पटना. बिहार में नक्सलियों और सवर्णों के बीच दशकों तक चले खूनी संघर्ष का साक्षी रहे रणवीर सेना (Ranveer Sena) के सुप्रीमो ब्रह्मेश्वर मुखिया की आज नौवीं बरसी है. रणवीर सेना सुप्रीमो रहे ब्रह्मेश्वर मुखिया (Brahmeshwar Mukhia Murder Case) की 1 जून 2012 को आरा में गोलियों से भून कर हत्या कर दी गई थी. बिहार के भोजपुर जिले के पवना थाना क्षेत्र के खोपीरा गांव निवासी ब्रह्मेश्वर मुखिया का घर आरा शहर में कतिरा-स्टेशन रोड में है. एक जून 2012 को रोज की तरह सुबह में मुखिया अपने आवास की गली में ही टहल रहे थे, इसी दौरान सुबह के करीब चार-साढ़े चार बजे उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई. आरा में हुई हत्या की इस वारदात के चंद घंटों बाद ही बिहार के हर इलाके से हिंसा और विरोध की खबरें आनी लगी थीं और देखते ही देखते आरा सहित कई शहर जलने लगे थे.

धधक उठा था बिहार

9 साल बाद भी भले इस मर्डर केस में हत्यारों का सुराग नहीं मिल सका हो लेकिन मुखिया हत्याकांड के बाद बिहार से लेकर दिल्ली तक की सियासत गरमा गई थी. मुखिया की हत्या के बाद आरा समेत पटना, औरंगाबाद, जहानाबाद एवं गया जिला समेत बिहार के अन्य जगहों पर उपद्रव हुआ था. आरा में तो उन्मादी भीड़ ने सरकारी तंत्र को खास तौर पर निशाने को लिया था. स्टेशन से लेकर सर्किट हाउस तक आग के हवाले कर दिए गए थे. हालात ऐसे थे कि आरा में भीड़ ने तत्कालीन डीजीपी अभयानंद पर भी हमला बोलने की कोशिश की थी और उनपर हाथ तक उठा दिया था. उस दिन आरा में लोगों के गुस्से का शिकार विधायक से लेकर पुलिस और मीडिया वाले तक बन रहे थे. मुखिया की हत्या के बाद देर शाम उनके शव का पोस्टमार्टम हुआ और अगले दिन यानी 2 जून को उनकी शव यात्रा निकली थी. पिता की हत्या के बाद उनके बेटे इंदुभूषण सिंह ने आरा के नवादा थाना में अज्ञात के विरुद्ध केस दर्ज कराया था, जिसके बाद बिहार सरकार ने पहले एसआइटी का गठन किया और सच सामने नहीं आने पर सीबीआई जांच का आदेश दिया था. इस हाईप्रोफाइल मर्डर केस में कई बड़े लोगों का नाम सामने आया. लेकिन अभी तक यही पता नहीं चला कि ब्रह्मेश्वर मुखिया पर गोली चलाने वाले हमलावर कौन थे.

ब्रह्मेश्वर मुखिया की हत्या के बाद तत्कालीन डीजीपी अभयानंद, सुनील पांडेय और शिवेश राम (फाइल फोटो)

कौन थे ब्रह्मेश्वर मुखियाब्रह्मेश्वर मुखिया बिहार में सवर्णों के प्रतिबंधित संगठन रणवीर सेना के सुप्रीमो थे. मुखिया पर 2012 तक 277 लोगों की हत्या और उनसे जुड़े 22 अलग-अलग मामलों में केस दर्ज थे. भोजपुर जिले के इस शख्स को 16 मामलों में उन्हें साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया था जबकि बाकी 6 मामलों में मुखिया को जमानत मिली थी. उनको 29 अगस्त 2002 को पटना के एक्जीबिशन रोड से पटना पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. गिरफ्तारी के बाद ब्रह्मेश्वर मुखिया ने 9 साल तक जेल की सजा काटी औक उसके बाद आठ जुलाई 2011 को उनकी रिहाई हुई. जेल से छूटने के बाद ब्रह्मेश्वर मुखिया आरा में ही ज्यादा रहते थे और कतिरा स्थित आवास के समीप ही उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

आरा ले लेकर पटना तक तांडव

2 जून की दोपहर को आरा से ब्रह्मेश्वर मुखिया का शव दाह संस्कार के लिए पटना निकला लेकिन मुखिया के समर्थकों के उत्पात का साक्षी पूरा पटना बना. आरा में तांडव मचाने वाली भीड़ ने पटना में भी यही रूख कायम रखा. भोजपुर की सीमा पार करते ही पटना से सटे बिहटा में बीजेपी के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष और सांसद सीपी ठाकुर और पूर्व विधायक रामाधार शर्मा पर हमला हुआई तो उसके बाद उसके बाद पटना के सगुना मोड़ से लेकर बांसघाट तक का इलाका मुखिया समर्थकों के तांडव को झेलता रहा. ऐसा लग रहा था मानो पूरी बिहार पुलिस उस वक्त बेबस हो चुकी थी.

सीबीआई लाचार

सीबीआई अभी भी बिहार के इस चर्चित मर्डर केस की जांच कर रही है लेकिन अभी तक किसी भी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है. सीबीआई ने साल 213 में इस केस की जांच शुरू की और कातिलों का सुराग पाने के लिए तीन-तीन बार 10 लाख रुपये इनाम देने की घोषणा भी की है, सात साल के अंदर लगातार छह बार इनाम के पोस्टर भी चस्पाए जा चुके हैं लेकिन देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी की उपलब्धि शून्य है. सीबीआई की इस जांच पर मुखिया के परिवार का भी आरोप है कि आज कातिल सलाखों के पीछे होने के बजाए आजाद घूम रहे हैं. ब्रह्मेश्व मुखिया के पुत्र इंदु भूषण सिंह ने अपने पिता की हत्या की जांच में अभी तक कोई निष्कर्ष नहीं निकलने पर नाराजगी जताई है. उनका कहना है कि इस केस में कई आईओ आए और बदल भी गए लेकिन, अभी तक स्थिति ज्यों की त्यों है.

Source : News18

Muzaffarpur Now – Bihar’s foremost media network, owned by Muzaffarpur Now Brandcom (OPC) PVT LTD

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *