आईजीआईएमएस और एम्स पटना में शनिवार को ब्लैक फंगस की दवाएं खत्म हो गईं। स्वास्थ्य विभाग से जरूरत के मुताबिक दवा की डोज नहीं मिलने से दोनों अस्पतालों में भर्ती मरीजों की जान सांसत में अटकी हुई है। एम्स में 85, जबकि आईजीआईएमएस में 98 मरीज भर्ती हैं। आईजीआईएमएस के 40 तो एम्स के 27 मरीजों का ऑपरेशन हो चुका है। इनके लिए एम्फोटेरिसिन इंजेक्शन देना बेहद जरूरी है।

जिनका ऑपरेशन होना है वैसे मरीजों के लिए यह इंजेक्शन जरूरी है। मगर शनिवार को आईजीआईएमएस में सिर्फ पांच वॉयल इंजेक्शन था, जबकि एम्स में खत्म हो चुका था। एम्स की डॉ. क्रांति भावना ने बताया कि इंजेक्शन नहीं होने पर पोसाकोनाजोल टैबलेट दिया जा रहा है पर यह इंजेक्शन जैसी कारगर नहीं है। आईजीआईएमएस के अधीक्षक डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि विभाग को मांग पत्र भेजा गया है। इंजेक्शन मिलने पर ही मरीजों को लग पाएगा।

मेडिकल कॉलेजों में होगा ब्लैक फंगस का इलाज

राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों में ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज होगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिया है कि सभी चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पतालों में इसके इलाज के लिए आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित करें। मुख्यमंत्री ने स्वयं ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है। कहा कि बिहार में ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि कोरोना से बचाव के लिए लगातार सावधानी जरूरी है। गौरतलब है कि बिहार में ब्लैक फंगस के नये मरीज पिछले कई दिनों से रोज सामने आ रहे हैं। राज्य में अब तक इस बीमारी के करीब 350 मरीज हो गए हैं। इनका इलाज पटना एम्स, पीएमसीएच और आईजीआईएमएस में चल रहा है। कई मरीज भर्ती हैं। कई- की मृत्यु भी हो गई है। आईजीआईएमएस में इन मरीजों के लिए 100 बेड का अलग वार्ड भी बनाया गया है। ब्लैक फंगस के मरीजों के लिए भी बेड की संख्या बढ़ाई गई है।

Input: live hindustan

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