मधुबनी लिटरेचर फेस्टिवल के तीसरे दिन कामेश्वर सिंंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय में ‘सीता : बियॉन्ड बाउंड्रीज विषय पर परिचर्चा आयोजित किया गया। इसमें मुख्य अतिथि के रूप में शामिल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकारिणी के सदस्य राम माधव ने कहा कि अयोध्या में बनी राम जन्मभूमि के तर्ज पर मिथिला में भी सीता की भव्य मंदिर का निर्माण होना चाहिए। मैं बिहार सरकार से आग्रह करता हूं कि मिथिला के सीतामढ़ी में भव्य सीता मंदिर का निर्माण कराया जाए।
सीतामढ़ी में मंदिर के लिए जमीन की कोई कमी नहीं है। अगर सरकार चाहे तो मंदिर निर्माण के बाद पर्यटन का भी स्थल विकसित हो सकेगा। मंदिर निर्माण होने से सभी सीता के व्यक्तित्व को जान सकेंगे। माधव ने कहा कि मिथिला बुद्धिजीवियों और विद्वानों की भूमि है। मिथिला वेदों और उपनिषदों के प्राचीन परंपरा से जुड़ी हुई है। मंडन मिश्र, गार्गी एवं मैत्री कि इस धरती पर उपस्थिति इस बात का प्रमाण है। कहा कि हमारे देश में प्रकृति को मां का दर्ज दिया गया है। हमारे देश की ज्यादातर नदियों को नारी स्वरूप में प्रस्तुत किया जाता है।
मधुबनी लिटरेचर फेस्टिवल श्रीलंका, भारत और नेपाल को सीता के संवाद जोड़ता
श्रीलंका के हाई कमिश्नर मिलिंद मोरगुड़ा ने कहा कि मधुबनी लिटरेचर फेस्टिवल एक पूल का काम कर है,जो कि श्रीलंका, भारत और नेपाल को सीता के संवाद जोड़ता है। यह इस बात की सबसे बड़ी गवाही है कि कैसे सीता असलियत में, सीमाओं से इतर विषय है। जानकी मंदिर के महंत रौशन दास ने कहा कि सीता के चरित्र, उनकी कहानी और उनके वर्णन को नेपाल में बहुत महत्ता प्रदान की जाती है।
Source: Dainik Jagran
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