पटना. समय-समय पर बिहार के डॉक्टरों का कारनामा देखने को मिलता है. स्वास्थ्य व्यवस्था के मामले में बिहार की हालत अब भी लचीली है. हाल में मुजफ्फरपुर में डॉक्टरों की भारी लापरवाही देखने को मिली थी. यहां डॉक्टरों की गलती से वजह से कई मरीजों को अपनी आंखों की रोशनी गंवानी पड़ी थी. मामला सामने आने के बाद हर तरफ हाहाकार मच गया था. इस हंगामे को देखते राज्य सरकार ने बड़ा फैसला किया है. डॉक्टरों की लापरवाही की वजह से आंखों की रौशनी खोने वाले मरीजों का अब मुफ्त इलाज होगा. सरकार के इस फैसले ने पीड़ित मरीजों को थोड़ी राहत दी है.

बिहार सरकार ने घोषणा की है कि करीब 15 मरीज जिनकी आंखों की रौशनी खत्म हो गई है उनका आइजीआइएमएस में मुफ्त इलाज करवाया जाएगा. इसे लेकर अस्पताल प्रबंधन ने सभी तैयारी पूरी कर ली है और अलग से एक डॉक्टरों की कमेटी का गठन किया गया है.

आइजीआइएमएस के अधीक्षक डॉ मनीष मंडल ने बताया कि आज 12 बजे के बाद सभी मरीज पटना पहुंचेंगे और उनका इलाज शुरू हो सकेगा. सिविल सर्जन मुजफ्फरपुर के मुताबिक, 4 डॉक्टर समेत कुल 9 लोगों के खिलाफ एफआईआर भी कराई गई है, जिससे दोषियों को सजा मिल सके.

विपक्ष ने उठाया था मुद्दा

बता दें कि मुजफ्फरपुर में डॉक्टरों की इस लापरवाही को लेकर विपक्ष ने खूब हंगामा भी किया था. इस मुद्दे को विपक्ष ने विधान परिषद में भी उठाया था. विपक्ष ने पीड़ित मरीजों के लिए आर्थिक मदद और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की थी. बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने भी कार्रवाई की मांग की थी और सरकार से पीड़ितों को आर्थिक मदद और उनके परिवार के सदस्यों को नौकरी देने की भी मांग की थी. वहीं घटना सामने आने के बाद पूरे मामले पर स्वाथ्य विभाग ने भी जांच का आदेश दिया था.

गौरतलब कि बीते 22 नवंबर डॉक्टरों की लापरवाही का कांड सामने आया था, जिसमें 15 मरीजों की आंखों की रोशनी चली गई थी. मुजफ्फरपुर में मोतियाबिंद की शिविर के दौरान कुल 65 मरीजों का ऑपरेशन किया गया था, जिनमें 26 मरीज इसी शहर के थे जबकि बाकी अलग जिले के है.

Source : News18

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