नई दिल्ली. भारत में करीब दो महीने तक तबाही मचाने के बाद अब कोविड-19 (Covid-19) का डेल्टा वैरिएंट (Delta Variant) दुनियाभर में तेजी से फैल रहा है. ये वैरिएंट बेहद संक्रामक है और पहली बार भारत में बीते साल के आखिरी में मिला था. देश में कोरोना की दूसरी भयावह लहर का कारण भी इसे ही बताया जा रहा है. अब यूनाइटेड किंगडम में एकाएक बढ़े नए मामलों के पीछे भी यही वैरिएंट जिम्मेदार है.

यूरोपीयन सेंटर फॉर डिजीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल (ECDC) ने कहा है-नया डेल्टा वैरिएंट ज्यादा संक्रामक है. हमारा अनुमान है कि अगस्त महीने के आखिरी तक यूरोप में 90 फीसदी मामले इसी वैरिएंट से संबंधित होंगे. एजेंसी का अनुमान है कि डेल्टा वैरिएंट अपने पूर्ववर्ती अल्फा वैरिएंट से 40-60 गुना अधिक संक्रामक हो सकता है.

मेडिकल सिस्टम पर बोझ एक बार फिर बढ़ सकता है
यह चेतावनी भी दी गई है कि कोरोना के मामले बढ़ने के साथ अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या बढ़ सकती है. मेडिकल सिस्टम पर बोझ एक बार फिर बढ़ सकता है. साथ ही नए वैरिएंट के प्रभाव की वजह से मौतों का आंकड़ा भी बढ़ सकता है.

ब्रिटेन में नए मामलों में 96 प्रतिशत केस डेल्टा वैरिएंट के
बीते सप्ताह में ब्रिटेन में कोरोना के नए मामलों की संख्या 35 हजार से ज्यादा रही है. राज्य में लंबे समय बाद अनलॉकिंग की प्रक्रिया शुरू की गई है लेकिन अब एक बार फिर बढ़ते मामलों की वजह से लोग सहमे हुए हैं. वैक्सीनेशन की रफ्तार बढ़ाने पर फोकस किया जा रहा है. पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड के मुताबिक देश में कुल नए मामलों में 96 प्रतिशत केस डेल्टा वैरिएंट के हैं.

जर्मनी, रूस में भी हालात खराब
इसके अलावा जर्मनी में भी डेल्टा वैरिएंट की वजह से नए कोरोना मामलों की संख्या दोगुनी हो गई है. यहां तक कि जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने डेल्टा वैरिएंट की संक्रामकता को देखते हुए यूरोप को सतर्क होने की चेतावनी भी दे डाली है. रूस भी डेल्टा वैरिएंट की वजह से बढ़े मामलों से जूझ रहा है. बृहस्पतिवार को रूस में 20 हजार से ज्यादा नए मामले सामने आए हैं जो जनवरी के बाद सबसे बड़ा आंकड़ा है.

ऑस्ट्रेलिया और इजरायल में प्रभाव
सिर्फ यूरोपीय देशों में ही नहीं बल्कि इजरायल और ऑस्ट्रेलिया में भी डेल्टा वैरिएंट की वजह से केस बढ़ रहे हैं. इन देशों ने कोरोना को काफी हद तक काबू में कर लिया था. लेकिन अब प्रतिबंधों की शुरुआत फिर की गई है. सिडनी में लॉकडाउन वापस लौट आया है. इजरायल ने मास्क को लेकर नियमों में बदलाव किया है.

वैक्सीन के कारगर होने का किया जा रहा है दावा
हालांकि राहत की बात ये है कि अब तक हुई कई स्टडी में यह सामने आया है कि वैक्सीन डेल्टा वैरिएंट पर प्रभावी हैं. पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड द्वारा प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, फाइजर/बायोएनटेक और एस्ट्राजेनेका से टीकाकरण डेल्टा संस्करण के मामले में अस्पताल में भर्ती होने से रोकने में उतना ही प्रभावी है जितना कि अल्फा संस्करण के मामले में.

Source : News18

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