आम जनता पेट्रोलऔर डीजल की बढ़ी कीमतों से परेशान है. तेल के दाम में कटौती के बावजूद देश के ज्यादातर शहरों में पेट्रोल के दाम 100 रुपए के पार है. पेट्रोल-डीजल की बढ़ी कीमतों के बीच इसे गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) के दायरे में लाए जाने की चर्चा हो रही है. आज लखनऊ में जीएसटी काउंसिल की 45वीं बैठक होने वाली है. इस बैठक में Petrol, Diesel को जीएसटी के दायरे में लाने पर चर्चा हो सकती है.

अगर आज पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने पर कोई फैसला हुआ तो आम आदमी को बड़ी राहत मिल सकती है. पेट्रोल के दाम में भारी कमी आ सकती है. आपको बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में 45वीं जीएसटी काउंसिल की बैठक हो रही है.

पेट्रोल-डीजल पर लगते हैं इतने तरह के टैक्स

पेट्रोल और डीजल  पर तरह तीन तरह के टैक्स लगते हैं. एक्साइज, वैट और सेस. अभी राज्यों को पेट्रोल-डीजल पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी का करीब 41 फीसदी हिस्सा मिलता है. वैट राज्य सरकारों के हिस्से में जाता है.

पेट्रोल पर अभी लगभग 50 फीसदी टैक्स लगता है. अगर जीएसटी के हाई स्लैब 28 फीसदी के दायरे में भी पेट्रोल-डीजल को शामिल किया जाता है तो टैक्स आधा हो जाएगा. इससे दिल्ली में ताजा कीमतों के हिसाब से पेट्रोल 25 रुपये सस्ता हो जाएगा.

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एक लीटर पेट्रोल पर इतना टैक्स वसूलती है सरकार

इंडियन ऑयल वेबसाइट के मुताबिक, शुक्रवार को दिल्ली में पेट्रोल का भाव 101.19 रुपये प्रति लीटर है. इस पर एक्साइज ड्यूटी 32.90 रुपये, वैट 23.39 रुपये, कुल टैक्स 56.29 रुपए हुआ. यानी पेट्रोल की वास्तविक कीमत 45.05 रुपए प्रति लीटर हुई. तेल के दाम में टैक्स का हिस्सा 55 फीसदी से ज्यादा है.

25 रुपए से ज्यादा सस्ता हो सकता है पेट्रोल

अगर जीएसटी के दायरे में पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स को लाया गया तो देश भर में पेट्रोल के भाव 75 रुपये और डीजल के भाव 68 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच जाएंगे. हालांकि, पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स को जीएसटी के दायरे में लाए जाने से केंद्र और राज्यों को राजस्व में जीडीपी के महज 0.4 फीसदी के बराबर करीब 1 लाख करोड़ रुपये की कमी आएगी.

क्यों पेट्रोल-डीजल GST के दायरे में शामिल नहीं कर रही है सरकार

पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले टैक्स से सरकार की खूब कमाई होती है. पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले टैक्स से केंद्र सरकार की कमाई 88 फीसदी तक बढ़ी है. सरकार का पेट्रोलियम उत्पादों पर उत्पाद शुल्क कलेक्शन चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में 48 प्रतिशत बढ़ा है. अप्रैल से जुलाई 2021 के दौरान उत्पाद शुल्क कलेक्शन एक लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 67,895 करोड़ रुपये था.

पेट्रोल और डीजल के जीएसटी के दायरे में लाने से सरकार की आमदनी घट जाएगी. इसलिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार, इसे जीएसटी के दायरे में शामिल नहीं करना चाहती है.

Source : TV9

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