बिहार में 30 जून को मौजूदा त्रिस्तरीय पंचायत राज संस्थाओं का कार्यकाल पूरा हो जाएगा. बिहार में कोरोना वायरस के चलते पंचायत चुनाव टल गए हैं. ऐसे अब 30 जून के बाद मौजूदा जनप्रतिनिधियों के अधिकार बने रहेंगे या छिन जाएंगे, इसे लेकर अबतक कोई फैसला नहीं हुआ है. जानकारी के अनुसार सरकार इसपर विचार कर रही है. सरकार मामले में कानूनी पक्षों समेत सभी पहलुओं पर विचार कर रही है. ऐसा माना जा रहा है कि सरकार एक अध्यादेश लाकर पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल बढ़ा सकती है.

पंचायत प्रतिनिधियों के कार्यकाल को लेकर राज्य में वैधानिक परिस्थिति सामने आ गई है. इससे निपटने के लिए पंचायती रात अधिनियम में कोई प्रावधान नहीं है. माना जा रहा है कि सरकार के पास अध्यादेश लाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है. जानकारी के अनुसार मामले विधि विभाग कानूनी पहलुओं पर विचार कर रहा है. इसके बाद ही आगे कोई फैसला लिया जाएगा.

अध्यादेश के अलावा कोई विकल्प नहीं

कोरोना वायरस की वजह से राज्य में लॉकडाउन लगा हुआ है. ऐसे में विधानसभा का सत्र भी नहीं बुलाया जा सकता. इस स्थिति में पंचायत प्रतिनिधियों के कार्यकाल को बढ़ाने का फैसला लेना है तो सरकार ने सामने अध्यादेश लाने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचता.


जल्द लिया जाएगा फैसला

जानकारी के अनुसार कार्यकाल पूरा होने से पहले सरकार कोई ठोस फैसला ले लेगी. अब दो ऑप्शन के बारे में सोचा जा रहा है. पहला पंचायत प्रतिनिधियों के अधिकारों को बरकरार रखना या दूसरा प्रशासनिक अधिकारियों को कार्यकारी अधिकार दे देना. दोनों की स्थिति में अध्यादेश ही लाना पड़ेगा. इसमें ज्यादा संभावना इसी की है कि अगल चुनावों तक प्रतिनिधियों के कार्यकाल को बढ़ा दिया जाए.

दोनों विकल्प पर विचार कर रही है सरकार

अध्यादेश लाने से पहले इसपर कैबिनेट की मंजूरी ली जाएगा. इसके बाद इसपर राज्यपाल के हस्ताक्षर लिए जाएंगे और ये लागू हो जाएगा. पंचायत राज विभाग मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि सरकार दोंनों विकल्पों पर विचार कर रही है. जल्द ही इस पर फैसला लिया जाएगा. विपक्ष भी मौजूदा प्रतिनिधियों का कार्यकाल बढ़ाने के पक्ष में हैं.

Input: tv9

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