बिहार में शराबबंदी लागू रहेगी या हटा ली जाएगी इस पर मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समीक्षा बैठक करने वाले हैं. इस महत्वपूर्ण मीटिंग पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं. इस बैठक में क्या निर्णय लिया जाएगा यह तो बैठक के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा. लेकिन जो खबर आ रही है उसके मुताबिक शराबबंदी पर नीतीश सरकार और भी कड़े फैसले ले सकती है. कई लोगों पर जवाबदेही तय करने का फैसला भी होने वाला है. शराबबंदी कानून को लेकर पुलिस और उत्पाद विभाग की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं समझा जा रहा है कि इसे लेकर भी सख्ती दिखाई जा सकती है.
बिहार के पूर्व पुलिस महानिदेशक (DGP) सुरेश भारद्वाज ने बैठक के पहले कई सुझाव देते हुए कहा कि बिहार की सीमा दो देशों और दो राज्यों से लगी हुई है तो यह तो संभव नहीं है कि प्रदेश में शराब को पूरी तरह से आने से रोका जा सके. लेकिन इसके लिए उत्पाद विभाग और पुलिस की जवाबदेही और कड़ाई से तय करनी होगी. साथ ही एक सबसे बड़ा कदम उठाना होगा वो यह कि लोगों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक करना होगा, बिना इसके इस अभियान को सफल नहीं बनाया जा सकता है.
बिहार में शराबबंदी को सही तरीके से लागू करने की चुनौती
वहीं, राज्य के जाने माने उद्योगपति और पीएसडी चेंबर ऑफ कॉमर्स के प्रेसीडेंट सत्यजीत सिंह कहते हैं कि इस फैसले से बिहार को आर्थिक तौर पर घाटा तो हुआ है. लेकिन इससे जनता को बड़ा फायदा हुआ है. इस निर्णय में कुछ और पहलुओं को शामिल करना चाहिए ताकि इसकी आर्थिक क्षति को कम किया जा सके. इसके लिए जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ एक कमिटी बनाई जानी चाहिए जिसमें सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज हों, और जो इस कानून से जुड़े मामलों पर निगाह रखें तभी शराबबंदी कानून को और कड़ाई से पालन किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि बिहार में औद्योगिकीकरण को भी तेज करना होगा ताकि शराबबंदी के फैसले को ठीक और प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके.
वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की समीक्षा बैठक के पहले जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने नीतीश सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि पुलिस को और जवाबदेह बनाने की जरूरत है. साथ ही इस कानून को पालन करवाने की जवाबदेही सभी राजनीतिक पार्टियों की है.
Source : News18
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