पटना. जातिगत जनगणना के मुद्दे को लेकर महाराष्ट्र सरकार की अपील पर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के हलफनामे के बाद से ही बिहार की सियासत में उबाल है. बिहार एनडीए के भीतर जहां भाजपा और जदयू के बीच बयानबाजी जारी है, वहीं मुख्य विपक्षी दल राजद के नेता तेजस्वी यादव ने सीधे-सीधे सीएम नीतीश कुमार को अल्टीमेटम दे दिया है. तेजस्वी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि जातिगत जनगणना की लड़ाई हम जारी रखेंगे. तीन दिन का समय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी के पास है. वह अपना स्टैंड तीन दिन में क्लीयर करें. इसके बाद हम लोग यह तय करेंगे कि इस लड़ाई को आगे कैसे लेकर चलना है? बता दें कि जातिगत जनगणना की मांग विभिन्न राज्य सरकारें कर रही हैं, लेकिन बिहार में इसको लेकर सियासत अधिक सक्रिय है.

बिहार की सियासत में जातिगत जनगणना का मुद्दा लगातार चर्चा में है. विशेषकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव इस मुद्दे को बार-बार उठाया हैं. उनके दबाव के बाद ही बिहार के राजनीतिक दलों का एक डेलिगेशन बीते 23 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलकर देश में जातीय जनगणना करवाने की मांग कर चुका है. इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व सीएम नीतीश कुमार कर रहे थे और इसमें राजद के तेजस्वी यादव व भाजपा के नेता समेत 10 सियासी पार्टियों के 11 सदस्य शामिल थे.

गौरतलब है कि राजद की पहल पर जातिगत जनगणना के लिए बिहार विधानसभा से दो बार प्रस्ताव भी पास किया गया है. हालांकि केंद्र सरकार ने बीते दिनों लोकसभा में साफ़ कह दिया था कि सरकार इसको लेकर कोई विचार नहीं कर रही है. हालांकि, जब सीएम नीतीश कुमार ने इसको लेकर पीएम मोदी से 4 अगस्त को पत्र लिखा और बिहार के सियासी पार्टियों के मिलने का आग्रह किया तो पीएम ने बिहार के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की थी. तब मीटिंग से बाहर आए नेताओं ने कहा था कि पीएम ने इस मामले पर विचार करने की बात कही है. पर अब केंद्र सरकार के दोबारा इनकार के बाद फिर से बिहार की सियासत गर्म हो गई है.

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बता दें कि केंद्र सरकार की ओर से आधिकारिता मंत्रालय द्वारा दायर हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट से कहा गया है कि वह ऐसा कोई निर्देश न दे जिसमें 2021 की जनगणना में OBC को शामिल किया जाए. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी है कि पिछड़े वर्ग की जातिगत जनगणना कराना प्रशासनिक रूप से कठिन और जटिल काम है. शीर्ष कोर्ट में दायर हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा है कि सामाजिक आर्थिक व जाति जनगणना 2011 अशुद्धियों से भरी हुई है. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि SECC-2011 सर्वे ओबीसी सर्वेक्षण नहीं है जैसा आरोप लगाया जाता है बल्कि यह सभी घरों में जातीय स्थिति जानने की प्रक्रिया थी.

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