बेतिया. बिहार के इकलौते वाल्मीकि टाईगर रिजर्व में फिर एक बाघिन की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई है. बाघों की गणना के दौरान कैमरा ट्रैप से की जा रही मॉनिटरिंग के साथ महज दो महीने में लगातार दो बाघों की मौत ने वन विभाग को सकते में डाल दिया है. बताया जा रहा है कि मंगुरहा वन क्षेत्र के मानपुर जंगल में चकरसन गांव के समीप बाघिन का शव बरामद किया गया है. बाघिन की मौत के बाद इलाके में सनसनी फैल गई है.

वाल्मीकि टाईगर रिज़र्व के चकरसन मानपुर के खेत में बाघिन का शव देख भगदड़ मच गई. सूचना मिलने पर ख़ुद VTR के निदेशक सह मुख्य वन संरक्षक हेमकांत राय पूरी टीम के साथ मौके पर पहुंचे औऱ बाघिन के शव को सुरक्षित पाए जाने की जानकारी देते हुए कहा है कि दो दिन पहले इसके मौत की संभावना है. मृत बाघिन के शरीर पर कोई भी जख्म या चोट का निशान फिलहाल नहीं दिख रहा है. बाघिन की उम्र क़रीब 10 साल के आसपास है जो दो बार बच्चा भी जन्मा चुकी है. बाघिन के सारे पार्ट्स सुरक्षित होने का दावा करते हुए उन्होंने इसकी सूचना एनटीसीए दिल्ली और रीजनल ऑफिस गुवहाटी को भी दे दिए जाने की जानकारी दी.

मिली जानकारी के अनुसार चक्रसन गांव के किसानों ने जंगल के समीप खेत में बाघ के शव को देखा तो उल्टे पांव भागकर गांव पहुंचे. वनरक्षी ने भी गांव में लौटकर ग्रामीणों को जंगल की ओर नहीं जाने की सूचना दी. वनरक्षी ने इसकी सूचना पुलिस औऱ वन विभाग के आला अधिकारियों को दी. मृत बाघिन के शव पड़े होने की जानकारी मानपुर पुलिस और वन विभाग को भी मिली. सूचना मिलते ही तत्काल रेंजर सुनील पाठक और मानपुर थानाध्यक्ष विकास तिवारी के अलावा वन विभाग के अधिकारियों का काफिला मौके पर पहुंचा. हालांकि घटना स्थल पर जहां बाघिन का शव पड़ा हुआ था उसके एक किलोमीटर के दायरे में जवान और अधिकारी किसी को आने जाने की इजाजत नहीं दे रहे थे.

जब जिला मुख्यालय बेतिया से CF हेमकांत राय और DFO अम्बरीष मल्ल दल बल के साथ मौके पर पहुंचे तो अधिकारी भी मृत बाघिन का शव देखकर दंग रह गए. बिहार के इकलौते वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व के मुख्य वन संरक्षक हेमकांत राय ने प्रथम नजरिये में इसके स्वाभाविक औऱ कुदरती मौत होने की जानकारी दी औऱ रविवार को उसके पोस्टमार्टम में वेसरा रिपोर्ट रिज़र्व कर देहरादून लैब भेजने की बात कही है.

बता दें कि देश भर में बिहार के इकलौते वाल्मीकी टाईगर रिज़र्व को ख़ास गौरव प्राप्त है, जहां बाघों के रख रखाव, अधिवास और हैबिटेट के कारण कुशल प्रशासक और बेहतर प्रबन्धन में इनकी संख्या 50 पार किये जाने की संभावना है लेकिन एक बार फिर 9 से 10 वर्ष आयु वाले बाघिन की मौत के बाद वन विभाग के व्यवस्था और कुशल प्रबंधन के दावों पर सवाल खड़े होने लगे हैं, जिसका ज़वाब फिलहाल किसी के पास नहीं.

Source : News18

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