बिहार की सियासत किसी भी वक्त नई करवट ले सकती है लालू यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव ने आज यानी शुक्रवार को हम पार्टी के नेता जीतनराम मांझी के घर पहुंचकर मुलाकात की. इस मुलाकात के दौरान तेजप्रताप ने लालू प्रसाद यादव से मांझी की बात करा दी. लालू यादव और जीतन राम मांझी की 12 मिनट की सियासी गुफ्तगू का मतलब क्‍या है हम आपको समझाते हैं.

tej pratap yadav meet jitan ram manjhi: lalu ke janmdin par bihar me siyasi halchal jitanram manjhi se mile tej pratap yadav » Press24 News English

बिहार के सियासी हलचल की क्रोनोलॉजी

जीतन मांझी और मुकेश साहनी के चार-चार विधायकों के कंधे पर नीतीश सरकार टिकी है. पहले जीतन राम मांझी और मुकेश साहनी की गुप्त बैठक होती है, फिर लगातार मांझी एनडीए खासकर बीजेपी के खिलाफ बयान देते हैं. लालू यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव जीतन राम मांझी को महागठबंधन में शामिल होने का न्योता देते हैं और फिर लालू का संदेशा लेकर तेजप्रताप यादव मांझी से मिलने पहुंच जाते हैं. तेजप्रताप यादव, मांझी की बात 12 मिनट तक अपने पिता लालू यादव से कराते हैं. अब ये 12 मिनट अगले 12 दिनों या 12 महीनो में क्या सियासत अपना रंग बदलेगी, लेकिन सवाल ये है कि लालू यादव ने मांझी से 12 मिनट तक क्या बात की? मांझी से सिर्फ जनमदिन की बधाई तो नहीं ही स्वीकार की होगी.

सूत्रों के मुताबिक, लालू यादव ने जीतन राम मांझी से पूछा, क्यों नाराज चल रहे हैं? मांझी जी, हम बोले थे ना कि नीतीश जी आपकी कद्र नहीं करेंगे. वो तो खुद ही भाजपा के जाल के फंस गए हैं. सूत्रों के मुताबिक, लालू यादव ने मांझी को महागठबंधन में आने का जबरदस्त ऑफर दिया है. मांझी को सरकार का नेतृत्व संभालने तक का ऑफर है और इसके लिए मुकेश साहनी को भी राजी करने का टास्क दिया है. जीतन राम मांझी और साहनी दोनों को आगामी एमएलसी के 24 सीटों पर होने वाले चुनाव में अच्छी संख्या में सीट देने का भी ऑफर दिया गया है. हालांकि लालू यादव से बातचीत के दौरान मांझी ने लालू और नीतीश को फिर से साथ आने का जिक्र किया.

हालांकि लालू प्रसाद यादव के लिए वगैर नीतीश के सरकार बनाना या बिगड़ना इतना आसान नहीं होगा. क्योंकि नीतीश कुमार ने दो-दो निर्दलीय एक बसपा और एक एलजेपी विधायक को अपने साथ ला चुके हैं. ऐसे में अगर मांझी-साहनी अपने आठ विधायकों को लेकर अलग होते हैं, तो उधर तैयारी ये भी की कुछ नाराज आरजेड़ी और कांग्रेस विधायकों को इस्तीफा दिलवाकर बहुमत का आंकड़ा कम किया जा सकता है.

बिहार में सियासी पलटी मारने में वैसे भी जीतनराम मांझी का कोई सानी नही है. पहले नीतीश के घर फिर लालू के दरवाजे फिर नीतीश के यहां घर वापसी और अब फिर लालू से 12 मिनट की आभासी मुलाकात अगले 12 दिन या 12 महीने इस पलटीमार राजनीति के लिये महत्वपूर्ण है.

Source : News18

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