साल 2021 में प्रस्तावित जनगणना जाति के आधार पर हो इस बाबत बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. इस दौरान उनके साथ 10 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल भी मौजूद था. सभी ने प्रधानमंत्री ने मिलकर जाति के आधार पर जनगणना कराने की मांग की और मौजूदा समय में ये क्यूं जरूरी है इस संबंध में अपनी राय रखी. सूबे के मुखिया नीतीश कुमार समेत विपक्ष के नेता जातीय जनगणना की मांग पर टिके हुए हैं और प्रधानमंत्री से इस विषय में सकारात्मक फैसला लेने की अपील कर रहे हैं.

जाति आधारित जनगणना का किया विरोध

हालांकि, बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सीपी ठाकुर ने इसे गलत बताया है. बुधवार को उन्होंने कहा कि जनगणना  का आधार जाति नहीं बल्कि आर्थिक स्थिति होना चाहिए. प्रधानमंत्री पर जातिय जनगणना के लिए दबाव बनाना उचित नहीं है. उन्होंने कहा हमारी स्पष्ट समझ है कि जनगणना अगर हो तो अमीरी और गरीबी के आधार पर हो. जातीय जनगणना समाज को बांटने की साजिश है.

बीजेपी नेता ने कहा, “ हमारा देश पूरे विश्व के लिए वसुधैव कुटुंबकम् का संदेश देता है. जाति में समाज को बांटने का क्या मतलब है? सभी भारत माता के संतान हैं. हमारे पार्टी का स्टैंड है सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास.”

हर जाति में होते हैं गरीब और अमीर

पूर्व केंद्रीय ने कहा, “ गरीब और अमीर हर जाति में होते हैं. गरीबी की कोई जाति नहीं होती, गरीब केवल ‘गरीब’ होता है. आवश्यकता है कि देश में जाति नहीं बल्कि गरीबी के आधार पर जनगणना हो. बिहार में अभी बहुत काम करना बाकी है. जरूरत है बिहार में उद्योग, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे सेवाओं को सुदृढ़ करने का. इसलिए जनगणना के बजाय इन चीजों पर फोकस करने की जरूरत है.“

सीपी ठाकुर ने कहा, “ दुनिया बहुत आगे निकल चुकी है और हम अभी भी जात-पात पर ही अटके हैं. जाति आधारित जनगणना से देश को कोई फायदा नहीं होगा. जनगणना समाज हित के लिए हो, राजनीतिक हित के लिए नहीं.”

Source : ABP News

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