मुजफ्फरपुर, [प्रमोद कुमार]। एक-एक कर चाल साल बीत गए, लेकिन शहरवासियों की स्मार्ट सिटी की तलाश पूरी नहीं हो पाई। कागजी कार्य छोड़ दें तो चार साल पहले हम जहां खड़े थे अब भी वहीं हैं। स्मार्ट सिटी के नाम पर डीपीआर बनाने और फिर रद करने, एजेंसी बहाल करने एवं हटाने, कंपनी के पदाधिकारियों की बहाली करने और फिर हटाने में ही चार साल बीत गए। इस मिशन को जमीन पर उतारने की जवाबदेही जिन सरकारी अधिकारियों, प्रमंडलीय आयुक्त एवं नगर आयुक्त पर थी बदलते रहे। हां इस बीच सरकार से मिली राशि जरूर खर्च होती रही, भले एक भी योजना जमीन पर उतरी या नहीं। साढ़े तीन साल बाद सरकार की आंख खुली और स्मार्ट सिटी मिशन की कमान प्रमंडलीय आयुक्त से लेकर नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव को सौंपी गई। इससे काम में तेजी आई। दर्जनभर योजनाएं जमीन पर उतरने को एक कदम चलीं, लेकिन फिर सब पर ब्रेक लग गया।

वर्ष 2017 में आज ही के दिन हुआ था शहर का चयन

दो दौर में पिछडऩे के बाद 23 जून 2017 को तीसरे चरण में शहर का स्मार्ट सिटी के लिए चयन किया गया था। इस पर शहर में एक साल होली एवं दीपावली मनी थी। 03 अक्टूबर 2017 को राज्य सरकार ने मुजफ्फरपुर को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने एवं एसपीवी का गठन और योजना पर खर्च के लिए 1580 करोड़ के प्रस्ताव को मंजूरी दी। 21 अप्रैल 2018 को कोलकाता की कंपनी श्रेयी इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस लिमिटेड को प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसल्टेंट के रूप में चुना गया और उसे योजना को जमीन पर उतारने का जिम्मा मिला। बीते वर्ष कंपनी के पदाधिकारियों की पहले बहाली हुई फिर इसे रद कर दिया गया। चालू माह में एकबार फिर बहाली हुई है। आज की बात करें तो अब तक स्मार्ट सिटी मिशन की एक भी योजना जमीन पर नहीं उतरी। आधा दर्जन योजनाओं पर काम शुरू हुआ, लेकिन एक कदम चलने के बाद ब्रेक लग गया।

एजेंसी की बहाली व कार्यादेश के बाद भी नहीं दिख रहा कार्य

साल की शुरुआत में लगा कि अब स्मार्ट सिटी की योजनाएं तेजी से जमीन पर उतरेंगी। दर्जनभर योजनाओं के कार्यान्वयन को एजेंसी की बहाली एवं कार्यादेश जारी होने के बाद यह उम्मीद जगी थी। दो-चार योजनाओं पर काम भी शुरू हुआ, लेकिन दो-चार दिन बाद ही सबकुछ ठप हो गया। कहां जा रहा है कि कंपनी के पदाधिकारियों की बहाली रद कर फिर से बहाल किए जाने की प्रक्रिया शुरू करने से सारा काम ठप हो गया। महापौर एवं निदेशक स्मार्ट सिटी कंपनी सुरेश कुमार ने कहा कि योजनाओं को पूरा करने का जिम्मा स्मार्ट सिटी कंपनी के पास है। वे महज कंपनी के एक डायरेक्टर हंै। चार साल में एक भी योजना जमीन पर नहीं उतरी इसका उन्हें भी दुख है। उम्मीद है इस साल के अंत तक कुछ दिखाई पडऩे लगेगा।

इन योजनाओं को मिल चुकी है काम की हरी झंडी

– बैरिया चौक से लक्ष्मी चौक, इमलीचट्टी होते हुए धर्मशाला चौक तक स्पाइनल रोड : 38.75 करोड़ की लागत से बनने वाली इस सड़क के निर्माण का जिम्मा खोखर इंफ्रास्ट्रक्चर प्रा.लि. को दिया गया है।

– धर्मशाला चौक से टाउन थाना, तिलक मैदान, टावर चौक होते हुए अखाड़ाघाट पुल तक पेरीफेरल रोड : 20.73 करोड़ की इस योजना का काम भी खोखर इंफ्रास्ट्रक्चर प्रा.लि. को दिया गया है।

– टाउन थाना से कल्याणी होते हुए हरिसभा चौक तक स्मार्ट सड़क : 5.67 करोड़ की इस योजना का जिम्मा लिली कंस्ट्रक्सन को दिया गया है।

– सिकंदरपुर में मल्टीपरपज स्पोट्र्स स्टेडियम : 19.80 करोड़ की इस योजना के कार्यान्वयन का जिम्मा साई इंजीकान एंड कंस्ट्रक्सन प्रा.लि. को दिया गया है।

– तिलक मैदान रोड में म्युनिसिपल शाङ्क्षपग मार्ट का निर्माण : 14 करोड़ की इस योजना का जिम्मा भारत इंफ्राकान प्रा.लि. को मिला हुआ है।

– फेस लिङ्क्षफ्टग आफ सूतापट्टी, इस्लामपुर एवं टावर चौक : 28.91 करोड़ की यह योजना श्रीराम सागर कंस्ट्रक्शन के पास है।

– शहर के आधा दर्जन चौक-चौराहों को सुगम बनाने का काम करने के लिए मानमर्दन शुक्ला कंस्ट्रक्शन कंपनी का चयन किया गया है। योजना पर 5.21 करोड़ खर्च होगा। – कंपनी बाग में इंटीग्रेटेड कमांड एवं कंट्रोल सेंटर भवन के निर्माण की 11.19 करोड़ की योजना का काम संवेदक अशोक चौधरी को मिला है।

– शहर में 25 स्थानों पर स्मार्ट मिनी बस एवं ई-रिक्शा स्टाप का निर्माण : चार करोड़ की इस योजना के कार्यान्वयन का जिम्मा दुर्गा कंस्ट्रक्शन को दिया गया है।

– इमलीचट्टी एवं बैरिया में 0.62 करोड़ की लागत से पर्यटन सूचना केंद्र के निर्माण का जिम्मा ठीकेदार देवेंद्र सिन्हा को दिया गया है।

– शहरवासियों को जागरूक करने का जिम्मा एन2 ई2 एजेंसी को दिया गया है। उसे सालाना 89 लाख रुपये मिलेगा।

Source : Dainik Jagran

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