बिहार जिले में लगातार बारिश होने के कारण मूर्तिकार काफी परेशान है। क्योंकि कुछ दिनों के बाद विश्वकर्मा पूजा,दुर्गापूजा और दीपावली का त्योहार आने वाला है और कुम्हार समाज की ओर से दीपावली में बिकने वाले सामान दीया, कलश, धूपदानी और परई का कच्चा माल बनकर लगभग तैयार है। लेकिन जबतक इसको आग की भट्ठी में पकाया नहीं जाएगा तब तक यह माल पूरी तरह से बेकार है। मुजफ्फरपुर के मालिघाट स्थित कुम्हारटोला में मिट्टी के बर्तन बनाने का काम लगभग दस घरों में होता है।

यही मिट्टी के बर्तन बनाकर यह थोक और फूटकर बाजार में बिक्री करते हैं। इसी से इन परिवारों का गुजारा बरसों से चल रहा है, लेकिन इस बार लगातार हो रही बारिश ने इन कुम्हारों के मनसूबे पर पानी फेर दिया है। यह लोग किसी तरह कच्चा माल तो तिरपाल के नीचे बनाकर रख लिए हैं लेकिन अब बारिश थमने का इंतजार कर रहे है। अब जबतक बारिश नहीं रुकेगी तब तक कच्चे माल को पकाया नहीं जा सकेगा। लेकिन दो महीने से जो बारिश शुरू हुई वह रुकने का नाम ही नहीं ले रही है। अब तो ऐसा लगता है कि यह बारिश दीपावली तक बराबर होती रहेगी।

जबकि मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए शहर से दूर देहात क्षेत्र की मिट्टी प्रयोग की जाती है। यह मिट्टी नदियों के किनारे से आती है जो अभी पुरि तरह से बाढ़ में डुबी हुई है। एक ट्राली मिट्टी का ट्रैक्टर मालिक एक हजार रुपये लेते हैं। उसमें भी कई बार मिट्टी में कंकड़-पत्थर आ जाता है। फिर उस मिट्टी को चलनी से चालकर इस्तेमाल किया जाता है, तब सही तरह से मिट्टी के बर्तन बनते हैं। पिछले साल कोरोना के कारण दुर्गा पूजा नहीं हुआ वहीं इस वर्ष बारिश ने कहर बरपाया है जिससे मां दुर्गा की प्रतिमा बनाने में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है । जैसे-तैसे सिर्फ आर्डर की प्रतिमाओं को ही बना पा रहे हैं और प्रतिमा नहीं बन पा रही है। इससे काम का नुकसान भी हो रहा है।

Source: Bharat Khabar

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