशंकर ने इसे विश्वासघात बता दिया है.
– बिहार बीजेपी अध्यक्ष संजय जायसवाल ने नीतीश कुमार के पाला बदलने पर अपना गुस्सा जाहिर किया है. उन्होंने इसे सीधे-सीधे बिहार की जनता द्वारा दिए गए जनादेश का अपमान बता दिया है. उनके मुताबिक बिहार की जनता ने एनडीए के पक्ष में वोट डाले थे. उन्हें सरकार बनाने का मौका मिला था. लेकिन नीतीश ने धोखा देकर फिर महागठबंधन से हाथ मिला लिया.
– केंद्र में मंत्री पशुपति पारस ने बिहार की सियासत पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने साफ कर दिया है कि वे एनडीए का साथ नहीं छोड़ने वाले हैं. उनकी पार्टी आगे भी सरकार का समर्थन करने वाली है. बिहार में जो भी कुछ हुआ है, वो विकास के लिहाज से सही नहीं है. नीतीश ने ये सही कदम नहीं उठाया.
अखिलेश और सीएम बघेल ने गठबंधन को सराहा
– बिहार में तेजी से बदलते राजनीतिक घटनाक्रम पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा है कि ये एक अच्छी शुरुआत है. आज ही के दिन नारा दिया गया था अंग्रेजों भारत छोड़ो. आज नारा दिया जा रहा है बीजेपी भगाओ. मुझे उम्मीद है कि अब दूसरी पार्टियां भी बीजेपी के खिलाफ खड़ी होंगी.
– छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बिहार में नीतीश कुमार के इस्तीफे को लेकर कहा कि यह संकेत है कि अब एनडीए गठबंधन के दिन पूरे हो चुके हैं. उन्होंने कहा महाराष्ट्र में हुए सत्ता परिवर्तन और इसके बाद बिहार में हुए परिवर्तन देख सकते हैं. इसके अलावा मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार को अहंकारी बताया.
2013 में भी बीजेपी के साथ तोड़ा था गठबंधन
नीतीश कुमार ने 2013 में बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़ दिया था, तब उन्होंने इसकी वजह पीएम नरेंद्र मोदी को बताया था.इसके बाद 2015 में नीतीश कुमार ने लालू यादव की पार्टी RJD के साथ मिलकर एक महागठबंधन बनाया. चुनाव में जीत के बाद नीतीश मुख्यमंत्री बन गए.
इसके बाद 2017 में नीतीश से महागठबंधन से अलग होकर एनडीए में आ गए थे. वह बीजेपी के साथ मिलकर दोबारा बिहार के मुख्यमंत्री बने. 2020 के चुनावों में बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी. अब 2022 में नीतीश ने फिर से एनडीए का साथ छोड़कर आरजेडी का हाथ थाम लिया है.
Source : Aaj Tak
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बिहार के झटके को अवसर के रूप में देख रही भाजपा, खुलकर उतरने का मिलेगा मौका

बिहार में जो कुछ हुआ भाजपा के लिए वह मनमाफिक तो नहीं है लेकिन इस झटके को सकारात्मक रूप से लेते हुए अवसर के रूप में देखा जाने लगा है। दरअसल यही क्षण भाजपा के लिए आगे की लड़ाई का पूरा मैदान तैयार करेगा। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने यह साबित कर दिया है कि उसका स्ट्राइक रेट किसी भी दूसरे दल से ज्यादा है। अब से डेढ़ दो साल बाद लोकसभा चुनाव है और तीन साल बाद विधानसभा चुनाव। यानी भाजपा के पास खुलकर राजग और महागठबंधन सरकारों में तुलना करने का मौका भी होगा और अपनी नीतियों को जनता के पास परोसने का अवसर भी। कार्यकर्ताओं की भी इसी मनोदशा के साथ जमीन पर जुटने को कहा जाएगा।
बिहार में परिस्थितियां बदलनी तय
भाजपा नेताओं की मानी जाए तो मंगलवार को नीतीश कुमार की ओर से राजग तोड़ने का फैसला सुनाया गया। यानी भाजपा के सिर गठबंधन तोड़ने का जिम्मा नहीं है। पिछले दो वर्षों में विकास योजनाएं परवान चढ़नी शुरू हुई थी। रोजगार परक उद्योग क्षेत्र में तो पहली बार विकास की आहट मिलनी शुरू हुई थी और खुद नीतीश ने इसे स्वीकारा था। केंद्रीय योजनाओं को धार मिली थी। अब जबकि सरकार बदल चुकी है तो परिस्थितियां बदलनी तय है।
खुद के भरोसे ही सरकार बनाने की कवायद
इस मुद्दे पर तो भाजपा अभी से मुखर हो गई है और इतिहास की याद दिलाते हुए नीतीश की राजनीति को व्यक्तिगत अवसरवाद की तरह दिखाने का प्रयास शुरू हो चुका है। इसमें संदेह की कोई जगह नहीं कि भाजपा देर सबेर खुद के भरोसे ही सरकार बनाने की कवायद में जुटने वाली थी। हाल के दिनों में बिहार में भाजपा के तीन दिवसीय कार्यक्रम में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी से इस संदेश को और बल मिला था और जदयू असहज हुआ था इसमें भी संदेह नहीं। भाजपा नेताओं को यह भी भरोसा है कि 2020 चुनाव के बाद मंत्रिमंडल गठन में भी जिस तरह अतिपिछड़ी जाति से आने वाली रेणु देवी को उप मुख्यमंत्री बनाया था उसका संदेश आगे तक जाएगा।
अति पिछड़ा और महिला में विशेष सेंध की तैयारी
ध्यान रहे कि नीतीश ने ही अतिपिछड़ा का कार्ड खेला था और राजनीतिक रूप से वह उनके लिए लाभदायक भी था। अब यह जताने की कोशिश होगी कि नीतीश को अतिपिछड़ा और सशक्त महिला बर्दाश्त नहीं है। यह भी ध्यान रहे कि 2010 में नीतीश के महिला कार्ड ने असर दिखाया था। भाजपा इन दोनों कार्ड पर ही वार करेगी। बिहार की राजनीतिक लड़ाई में भाजपा, जदयू और राजद के बीच जातिगत खांचा कुछ इस तरह उलझा रहा है कि किसी के लिए भी अकेले पार पाना मुश्किल रहा है। नीतीश लंबे समय तक मुख्यमंत्री रह चुके हैं। ऐसे मे भाजपा इसे एक ऐसे अवसर के रूप में देख रही है, जहां सीधे नीतीश पर वार कर जदयू के वोट को खींचने की कोशिश होगी।
2020 में सबसे अच्छा रहा था भाजपा का स्ट्राइक रेट
गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा 110 सीट लड़कर 74 सीटें जीती थी जबकि राजद 144 लड़कर 75। जबकि जदयू 115 लड़कर 43 सीट हासिल कर पाई थी। हालांकि 2015 में स्थिति अलग थी, जब राजद और जदयू इकट्ठा मैदान में था। तब इन दोनों दलों का स्ट्राइक रेट अच्छा था। पर भाजपा नेताओं की मानी जाए तो उसके बाद से मोदी सरकार की योजनाओं ने जमीन पर असर दिखाना शुरू कर दिया है। कार्यकर्ता पहले भी मैदान में थे। अब उनके हाथ पैर खुले हैं।
Source : Dainik Jagran
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