सादगी और संयम का प्रतीक महापर्व छठ उगते और डूबते सूर्य की पूजा करने वाला एकमात्र पर्व है. यह कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष में षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. लोकपर्व छठ सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है. यह पर्व दिवाली के 6 दिन बाद मनाया जाता है. बता दें कि इस साल 8 नवंबर को छठ का पहला दिन था जिस दिन नहाए खाए के साथ पर्व की शुरुआत हुई, 10 नवंबर यानि आज छठ पूजा का तीसरा दिन है जब श्रद्धालु घाटों पर संध्या अर्घ्य देने पहुंचेंगे. 11 नवंबर यानी चौथे दिन छठ पूजा का उषा अर्घ्य दिया जाएगा और इसके साथ ही महापर्व छठ का पारण होगा. मुख्य रूप से उत्तर भारत के राज्यों बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में इसे लोग आस्‍था के साथ मनाते हैं. इस पर्व में सूर्य देव और छठी मइया की पूजा विधि-विधान से की जाती है.

इसलिए दिया जाता है डूबते सूर्य को अर्घ्य

मान्यता है कि शाम के समय सूर्य देव अपनी अर्धांगिनी देवी प्रत्युषा के साथ समय बिताते हैं. यही वजह है कि छठ पूजा में शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य देते समय उनकी पत्नी देवी प्रत्युषा की भी उपासना की जाती है. ऐसा करने से व्रती की मनोकामनाएं जल्द पूर्ण होती हैं. यह भी मान्‍यता है कि डूबते सूर्य को अर्घ्य देने से जीवन की कई समस्याओं, स्वास्थ्य समस्‍याओं आदि से छुटकारा मिलता है.

इस तरह शुरू हुई ये परंपरा

पौराणिक कथाओं के मुताबिक, छठी मैया को ब्रह्मा की मानसपुत्री और भगवान सूर्य की बहन माना गया है. छठी मैया निसंतानों को संतान प्रदान करती हैं. संतानों की लंबी आयु के लिए भी यह पूजा की जाती है. वहीं यह भी माना जाता है कि महाभारत के युद्ध के बाद अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे का वध कर दिया गया था. तब उसे बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तरा को षष्ठी व्रत (छठ पूजा) रखने की सलाह दी थी.

सप्तमी के दिन छठ का पारण

छठ का चौथा दिन यानी कि सप्तमी के दिन सुबह उगते सूरज को अर्घ्य देकर विधि-विधान से पूजा संपन्‍न की जाती है. इस दिन घाटों पर खास रौनक दिखती है और महिलाएं छठी माता के गीत गाती हैं. सूर्योदय के साथ ही सुबह का अर्घ दिया जाता है और इस तरह छठ पूजा का पारण यानी समापन होता है. इसके बाद ही घाटों पर प्रसाद दिया जाता है.

(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित हैं. मुजफ्फरपुर नाउ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)

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