गुरुवार को विधानसभा से 20 हजार 531 करोड़ का विनियोग विधेयक पारित हो गया। उपमुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री तारकिशोर प्रसाद की ओर से सदन में पेश इस विधेयक में 12 हजार 120 करोड़ वार्षिक स्कीम मद, 8373 करोड़ स्थापना एवं प्रतिबद्ध व्यय तो केंद्रीय स्कीम के लिए 37 करोड़ का प्रावधान किया गया है। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि जनकल्याणकारी योजनाओं पर राशि खर्च होगी। इस पैसे में शिक्षा विभाग के लिए 7744 करोड़ का प्रावधान किया गया है। पंचायती राज संस्थाओं के लिए 3174 करोड़, स्वास्थ्य विभाग को 858 करोड़, गृह विभाग को 464 करोड़, उद्योग को 298 करोड़, पीएचईडी के लिए 500 करोड़, ग्रामीण कार्य के लिए 887 करोड़, आपदा प्रबंधन के लिए 1182 करोड़, पथ निर्माण के लिए 400 करोड़, नगर विकास एवं आवास विभाग के लिए 2853 करोड़, जल संसाधन के लिए 1535 करोड़ और समाज कल्याण विभाग के लिए 165 करोड़ का प्रावधान किया गया है।

राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामसूरत कुमार ने कहा कि बेनामी या फर्जी केवाला की जमीन सरकार की संपत्ति होगी। राज्य सरकार वर्षों से पारिवारिक बंटवारे के लंबित भूमि दस्तावेज को अपडेट करने के लिए प्रचार-प्रसार करेगी। ताकि, भूमि का अपडेट डिजिटल रिकॉर्ड तैयार हो और भूमि को लेकर होने वाले विवादों को समाप्त किया जा सके। मंत्री श्री कुमार ने गुरुवार को बिहार भूमि दाखिल खारिज (संशोधन), विधेयक, 2021 को विधान परिषद में पेश करने के बाद ये बातें कही।

भाजपा के नवल किशोर यादव ने सवाल किया था कि अगर मूल नाम के अतिरिक्त किसी व्यक्ति के अन्य नाम या संक्षिप्त नाम पर संपत्ति हो तो उस मामले में क्या होगा। इसके जवाब में मंत्री श्री राय ने कहा कि ऐसी संपत्ति सरकार की होगी। उन्होंने विधेयक के प्रावधानों का उल्लेख करते हुए पैतृक संपत्तियों के पारिवारिक बंटवारे का विस्तार से जिक्र किया और सभी जनप्रतिनिधियों से भूमि संबंधी रिकॉर्ड को दुरुस्त करने के लिए पहल करने की भी अपील की। उन्होंने कहा कि राज्य में सर्वे का काम चल रहा है। अब, डिजिटल मैप तैयार हो रहा है। अब जो खतियान बंटेंगे और उससे जमीन की बिक्री होगी तो उसके मैप का रजिस्ट्रेशन होते चला जाएगा। विपक्ष की ओर से डॉ. रामचंद्र पूर्वे व कांग्रेस के समीर कुमार सिंह ने इस विधेयक की वर्तमान में आवश्यकता की तारीफ की और इसमें आंशिक संशोधन के प्रस्ताव भी रखें। हालांकि, बाद में इसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। विधान मंडल से विधेयक के पारित होने के बाद राज्यपाल से इसकी स्वीकृति के लिए अनुशंसा की जाएगी और स्वीकृति मिलते ही यह पूरे राज्य में लागू हो जाएगा।

Source : Hindustan

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