तमिलनाडु में शादी के लिए लड़कियों की इस कदर किल्लत हो गई है कि उन्हें इसके लिए अब बिहार-यूपी जैसे बड़े राज्यों का सहारा लेना पड़ रहा है. तमिलना़डु के ब्राह्मण संघ ने बिहार और उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण दुल्हनों की तलाश के लिए अभियान शुरू किया है. दरअसल इसकी वजह तमिलनाडु के 40000 से अधिक युवा तमिल ब्राह्मणों को राज्य में ब्राह्मण कन्या का न मिलना है. तमिलनाडु के 40 हज़ार से अधिक युवा तमिल ब्राह्मणों को राज्य के भीतर अपने लिए दुल्हन ढूंढना मुश्किल पड़ रहा है, ऐसे में तमिलनाडु स्थित ब्राह्मण संघ ने बिहार के अलावा उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण दुल्हन की तलाश के लिए विशेष अभियान शुरू कर दिया है.

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तमिलनाडु ब्राह्मण एसोसिएशन थंब्रास के अध्यक्ष एन नारायणन ने एसोसिएशन की मासिक तमिल पत्रिका के नवंबर अंक में प्रकाशित एक खुले पत्र में इस बात की चर्चा की है. एम नारायणन ने लिखा है कि हमने अपने संगम की ओर से एक विशेष आंदोलन शुरू किया है. मोटे तौर पर अपने अनुभवों को शेयर करते हुए नारायणन ने लिखा है कि 30 से 40 आयु वर्ग के 40 हज़ार से अधिक तमिल ब्राह्मण शादी नहीं कर सके क्योंकि वह तमिलनाडु के अंदर अपने लिए दुल्हन ढूंढने में सफल नहीं रहे हैं. अनुमानित आंकड़ा बताते हुए नारायणन ने कहा है कि अगर तमिलनाडु में विवाह योग्य आयु वर्ग में 10 ब्राह्मण लड़के हैं तो इस आयु वर्ग में लड़कियों की संख्या केवल 6 है. एसोसिएशन प्रमुख द्वारा अपने पत्र में इस बात की भी चर्चा की गई है इस पहल को आगे बढ़ाते हुए दिल्ली के अलावा पटना और लखनऊ में समन्वयक लोगों की नियुक्ति की जानी है.

नारायणंन ने आगे कहा है कि हिंदी में पढ़ने लिखने और बोलने में सक्षम व्यक्ति को यहां एसोसिएशन के मुख्यालय में समन्वयक की भूमिका निभाने के लिए नियुक्त किया जाएगा. प्रमुख ने आगे इस बात की चर्चा की है कि वे पटना और लखनऊ में अपने लोगों के लगातार संपर्क में है और इस पहल को अमल में लाने के लिए प्रक्रिया जल्द ही शुरू की जा सकती है. नारायणन ने लिखा है कि मैंने इस संबंध में अपनी तरफ से पहल शुरू भी कर दी है. थंब्रास की इस पहल का ब्राह्मण समुदाय में लोगों ने सहर्ष स्वागत किया है.

इस मामले में समुदाय में लोगों के अलग से विचार भी सामने आए हैं. शिक्षाविद एम परमेश्वरन की मानें तो विवाह योग्य आयु वर्ग में पर्याप्त संख्या में तमिल ब्राहमण उपलब्ध नहीं है हालांकि लड़कों को दुल्हन नहीं मिल पाने का यही एकमात्र कारण नहीं है. उनके विचार में भावी दूल्हा के माता-पिता शादियों में धूमधाम और दिखावे की उम्मीद क्यों करते हैं. उन्होंने लिखा है कि आभूषण, मैरेज हॉल का किराया, भोजन और उपहारों पर खर्च इन दिनों आसानी से कम से कम 12 से 15 लख रुपये पड़ रहा है. उन्होंने कहा है कि मैं व्यक्तिगत रूप से ऐसे गरीब ब्राह्मण परिवारों को जानता हूं जो अपनी बेटियों की शादी के लिए धन जुटाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. अगर अच्छे लोग अपने अहंकार का परित्याग कर दें तो ऐसे में तमिलनाडु में ही दुल्हन मिल सकती है.

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दुल्हन की तलाश कर रहे एक युवक अजय ने कहा कि अब तमिल तेलुगू ब्राह्मण विवाह या कन्नड़ भाषी भाषाओं और तमिल्मासी वासियों के बीच शादियों को देखना असामान्य नहीं है. उसकी मानें तो कई दशक पहले ऐसा कुछ अकल्पनीय था, हालांकि पहले भी हमने उत्तर भारतीय और तमिल ब्राह्मणों के बीच परिवार की रजामंदी से विवाह होते देखा है.

Input : News18

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