प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आज जन्मदिन है. इस मौके पर पूरा देश उन्हें शुभकामनाएं भेज रहा है. इस मौके पर टीवी 9 भारतवर्ष की टीम ने उनसे जुड़े कई दिलचस्प किस्से तलाशे. पीएम मोदी के गांव, उनके दोस्त और शिक्षकों ने उनसे जुड़ी कई दिलचस्प बातें बताईं. इस दौरान उन्होंने पीएम मोदी के बचपन के नाम और उनके कामों के बारे में बताया. साथ ही उन्होंने उस लाइब्रेरी के बारे में भी जानकारी दी जहां से पीएम मोदी में राष्ट्रवाद की भावना जागृत हुई. आइए जानते हैं इन किस्सों के बारे में…

लाइब्रेरी में टीकम लाल से मुलाकत हुई, जो लाइब्रेरी के कर्ताधर्ता हैं. टीकम भाई ने युवा नरेंद्र को घंटों किताबों में डूबे रहते देखा है. किताबों में भी युवा नरेद्र को विवेकानंद को पढ़ना सबसे ज्यादा पसंद था. दरअसल विवेकानंद का असली नाम भी नरेंद्र था. इसलिए मोदी उनके साथ खुद को जोड़ पाते थे. इसी लाइब्रेरी में विवेकानंद की किताबों ने मोदी को सींचा. उनके अंदर राष्ट्रवाद का बीज बोया.

मोदी जब सीएम बने तो अपनी पहली शिक्षिका को नहीं भूले. लाइब्रेरी के निर्माण के लिए करोड़ों रुपए की राशि दी. टीकम लाल ने बताया कि वो (मोदी) इधर आए थे तो उनसे मुलाकात हुई थी. लाइब्रेरी के लिए 4 करोड़ रुपए मंजूर हुए हैं. शहर में अब नई लाइब्रेरी बन रही है.

लाइब्रेरी में ही नरोत्तम भाई मोदी से मुलाकात हुई. ये मोदी के साथ ही लाइब्रेरी में घंटों पढ़ाई करते थे. मोदी से उम्र में 16 साल बड़े थे इसलिए मोदी प्यार से इन्हें चाचा बुलाते थे. वडनगर की लाइब्रेरी में बैठने वाला हर युवा खुद में मोदी को खोजता है.

पीएम मोदी नरिया कहकर बुलाते थे टीचर

वडनगर के बीएन हाईस्कूल से पीएम मोदी ने पढ़ाई की. मोदी को पढ़ाने वाले प्रह्लाद पटेल अब रिटायरमेंट के बाद आराम से अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं. उन्हें हर पल सुकुन रहता है कि उनका सींचा पौधा अब वटवृक्ष बन गया है, जिसे देश ही नहीं दुनिया भी सलाम कर रही है.

वो बताते हैं, ‘उस समय मैं हाई स्कूल का टीचर था, 9, 10 और 11 तक मैंने नरेंद्र को गुजराती और संस्कृत पढ़ाया. स्कूल के हर प्रोग्राम में वो एक्टिव रहता था. मेरे पास आकर पहले ही बता देता था कि हिस्सा लेना है. मुझे एक बार मिलने का मौका मिला तो उसने पूछा कि आप मुझे पहचानते हो तो मुझे शुरुआत में कुछ याद नहीं आया. फिर उसने मुझे बोला कि मैं आपका नरेंद्र, जिसे आप नरिया बोलते थे. तब मुझे सब याद आ गया. मैं नरेंद्र कहकर बुलाता था, पास में होता था तो नरिया भी कहता था.

प्रह्लाद सर के मुताबिक युवा नरेद्र क्लास में सच बोलने से नहीं डरते थे. वो गंभीर भी थे और शरारती भी. प्रह्लाद भाई के पढ़ाए कई लड़के आज ऊंचे पद पर हैं. वो भले ही अपने टीचर से मिलने ना आए हों, लेकिन जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बने तो प्रह्लाद सर समेत अपने हर टीचर को सम्मानित किया था. वो किस्सा सुनाकर बुजुर्ग हो चुके प्रह्लाद सर भावुक हो जाते हैं.

वडनगर की गलियों में बचपन गुजरने वाले पीएम मोदी के बचपन के किस्से आज भी उनके मित्र खूब चहक के बताते हैं. मोदी के 50 साल पुराने दोस्त जासुद खान के पास मोदी से जुड़ी यादों का पिटारा है. उन्होंने बताया कि वो (मोदी) बाजा बजाते थे. तालाब में नहाने जाते थे. जंपिग करते थे. खेल में भी हम साथ में थे. कबड्डी और खोखो खेलते थे. तालुका लेवल तक खेला. स्विमिंग भी की है.

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मोदी को बचपन में एनडी के नाम के पुकारते थे दोस्त

जासूद भाई की मुलाकात जब मोदी से 30 साल बाद हुई तो मोदी ने उन्हें झट से पहचान लिया. यहां मोदी का एक नया नाम भी पता चला जिसे शायद ही कोई जानता होगा. जासूद भाई बताते हैं कि पीएम बनने के बाद उन्हें नरेंद्र भाई कहकर बुलाते हैं लेकिन जब हाल में मुलाकात के दौरान जासूद भाई ने पीएम मोदी को एनडी के नाम से पुकारा तो वो हंस पड़े. बचपन में वो इसी नाम से पीएम मोदी को पुकारा करते थे.

प्रधानमंत्री बनने के बाद भी मोदी अपनी जन्मभूमि को नहीं भूले. मुख्यमंत्री बनने के बाद से मोदी ने वडनगर में जमकर विकास किया. यहां आधुनिक बस स्टैंड है, जिसे वर्ल्ड क्लास बनाया गया है. दुकानें बनाई गई हैं. एयरपोर्ट पर फ्लाइट का स्टेटस एलईडी जैसी लाइटें लगी हैं. एलईडी स्क्रीन भी लगी हुई है. वडनगर के मेडिकल कॉलेज के बाहर से WT, 600 बेड का अस्पताल है. एक एनजीओ अस्पताल की दीवार पर अलग-अलग पेंटिंग बना रही है. अलग-अलग जगह से आर्टिस्ट आए हैं.

वडनगर में स्कूल हैं, कॉलेज हैं, बड़े अस्पताल हैं. युवाओं को रोजगार लायक बनाने वाले पॉलिटेक्निक कॉलेज भी है. इन चीजों के लिए स्थानीय लोगों ने उन्हें धन्यवाद कहा है. स्थानीय निवासी उपेन्द्र बताते हैं कि पीएम मोदी जब सीएम थे तब वडनगर में जवाहर नवोदय बनवाया था. पॉलिटिकल कॉलेज बनाया. मेडिकल कॉलेज को भी बड़ा बनवाया.

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