पटना: बिहार-झारखंड समेत उत्तरप्रदेश के कुछ जिलों में गुरुवार को महिलाओं ने वटसावित्री का व्रत रखा और वट वृक्ष की पूजा कर पति की लंबी उम्र के लिए भगवान से प्रार्थना की. सुहागनों के लिए वटसावित्री के व्रत का बड़ा महात्म्य होता है. सुहागन महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए ज्येष्ठ माह के अमावस्या तिथि को ये व्रत करती हैं. व्रत के दौरान फल, फूल, नैवेद्य आदि के साथ वट वृक्ष की पूजा की जाती है. फिर वृक्ष की परिक्रमा कर सूत लपेटी जाती है. इस व्रत में बांस से बने पंखे का बड़ा महत्व होता है.

For the sake of good fortune married women fasted for Vat Savitri, prayed for the long life of the husband ann

पति के पैरों को धोने की है परंपरा

पूजा के दौरान पहले महिलाएं वट वृक्ष को पंखा झलती हैं और फिर पूजा के बाद पति के पैरों को धोकर, पंखा झलकर उनसे आशीर्वाद लेती है. कई जगहों पर व्रत के दिन उपवास रखने की भी परंपरा है. जबकि कई जगह पूजा के बाद महिलाएं भोजन ग्रहण कर लेती हैं. कोरोना काल में गुरुवार को बिहार के अमूमन हर जिले में वट वृक्ष के आसपास सुहागन महिलाओं की भीड़ दिखी. सभी पति के आरोग्य के लिए पूजा करती नजर आईं.

बिहार की राजधानी पटना के मालसलामी इलाके में महिलाएं कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए पूजा करती नजर आईं. इस दौरान वे भगवान से कोरोना महामारी खत्म कर देने की भी गुहार लगाती दिखीं.

सीतामढ़ी में महिलाओं ने घर में पूजा

सूबे के सीतामढ़ी में भी वट वृक्ष के आसपास महिलाओं की भीड़ दिखी. जबकि कुछ महिलाएं भीड़ की वजह से घर में ही पूजा करती दिखीं. अनुमंडल पदाधिकारी के आवास के पास स्थित मंदिर में राजलक्ष्मी आश्रम के आचार्य पंडित वेदप्रकाश शास्त्री के मंत्र उच्चारण से पूरा वातावरण भक्तिमय बना रहा. पूजा के दौरान सभी महिलाओं ने वट वृक्ष में रक्षा सूत्र बांध कर परिक्रमा की.

इस दौरान पंडित ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन ही सावित्री ने अपने दृढ़ संकल्प और श्रद्धा से यमराज से अपने मृत पति सत्यवान के प्राण वापस पाए थे. इस कारण से ऐसी मान्यता चली आ रही है कि जो स्त्री सावित्री के समान यह व्रत करती है, वह सदा सुहागन रहतीं हैं.

Source : ABP News

I just find myself happy with the simple things. Appreciating the blessings God gave me.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *