देश का शायद ही कोई ऐसा राज्य होगा, जहां पर कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने अपना कहर नहीं बरपाया हो। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में कोरोना संक्रमितों के पुराने सभी रिकॉर्ड्स टूट गए। हालांकि, पिछले चंद दिनों में मामलों में कमी आई है, लेकिन अभी भी संक्रमण से उस तरह की राहत नहीं मिली है, जिसकी सरकार उम्मीद कर रही है। दूसरी लहर में सबसे ज्यादा चिंतित करने वाली बात बड़ी संख्या में बच्चों का पॉजिटिव होना है। सिर्फ कर्नाटक जैसे राज्य में ही पिछले दो महीने में 40 हजार से ज्यादा बच्चे कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। इन बच्चों की उम्र 9 साल से भी कम है।

कर्नाटक के कोरोना मामलों के अनुसार, 0-9 साल की उम्र के 39,846 और 10-19 उम्र के 1,05,044 बच्चे कोविड पॉजिटिव पाए जा चुके हैं। यह आंकड़ा इस साल 18 मार्च से 18 मई तक का है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल जब से कोरोना महामारी की शुरुआत हुई थी, तब से लेकर इस साल 18 मार्च तक 17,841 और 65,551 बच्चे कोविड से संक्रमित हुए थे। इस लिहाज से पिछली बार की तुलना में दूसरी लहर में तकरीबन दोगुने की रफ्तार से बच्चों को कोरोना संक्रमण हुआ है।

महामारी से मरने वाले बच्चों की बात करें तो पिछले साल से इस साल 18 मार्च तक 28 बच्चे कोविड का शिकार हुए थे, तो 18 मई तक 15 और बच्चों की मौत हो गई। डॉ. श्रीनिवास कासी कहते हैं कि इस बार जब कोई भी शख्स कोविड पॉजिटिव हो रहा है, उसके दो दिन के भीतर ही घर के बाकी सदस्य भी संक्रमित हो जा रहे हैं। कुछ मामलों में, बच्चे कोविड मरीजों के प्राथमिक संपर्क होते हैं। ज्यादातर मामलों में परिवार में सबसे पहले संक्रमित होने वालों में बच्चे ही होते हैं।

लेडी कर्जन अस्पताल के डॉक्टर ने आगे कहा, ”बच्चे काफी आसानी से संक्रमित होते हैं और फिर चूंकि वे ही बड़ों के सबसे ज्यादा संपर्क में आते हैं तो काफी तेजी से संक्रमण फैलता है। जैसे ही बच्चों में कोई भी लक्षण दिखाई दे, तुरंत ही उनके बड़ों को भी उनके साथ आइसोलेट हो जाना चाहिए।”

बच्चों की एक और डॉक्टर डॉ. सुपराजा चंद्रशेखर कहती हैं कि दस में से सिर्फ एक ही बच्चे को अस्पताल में भर्ती करवाने की जरूरत पड़ती है, बाकी के बच्चे आसानी से घर पर ही आइसोलेट होकर ठीक हो जाते हैं। हालांकि, उनकी सख्त देखभाल करनी पड़ती है। उन्होंने आगे कहा, ”जैसे ही बच्चों में लक्षण दिखाई दें, तुरंत ही उनका कोविड टेस्ट करवाना चाहिए। उनका ख्याल रखने के साथ ही उन्हें तुरंत ही आइसोलेट कर देना चाहिए। वहीं, बिना डॉक्टर की सलाह से बच्चों का सीटी स्कैन नहीं करवाना चाहिए।”

Input: Live Hindustan

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