जिसने खुद मैट्रिक की परीक्षा पास नहीं की वह बच्चों को क्या शिक्षा देगी, यह सोचने वाली बात है, लेकिन जिले में ऐसे शिक्षकों की भी बहाली हो गई है और वे वर्षों से बच्चों को ज्ञान दान कर रहे हैं। ऐसी ही एक प्रखंड शिक्षिका का भंडाफोड़ निगरानी विभाग की जांच में हुआ है, जो खुद मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर पाई थी। बावजूद, सेंकेंड डिविजन के सर्टिफिकेट पर नौकरी कर रही थी। बात सामने आने के बाद बच्‍चों के साथ अभिभावक भी हैरान हैं।

2006 से बच्‍चों को पढ़ा रही थी मिडिल स्‍कूल में

नावानगर प्रखंड स्थित बासुदेवा मध्य विद्यालय में पदस्थापित प्रखंड शिक्षिका नीलम कुमारी, पिता रास बिहारी पांडेय का नियोजन वर्ष 2006 में हुआ था। निगरानी विभाग के पुलिस निरीक्षक ईश्वर प्रसाद ने थानाध्यक्ष नावानगर(बासुदेवा ओपी) को संंबंधित शिक्षिका एवं अन्य अज्ञात लोगों के विरुद्ध कई धाराओं के अंतर्गत प्राथमिकी दर्ज कर अनुसंधान करने का आग्रह किया है। निगरानी विभाग ने कहा है कि अन्य अज्ञात व्यक्तियों के साथ मिलीभगत कर फर्जी अंक पत्र एवं प्रमाण पत्र के आधार पर धोखाधड़ी से आपराधिक षडयंत्र के तहत नाजायज लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से अवैध रूप से नियोजन प्राप्त किया है, जो एक संज्ञेय अपराध है।निगरानी ने कहा है कि इस अवैध नियोजन में अन्य अज्ञात व्यक्तियों की संलिप्तता के संबंध में अनुसंधान की आवश्यकता है।

महेन्द्र सिंह के फेल सर्टिफिकेट पर नौकरी कर रही थी शिक्षिका

निगरानी विभाग ने प्राथमिकी के लिए दिए आवेदन में यह उल्लेख किया है कि प्रखंड शिक्षिका नीलम कुमारी ने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की ओर से जारी जो मैट्रिक का अंक प्रमाण पत्र दिया था, सत्यापन के दौरान पाया गया कि जिस रोल काेड एवं रोल नंबर पर उन्होंने प्राप्तांक 415 अंक दर्शाया है वह दूसरे व्यक्ति महेन्द्र सिंह, पिता रामराज सिंह का है। ले‍किन नीलम कुमारी ने 259 अंक प्राप्त किया है और वह मैट्रिक की परीक्षा फेल है।

Source : Dainik Jagran

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