मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल को अब सील मुक्त करने के लिए आवाज उठना शुरू हो गया। जिले के स्वयमसेवी संस्थाओं ने जिला प्रशासन से मांग की है। इसमे कहा है कि इसे अविलंब सील मुक्त किया जाए। अन्यथा स्वयंसेवी संस्था के सदस्य सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगे। रविवार को उत्तर बिहार वाणिज्य एवं उद्योग परिषद के सभागार में एक स्वतः स्फूर्त बैठक ‘सेवा संस्थाओं को बचाएं ’ का आयोजन किया गया। बैठक में स्वयं सेवी संस्थाओं से जुड़ें व्यक्ति शामिल हुए। इसमें महिला से जड़ी संस्थान के भी प्रतिनिधि शामिल हुए।

बैठक में एक स्वर से मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल को गरीबों के हित को देखते हुए खोलने की मांग प्रशासन से की गई। कुछ वक्ताओं ने एक कमेटी बनाकर जिला प्रशासन से मिलने का आग्रह भी किया। बैठक में नगर विधायक बिजेंद्र चौधरी और मेयर ने भी वक्ताओं के मांग को सही बताया और कहा कि वे उनके साथ है। उनके हर कदम पर उनका समर्थन मिलेगा। मेयर ने मानव श्रृंखला बनाकर जिला प्रशासन के फैसले का विरोध करने का आह्वान किया।

पीड़ित परिवार को मिले 10 लाख मुआवजा :

बैठक में उपस्थिति स्वयं सेवी संस्थानों के प्रतिनिधिको संबोधित करते हुए पूर्व उपमेयर सह भाजपा के वरीय नेता विवेक कुमार ने कहा कि कौन ऐसी सरकारी संस्थाएं है, जहां गड़बड़ियां नहीं हुई है। इसका मतलब यह नहीं हो कि, उसे सील कर दिया जाए। AES और कोरोना के दौरान सैकड़ों मौत के गवाह SKMCH व अन्य निजी अस्पताल को सरकार ने क्यों नहीं बंद कराया। जबकि, आई हॉस्पिटल में तो सिर्फ कुछ लोगों के एक आंख की रौशनी ही गई है। इनका इलाज भी हो रहा है। यह डॉक्टरों और अस्पताल प्रबंधन ने जान बूझकर नहीं किये है। उन्होंने जिला प्रशासन से अविलंब अस्पताल को सील मुक्त करने की मांग की है।

मरीजों ने नहीं पालन किया SOP :

आई हॉस्पिटल ट्रस्ट से जुड़ी उर्मिला बंका ने कहा कि अस्पताल में अबतक लाखों लोगों के आंख के ऑपरेशन हुए। लेकिन, गड़बड़ी नहीं आयी। इसबार भी अस्पताल की ओर से गड़बड़ियों नहीं हुई है। उन्होंने आशंका जताते हुए कहा कि मरीजों ने ही डॉक्टर द्वारा बताये SOP का पालन नहीं किया है। इस वजह से उनलोगों के आंखों में संक्रमण हुआ। जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय नारायण सिन्हा ने भी अपने विचार रखे।

बता दें कि 22 नवंबर को आई हॉस्पिटल में मोतियाबिंद का ऑपेरशन कराने वाले 16 मरीजों की आंखे निकालनी पड़ी। वहीं दो दर्जन लोगों की आंखों की रौशनी चली गयी थी। जिसके बाद जिला प्रशासन ने इसे सील कर दिया था।

Source : Dainik Bhaskar

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