मुजफ्फरपुर : शहर की सड़कों का लोड कम करने के लिए आसपास के इलाके में बन रहे पुल की कनेक्टिविटी बढ़ाई जाएगी। इस कड़ी में आथर घाट पर बूढ़ी गंडक नदी पर बने रहे पुल के संपर्क पथ को विस्तार दिया जा रहा है। साथ ही द्वारिकानगर से बिंदा लगभग दो किमी लंबी सड़क बांध पर बनाई जाएगी। दोनों योजनाओं का प्राक्कलन तैयार कर लिया गया है।

मालूम हो कि आथर घाट में लंबे आंदोलन के बाद पुल का निर्माण पूरा हुआ है। तत्कालीन डीएम अनुपम कुमार ने देवव्रत सहनी एवं अन्य आंदोलनकारियों की मांग मानते हुए इसकी अनुशंसा की थी। इसके बाद पुल बनकर तैयार हो गया है, मगर संपर्क पथ का काम पूरा नहीं होने से आवागमन सुचारू नहीं हो सका है। बरसात के कारण संपर्क पथ के लिए जो मिट्टी भराई का कार्य हुआ था वह भी खराब हो गया। संपर्क पथ के विस्तार एवं बांध पर नई सड़क के निर्माण से क्षेत्र के लोगों के लिए आवागमन सुलभ हो जाएगा।

प्राक्कलन के अनुसार द्वारिकानगर से बिंदा तक 1.900 किमी बांध सड़क का निर्माण होगा। इसके लिए छह करोड़ 44 लाख रुपये खर्च होंगे।वहीं आथर से बखरी चौक तक सड़क के बीच 60 और 90 मीटर के दो छोटे पुल का निर्माण किया जाएगा। यहां 2.590 किमी सड़क का निर्माण होगा।

आथर से बखरी चौक तक सड़क पर बनेंगे दो छोटे-छोटे पुल संपर्क पथ को दिया जा रहा विस्तार

मुजफ्फरपुर : जिले को नेपाल से जोड़ने वाले एनएच-527सी के मझौली-चोरौत खंड में जमीन अधिग्रहण को लेकर नया पेच फंस गया है। जमीन अधिग्रहण के लिए भेजे गए 19 अभिलेख में त्रुटियां पाई गईं हैं। इनमें खादी ग्रामोद्योग संघ, जिला परिषद आदि की भी जमीन है। इसके अलावा कुछ अंश पर मकान आदि निर्मित है। इसके अलावा भी कई तरह की त्रुटियां हैं। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने सभी 19 अभिलेख को वापस कर दिया है। इसे संशोधित कर फिर से भेजने को कहा गया है।मालूम हो कि मझौली चौक से सीतामढ़ी के चोरौत तक जाने वाले एनएच के इस खंड के लिए जिले के 22 राजस्व ग्राम की करीब एक सौ हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया गया है। इसके मुआवजे की प्रक्रिया चल रही है। विवाद वाली जमीन की मुआवजा राशि कोर्ट में जमाकर अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी की जा रही है।

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राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के उप सचिव मनोज कुमार झा ने अभिलेख में त्रुटियों को लेकर समाहर्ता को पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि अभिलेख में प्रस्तावित भूमि का जल निकाय, सैरात, श्मशान, कब्रिस्तान, अतिक्रमण से मुक्त होने को प्रमाणित नहीं किया गया है। इसके अलावा इसका हस्तांतरण सशुल्क या नि:शुल्क होगा, यह स्पष्ट नहीं किया गया है। भूमि के कुछ अंश पर आवासीय मकान, बथान आदि निर्मित है। इसके अलावा प्रखंड स्तर से दुकान भी निर्मित है। कई के खतियान में गैर मजरूआ बिहार सरकार दर्ज है। यह खास है या आम स्पष्ट नहीं है। खादी ग्रामोद्योग संघ एवं जिला परिषद की जमीन भी प्रस्तावित है, मगर सहमति का दस्तावेज संलग्न नहीं है। एक अभिलेख की जमीन लक्ष्मीनिया देवी के नाम से बंदोबस्त है। उसकी जमाबंदी भी है। अभिलेख में जमाबंदी या बंदोबस्त रद करने का प्रमाण संलग्न नहीं है। उपसचिव ने अभिलेख की जांच का आग्रह समाहर्ता से किया है। साथ ही संशोधित कर प्रमंडलीय आयुक्त के माध्यम से भेजने का आग्रह किया है।

Source : Dainik Jagran

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