वाशिंगटन, एजेंसी। दुनिया में तबाही मचा देने वाले बेहद खतरनाक ऐस्टरॉयड बेनू नाम के एक खतरनाक उल्कापिंड की चर्चा हो रही है। नासा ने इसके धरती से टकराने को लेकर जानकारी दी है। हालांकि, यह उल्‍कापिंड पृथ्वी से कब तक टकराएगा, इस बारे में अभी तक वैज्ञानिक मौन थे। यह उन दो उल्कापिंड में से एक है, जिन्हें हमारे सोलर सिस्टम के लिए बेहद घातक माना जा रहा है। इस उल्कापिंड की चर्चा बीतें कई वर्षों से हो रही है।

बेहद खतरनाक उल्कापिंड

बेनू को लेकर बीते कई साल से चर्चा हो रही है। इसे बेहद खतरनाक उल्कापिंड कहा जाता है। यह आशंका व्‍यक्‍त की जा रही है कि उल्‍कापिंड धरती से टकरा सकता है। हालांकि, अब नासा के वैज्ञानिकों ने बता दिया है कि यह कब तक पृथ्वी से टकरा सकता है।

क्‍या है उल्‍कापिंड

  • दरअसल, उल्कापिंड उस कचरे को कहा जाता है, जो 4.5 अरब साल पहले सोलर सिस्टम के निर्माण के बाद बच गया था। ऐसे ही बेनू भी एक उल्कापिंड है, जो धरती से 100 मिलियन मील की दूरी पर स्थित है।
  • नासा के वैज्ञानिकों का कहना है कि यह सोलर सिस्टम के शुरुआती दिनों में बना था और पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के सबूत भी दे सकता है।
  • नासा के एक अंतरिक्षयान ओसीरसि-रेक्स (OSIRIS-REx) ने बेनू के पास करीब दो वर्ष व्‍यतीत किए हैं। ये उल्कापिंड 1650 फीट और 500 मीटर तक चौड़ा है।
  • ओसीरसि-रेक्स को वर्ष 2018 में इसलिए भेजा गया था, क्योंकि अमेरिका बेनू को लेकर काफी चिंता में था। अंतरिक्षयान साल 2020 में उल्कापिंड की सतह पर उतरने में कामयाब रहा। इसके बाद फिर इसने सैंपल लेना शुरू कर दिया।
  • अंतरिक्षयान ने ये सैंपल उल्कापिंड की सतह से अपने रोबोटिक आर्म की मदद से एकत्रित किए हैं। ओसीरसि-रेक्स ने जो पत्थर और मिट्टी एकत्रित किए हैं, वह 24 सितंबर, 2023 तक धरती पर लौटेंगे।
  • बेनू की खोज वर्ष 1999 में की गई थी। यह सितंबर 2135 में पृथ्वी के करीब पहुंच जाएगा। ऐसे में इसकी हमारी पृथ्वी से टक्कर भी हो सकती है।
  • नासा के वैज्ञानिक यह पता लगाने में जुटै हैं कि पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण और यार्कोव्स्की प्रभाव के रूप में जानी जाने वाली घटना इसके भविष्य के टकराने को कैसे प्रभावित करेगी।
  • कैलिफोर्निया में नासा की जेट प्रोपल्सन लैब में सेंटर फॉर नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट स्टडीज के वैज्ञानिक डेविड फारनोकिया ने कहा कि ओसीरसि-रेक्स के डाटा ने हमें काफी अहम जानकारी दी है।
  • डेविड फारनोकिया ने कहा हम अपने मॉडल की क्षमता का परीक्षण कर सकते हैं। जरनल इकारुस में प्रकाशित अध्ययन के वरिष्ठ लेखक डेविड ने आगे कहा कि हमने पहले कभी इस सटीकता के लिए उल्कापिंड के प्रक्षेपवक्र का मॉडल नहीं बनाया है।
  • डेविड ने कहा कि धरती पर इसका प्रभाव ज्यादा नहीं पड़ेगा, इसलिए हमें चिंता करने की जरूरत नहीं है। इसके पृथ्वी से टकराने की संभावना भी बहुत कम है, लेकिन ये सोलर सिस्टम के दो सबसे खतरनाक उल्कापिंड में से एक माना जाता है।
  • एक अन्य उल्कापिंड का नाम 1950 डीए है। शोधकर्ताओं का कहना है कि साल 2300 के बीच बेनू की पृथ्वी से टकराने की संभावना 1750 में से एक यानी 0.057 फीसद है।

Source : Dainik Jagran

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