सोबन सिंह जीना बेस अस्पताल में आने वाले 70 प्रतिशत मरीजों को ज्यादातर दवाएं बाजार से खरीदनी पड़ रही हैं। दवा मिलने की उम्मीद में बेस में इलाज के लिए आने वालों को झटका लग रहा है। सबसे ज्यादा खामियाजा आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों को झेलना पड़ रहा है। ‘हिन्दुस्तान’ की टीम ने बेस अस्पताल में इलाज के लिए आए मरीजों से सुबह 11 से दोपहर 1 बजे तक करीब 40 मरीजों से बातें की। जिनमें से करीब 28 ने बताया कि उन्हें बाहर से दवा खरीदनी पड़ी है।

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ज्यादातर ने बताया कि अस्पताल की फार्मेसी से उन्हें दो-तीन दवा ही मिल रही हैं अन्य दवाएं बाजार से खरीदनी पड़ रही हैं। त्वचा रोग और हड्डी रोग से संबंधित दवाओं के लिए मरीजों को सबसे ज्यादा परेशान होना पड़ रहा है। कई मरीज त्वचा संबंधी, खांसी की सिरप, मल्टीविटामिन, मोतियाबिंद की दवा, श्वास संबंधी दवाएं बाजार से खरीदते मिले। आरोप है कि कुछ डॉक्टर जानबूझ कर महंगी ब्रांडेड दवा लिख रहे हैं। यह अस्पताल में भर्ती मरीजों के साथ भी हो रहा है।

आधा दर्जन से ज्यादा दुकानों में मरीज

बेस अस्पताल के सामने करीब आधा दर्जन से ज्यादा दवा की दुकानें हैं। अस्पताल में डॉक्टर से जांच कराकर मरीज इन दुकानों पर दवा लेने जाते हैं। इनसे से ज्यादातर की ब्रिक्री बेस अस्पताल में दवा उपलब्ध नहीं होने या फिर डॉक्टर के ब्रांडेड दवा लिखने के चलते होती है।

Source: Live Hindustan

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