कटरा प्रखंड मुख्यालय में शक्तिपीठ माता चामुंडा का मंदिर अवस्थित है। यह भक्तों के लिए असीम श्रद्धा का केंद्र है। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति सच्चे मन से मां की आराधना करता है वह समस्त कष्टों से मुक्त हो जाता है। मां के दर्शन के लिए सालों भर भक्तों की भीड़ लगी रहती है। यहां सोम, बुध व शुक्रवार को पूजा करने से विशेष फल मिलता है। शारदीय नवरात्र के पर विशेष पूजा होती है। मंदिर की देखभाल बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड के संरक्षण में चामुंडा न्यास समिति करती है।

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इतिहास

चामुंडा स्थान अति प्राचीन काल से एक कीलानुमा गढ़ पर अवस्थित है। कहा जाता है कि यहां पर चंद्रवंशी राजाओं का किला था। त्रेता युग में देवताओं के आह्वान पर माता ने इसी स्थल पर चंड-मुंड राक्षस बंधुओं का संहार किया था। इसीलिए देवी चामुंडा नाम से विख्यात हुई। पहले यहां गह्वरनुमा मंदिर था। 1980 में तत्कालीन बीडीओ ब्रजनाथ सिंह को पुत्र रत्न प्राप्ति होने पर मंदिर निर्माण की आस्था जगी। इस पुनीत कार्य के लिए नैमिष पीठाधीश्वर स्वामी नारदानंद सरस्वती के शिष्य डा. शौनक ब्रह्मचारी के संरक्षण में समस्त क्षेत्रवासियों के जन सहयोग से भव्य मंदिर का निर्माण हुआ। इसके बाद से निरंतर मंदिर का विकास हुआ और मातारानी की ख्याति बढ़ती जा रही है।

विशेष आकर्षण

नवरात्र के अष्टमी की रात निशा पूजा तथा नवमी को ग्रामीण पूजा का विशेष महत्व होता है।

माता का स्वरूप ¨पडनुमा है जो जागृतवस्था में है। देवी वैष्णवी रूप में विराजमान हैं।

मान्यता है कि माता के शरण में आए असाध्य रोगी, नि:संतान, बाधा पीड़ित आदि मनवांछित फल पाते हैं।

माता की ख्याति सुन आशीर्वाद लेने 1992 में तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर राजकीय यात्र पर आए थे।

चामुंडा माता के दर्शन और मन्नतें मांगने के लिए दूर दूर से भक्त सालों भर आते हैं।

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कैसे पहुंचें : मुजफ्फरपुर जंक्शन से लगभग 30 किमी पूवरेत्तर भाग में कटरा गढ़ स्थित है। यहां माता का दरबार है। मंदिर के बगल से ही एनएच 527 सी गुजरती है।

शक्ति स्वरूपा मां का आशीर्वाद भक्तों पर कवच की तरह असर करती है। माता हर प्रकार के दु:खों का नाश करने वाली हैं। जो भक्त श्रद्धापूर्वक शरण में आते हैं माता उनका कल्याण अवश्य करती है।

पं. मुरारी झा, प्रधान पुजारी

चामुंडा माता की प्रतिदिन सुबह-शाम निष्ठापूर्वक आरती होती है। इसमें बडी संख्या में भक्तजन भाग लेते हैं। प्रतिदिन फूलमाला से मां का श्रृंगार किया जाता है।

पं कन्हाई झा, पुजारी

Source : Dainik Jagran

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