आस्था के महापर्व छठ के तीसरे दिन डूबते हुए सूरज को विधिपूर्वक अर्घ्य  दिया जाता है. पंचांग के अनुसार 10 नवंबर, बुधवार यानि आज भक्त डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देंगे. आपको बता दें कि 11 नवंबर यानि गुरुवार को छठ पर्व का समापन हो जाएगा. यह पर्व मुख्य रूप से उत्तर भारत के राज्यों बिहार , झारखंड  और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है. इस पर्व में सूर्य देव  और छठी मइया  की पूजा विधि-विधान से की जाती है.

मान्यता है कि शाम के समय सूर्य देव अपनी अर्धांगिनी देवी प्रत्युषा के साथ समय बिताते हैं. यही वजह है कि छठ पूजा में शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य  देते समय उनकी पत्नी देवी प्रत्युषा की भी उपासना की जाती है. ऐसा करने से व्रती की मनोकामनाएं जल्द पूर्ण होती हैं. यह भी मान्‍यता है कि डूबते सूर्य को अर्घ्य देने से जीवन की कई समस्याओं से छुटकारा मिलता है.

सूर्य देवता की पूजा करते समय उनके 21 नामों का जाप करना व आरती का पाठ करना शुभ माना जाता है. आइए, जानते हैं डूबते हुए सूरज को अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त क्या है. साथ ही पढ़ें भास्कर देव के 21 नाम और आरती
आज किस समय दिया जाएगा सूर्य देवता को अर्घ्य?

10 नवंबर को सूर्यास्त का समय शाम 5 बजकर 3 मिनट है. आज भक्त डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देंगे.

अर्घ्य देते समय करें सूर्य देव के 21 पवित्र नामों का जाप

1. विकर्तन

2. विवस्वान

3. मार्तंड

4. भास्कर

5. रवि

6. लोकप्रकाशक

7. श्रीमान

8. लोक चक्षु

9. गृहेश्वर

10. तापन

11. त्रिलोकेश

12. कर्ता

13. हर्ता

14. तमिस्त्रहा

15. सर्वदेवनमस्कृत

16. लोक साक्षी

17. शुचि

18. सप्ताश्ववाहन

19. गभस्तिहस्त

20. ब्रह्मा

21. तपन

सूर्य देव की आरती

ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान ।
जगत् के नेत्र स्वरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ।
धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
सारथी अरूण हैं प्रभु तुम,
श्वेत कमलधारी ।
तुम चार भुजाधारी ॥
अश्व हैं सात तुम्हारे,
कोटी किरण पसारे ।
तुम हो देव महान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

ऊषाकाल में जब तुम,
उदयाचल आते ।
सब तब दर्शन पाते ॥
फैलाते उजियारा,

जागता तब जग सारा ।
करे सब तब गुणगान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

तुम हो त्रिकाल रचियता,
तुम जग के आधार ।
महिमा तब अपरम्पार ॥

प्राणों का सिंचन करके,
भक्तों को अपने देते ।
बल बृद्धि और ज्ञान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

भूचर जल चर खेचर,
सब के हो प्राण तुम्हीं ।
सब जीवों के प्राण तुम्हीं ॥
वेद पुराण बखाने,
धर्म सभी तुम्हें माने ।
तुम ही सर्व शक्तिमान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

पूजन करती दिशाएं,
पूजे दश दिक्पाल ।
तुम भुवनों के प्रतिपाल ॥
ऋतुएं तुम्हारी दासी,
तुम शाश्वत अविनाशी ।
शुभकारी अंशुमान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान ।
जगत के नेत्र रूवरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ॥

धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥

(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित हैं.मुजफ्फरपुर नाउ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)

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