तीसरी लहर के खतरे से बच्चों को बचाने के मद्देनजर युद्धस्तर पर तैयारी की जा रही है। यह बात सही है कि कोविड से बच्चों को खतरा है मगर सभी विशेषज्ञ शुरू से कह रहे हैं कि बड़ों के मुकाबले बच्चे ज्यादा आसानी से इस वायरस को मात देने में सक्षम हैं। हमने पटना, जमशेदपुर, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर, गाजियाबाद, गुरुग्राम, नोएडा, बरेली, प्रयागराज सहित तकरीबन बीस शहरों/जिलों से कोविड संक्रमित बच्चों (16 साल तक) के स्वास्थ्य का जायजा लिया तो एक सकूनभरी तस्वीर सामने आई। बच्चे बीमार पड़ रहे हैं, अस्प्तालों में भर्ती भी हो रहे हैं मगर 0.10 फीसदी को छोड़कर सब सकुशल हैं।
ऑस्ट्रेलिया के प्रतिरक्षा विज्ञानी मेलेनी नीलेंड का कहना है कि बच्चों के प्रतिरक्षा तंत्र को जैसे ही वायरस के बारे में पता चलता है वह बड़ों के मुकाबले ज्यादा ताकत के साथ काम करना शुरू कर देता है और वायरस को अपनी कॉलोनी बनाने से पहले ही खत्म करने में जुट जाता है। इसलिए कई बार ऐसा होता है कि वायरस से ग्रस्त होने के बावजूद आरटीपीसीआर टेस्ट में यह पकड़ में नहीं आता।
वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. गौरव सिरोही कहते हैं, ”बच्चों की रोगप्रतिरोधक क्षमता काफी मजबूत होती है। कोई भी वायरस बच्चों में काफी देरी से असर करता है। तीसरी लहर में छोटे बच्चों को लेकर चिंता वास्तव में हैं। यदि यह वायरस बच्चों के फेफडों को प्रभावित करेगा तो यह काफी घातक हो सकता है। ऐसे में बच्चोंं की रिकवरी रेट भी काफी कम होगा। यही कारण है कि आने वाली चिंता बच्चों को लेकर हैं।”
Input: live hindustan