देश के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण ने रविवार को कहा कि मधुमेह ताउम्र सताने वाली एक महंगी बीमारी है। ऐसे में यह जरूरी है कि सरकार मरीजों की देखभाल के लिए जरूरी सहायता और सब्सिडी प्रदान करे।
जस्टिस रमण ने एक संगोष्ठी में यह टिप्पणी की। उन्होंने मधुमेह को गरीबों का दुश्मन बताते हुए कहा कि स्थानीय आबादी को ध्यान में रखकर सिर्फ भारतवासियों पर शोध कराना अनिवार्य है। इससे सही उपचार प्रक्रिया विकसित करने में मदद मिलेगी। बीमारी से निपटने के लिए और अधिक स्वास्थ्य पेशेवरों को प्रशिक्षित करना होगा।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, कोरोना ने बता दिया है कि हमारी स्वास्थ्य प्रणाली पर अत्यधिक बोझ है। ऐसे में मधुमेह का इलाज के लिए आधुनिक दवाएं विकसित करना समय की मांग है। भारतीय वैज्ञानिक और शोधकर्ताओं ने चंद महीनों में कोरोना टीका विकसित कर लिया, यह खुशी की बात है। पर हम मधुमेह के लिए एक स्थायी इलाज खोजने के करीब भी नहीं हैं, जो एक पुरानी बीमारी है। मेरी एक ही इच्छा है कि इसका इलाज मिल जाए।
भारत-चीन में सबसे ज्यादा वयस्क मरीज
इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन की रिपोर्ट बताती है कि चीन और भारत में सबसे अधिक मधुमेह के वयस्क मरीज हैं। भारत में यह खतरा बढ़ रहा है।
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