परिवहन विभाग में अनियमितता का नया मामला सामने आया है। 8000 से अधिक लोगों को ड्राइविंग लाइसेंस नहीं मिल पाया। इसकी वजह राेज जितने लाइसेंस बनते गए, उतने कार्ड की प्रिंटिंग ही नहीं हुई। इस कारण पेंडिंग केस बढ़ते गए। इसका खुलासा नव पदस्थापित डीटीओ लाल ज्योति नाथ शाहदेव के बैकलॉग खत्म करने काे लेकर शुरू की गई जांच से हुअा है। पता चला कि 2018 से 8000 से अधिक ड्राइविंग लाइसेंस के कार्ड कर्मियों ने प्रिंट ही नहीं किए। इससे आवेदकों काे कार्ड नहीं मिला। डीटीओ ने बताया कि 3 वर्षों में कर्मियों की लापरवाही से यह गड़बड़ी हुई। अब इसे सुधारा जा रहा है। डुप्लीकेट लाइसेंस बना आवेदक काे हाथोंहाथ दिया जा रहा है। ज्ञात हाे कि डीटीओ ऑफिस में प्रतिदिन 200 से 250 ड्राइविंग लाइसेंस प्रिंट होता है। कर्मियों को प्रतिदिन जितने कार्ड प्रिंट करने चाहिए, उतना नहीं किया। इससे हर दिन 40-50 कार्ड प्रिंटिंग पेंडिंग हाेती गई। अब तक 8000 से अधिक कार्ड पेंडिंग है। अब यदि उस तिथि के पेंडिंग कार्ड प्रिंट नहीं हाे सकते, क्‍योंकि उस दिन के सभी कार्ड प्रिंट करने हाेंगे। इसलिए अब आ  रहे लाभुक काे तत्काल दूसरा कार्ड बना कर दिया जा रहा है। हालांकि, उन्हें निर्धारित 480 रुपए का चालान जमा करना पड़ रहा है। डीटीओ ने बताया कि लापरवाह कर्मी की पहचान कर उस पर कार्रवाई की अनुशंसा की जाएगी।

यह है मामला

बता दें कि 30 हजार से अधिक कार्ड पोस्ट ऑफिस और डीटीओ ऑफिस की लापरवाही के कारण लोगों को नहीं मिल पाए हैं। इसके अलावा करीब 10 हजार लाइसेंस डीटीओ ऑफिस में ही रह गए, जो डिस्पैच ही नहीं किए गए। अब तीसरा मामला सामने आया है। इसमें कार्ड प्रिंट करने वाले कर्मी की लापरवाही से 8000 से अधिक कार्ड प्रिंट ही नहीं हुए।

Source : Dainik Bhaskar

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