पैतृक संपत्ति का उत्तराधिकारी तय करने में कोई प्राधिकार बेटा और बेटी में फर्क नहीं कर सकता, यह पूर्णत: असंवैधानिक है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल तथा न्यायमूर्ति एस कुमार की खंडपीठ ने कंचन प्रिया की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह बातें कहीं।

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कोर्ट का कहना था कि जब से हिन्दू उत्तराधिकार कानून की धारा 6 में संशोधन किया गया है तब से बेटा-बेटी में फर्क नहीं किया जा सकता। दोनों को पुश्तैनी संपत्ति में बराबर अधिकार है। कोर्ट का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट ने विनीता शर्मा बनाम राकेश शर्मा केस में हिन्दू बेटियों को बेटों के बराबर हमवारिस (कोपर्सनर) माना है।

गौरतलब है कि मुजफ्फरपुर में पेट्रोल पंप के लिए दिए गए आवेदन को इंडियन ऑयल ने इसलिए खारिज कर दिया था क्योंकि पंप के लिए निर्धारित ज़मीन पैतृक संपत्ति की थी और आवेदन बेटी की ओर से दिया गया था।

हाईकोर्ट ने कहा कि कानून में किए गए संशोधन तथा सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी कोई प्राधिकार पैतृक संपत्ति के उत्तराधिकार में बेटे व बेटियों के बीच कोई फर्क नहीं कर सकता। इंडियन ऑयल आवेदिका की निर्धारित ज़मीन में हिस्सेदारी के अभाव में आवेदन रद्द किये जाने के मामले पर बुधवार को सुनवाई करेगा।

Source : Hindustan

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