पूर्णिया. 21 हजार का एक आम और दो लाख 70 हजार रुपये का एक किलो. सुनने में जरुर आश्चर्य हो रहा होगा, लेकिन ये सच है. बिहार के पूर्णिया में पूर्व विधायक कामरेड अजीत सरकार के घर में ये खास और अनोखा आम का पेड़ है, जिसका फल विश्व में सबसे महंगा माना जाता है. लाल रंग के इस आम का जापानी नाम है ताइयो नो तमागो जिसको भारत में ‘मियाजाकी आम’ के नाम से भी जाना जाता है. यह विश्व का सबसे महंगा आम है. आम के पेड़ के मालिक और पूर्व विधायक स्वर्गीय अजीत सरकार के दामाद विकास दास कहते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय मार्केट में यह आम 21 हजार रुपये पीस और दो लाख 70 हजार रुपये किलो तक बिका है.

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आम की सुरक्षा के लिए CCTV कैमरे 

विकास दास कहते हैं कि आम की सुरक्षा के लिये हमने सीसीटीवी कैमरा और केयर टेकर रखा हुआ है. उन्होंने कहा कि यह आम लाल कलर का होता है और आम में जिस भाग में सूर्य की रोशनी पड़ती है वह भाग लाल हो जाता है. इस आम का मंजर सुनहरा होता है, जो काफी आकर्षक दिखता है. उन्होंने कहा कि पहले उन्हें भी इस आम की कीमत और खासियत पता नही था. तीस साल पहले किसी ने अजीत सरकार की बेटी को यह आम का पौधा तोहफे के रुप में दिया था. जिसको उन लोगों ने अपने घर के दरवाजे पर ही लगा दिया. उन्होंने कहा कि जब उसने गूगल और अन्य जगहों पर इस आम के बारे में पता किया तब उन्हें इसकी खासियत के बारे पता चला. वहीं आम की सुरक्षा में लगे केयर टेकर चंदन दास का कहना है कि यह आम खाने में काफी स्वादिष्ट होता है. इस आम में अन्नानास और नारियल का भी स्वाद आता है.

बिहार के पूर्णिया में जापानी मियाजाकी आम का एक पेड़ लगा है, इस आम के एक किलो की कीमत 2.70 किलोग्राम है.

इसलिए खास और कीतमी है ये आम 

मियाजाकी आम की पैदावार मुख्य रूप से जापान में होती है. यह आम जापान के क्यूशू प्रांत की मियाजाकी शहर में उगाया जाता है. इसी के आधार पर इसका नामकरण किया गया है. इनका साइज भी काफी बड़ा होता है. एक आम का वजन 300 से 400 ग्राम के बीच होता है. जापान में यह आम अप्रैल से अगस्त के बीच होता है. लाल रंग के इस आम में एंटीऑक्सिडेंट की भरपूर मात्रा होती है. इनमें बीटा कैरोटीन और फोलिक एसिड भी प्रचुर मात्रा में होता है. यह आम स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक बताया जाता है. यही वजह है कि खरीदार इसकी मुंहमांगी कीमत देने को तैयार रहते हैं. मियाजाकी इरविन आम का एक प्रकार है, जोकि पीले रंग के ‘पेलिकन आम’ से अलग होता है, जिसे आम तौर पर दक्षिण पूर्व एशिया में उगाया जाता है.

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Source : News18

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