पटना : सावधान हो जाइए। उल्लू के साथ अगर पकड़े गए तो आपको कम से कम तीन वर्ष की सजा हो सकती है। भारतीय वन्य जीव अधिनियम 1972 की अनुसूची-एक के तहत उल्लू संरक्षित है। यह विलुप्तप्राय जीवों की श्रेणी में शामिल है। इसके शिकार व तस्करी पर प्रतिबंध है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने इस संबंध में सभी जिलों के डीएम-एसपी को अलर्ट भेजा है। इसकी वजह यह है कि दीपावली के समय उल्लू की बलि देने की कुप्रथा है। यह अंधविश्वास है कि दीपावली के समय धन कमाने के लिए उल्लू की बलि दी जाए। सरकार ने इसके खिलाफ कैंपेन शुरू किया है। विज्ञापनों के माध्यम से यह कहा जा रहा है कि -माता लक्ष्मी की सवारी के साथ यह कैसी लाचारी? लोगों से उल्लू की रक्षा किए जाने की अपील की जा रही है।

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  • दीपावली के समय उल्लू की बलि देने की कुप्रथा
  • जिलों के डीएम व एसपी को पर्यावरण एवं वन विभाग ने भेजा अलर्ट

बिहार में सात किस्म के उल्लुओं की प्रजाति दिखती है

राज्य ब्यूरो, पटना : पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव दीपक सिंह का कहना है कि भारत में उल्लुओं की 30 किस्म की प्रजाति है। वहीं बिहार में उनकी सात किस्म की प्रजाति मुख्य रूप से पाई जाती हैं। इनमें सभी प्रजाति मुख्य रूप से जंगल और आबादी वाले इलाके में देखी जाती हैं। भारत में 13 किस्म के उल्लुओं की अवैध तस्करी के मामले सामने आते रहे हैं। गंगा के मैदानी इलाके में और इससे सटे हिस्से में उल्लूओं को पकड़ा जाता है।

Source : Dainik Jagran

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