कोरोना की दूसरी लहर ने लोगों को आर्थिक रूप तोड़ दिया है। असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले या खुद का छोटा-मोटा कारोबार करने वालों की आमदनी अचानक कम हो गई है। एक तरफ जहां हजारों लोगों की नौकरी चली गई या सैलरी कम हो गई है, वहीं बड़ी संख्या में कारोबार एवं उद्यम बंद हो गए हैं। कोरोना की पहली लहर के दौरान तो लोगों ने अपनी जमापूंजी से लॉकडाउन के दौरान किसी तरह काम चला लिया और बैंकों के किस्त भी दिए, लेकिन दूसरी लहर ने उनकी कमर आर्थिक रूप से पूरी तरह तोड़ दी। इसे सरकारी और निजी बैंकों की आंतरिक रिपोर्ट से सहज ही समझा जा सकता है।

इस रिपोर्ट के मुताबिक, लोन लेकर कारोबार कर रहे ज्यादातर छोटे उद्यमियों और होम लोन से घर खरीदने वाले कई लोगाें ने ईएमआई देना बंद कर दिया है। अप्रैल में 20 फीसदी खुदरा कर्जधारकों ने ईएमआई का भुगतान नहीं किया। वहीं, होम लोन में भी मासिक किस्त (ईएमआई) नहीं देने वालों की संख्या बढ़ी है। आद्री का सर्वे भी कुछ यही कह रहा : आद्री ने हाल में कोरोना के कारण काम-धंधा बंद होने और नौकरी जाने को लेकर एक सर्वे किया। इस सर्वे के अनुसार राज्य की 80 प्रतिशत खुदरा दुकानें कुछ समय के लिए बंद रहीं, जबकि 10 फीसदी दुकानें स्थायी रूप से बंद हो गईं। सर्वे में पता चला कि इन दुकानों में 30 फीसदी पूंजी की कमी के कारण, 26 फीसदी मांग में कमी के कारण और 25 फीसदी इनपुट कॉस्ट में बढ़ोतरी के कारण बंद हुईं।

9 हजार लोगों ने अप्रैल में होम लोन का ईएमआई नहीं भरा

बिहार में होम लोन लेकर घर या फ्लैट खरीदने वालों की संख्या 31 मार्च तक करीब डेढ़ लाख से अधिक थी। इसके लिए सरकारी और निजी बैंकों ने 17866 करोड़ का ऋण दिया। बैंकों ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में 8556 होम लोन धारी के एकाउंट को एनपीए घोषित कर दिया है। इनमें बैंकों के करीब 243 करोड़ की राशि फंसी है। वहीं कोरोना की दूसरी लहर के दौरान किश्त नहीं देने वालों की संख्या भी 9 हजार से अधिक है। जानकारों का कहना है कि तीन इंस्टालमेंट डेफर करने के बाद ही एकाउंट एनपीए होता है।

बैंकों के कई कर्मी भी संक्रमित हुए, इसका भी लोन पर असर पड़ा
90 दिनों तक ईएमआई नहीं देने पर कर्ज को एनपीए घोषित कर दिया जाता है। बैंकों की कर्ज वसूली पर इसलिए भी असर पड़ा है कि दूसरी लहर में कई बैंक कर्मी संक्रमित हो गए। लॉकडाउन से काम ठप रहा।

11 लाख उद्यमियों को 14689 करोड़ बैंकों ने दिया है ऋ ण
बिहार में ऋण देने के मामले में बैंकों के हाथ बंधे रहते हैं। यह राज्य की साख जमा अनुपात को देखने से ही स्पष्ट हो जाता है। बैंकों ने राज्य के 11 लाख छोटे उद्यमियों को 14689 करोड़ का ऋण दिया है।

बिहार में होम लोन का एनपीए 1.13% है

राष्ट्रीय स्तर पर जारी क्रेडिट इनफॉर्मेशन ब्यूरो की रिपोर्ट की अनुसार होम लोन सेगमेंट में कुल होम लोन का 2.49% एनपीए है, जबकि बिहार में होम लोन का कुल एनपीए राष्ट्रीय औसत से करीब 1.13% कम है। सबसे अधिक डिफॉल्ट के मामले 26 साल से कम उम्र वाले युवाओं में हैं।

किश्त आगे बढ़ाना बेहतर

ऋण लेकर काम करने वालों पर बोझ बढ़ता जा रहा है। ऋण के किश्त को कुछ दिनों के लिए बढ़ा देना ही बेहतर विकल्प है। केपीएस केसरी, पूर्व प्रेसिडेंट, बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन

Input: dainik bhaskar

Muzaffarpur Now – Bihar’s foremost media network, owned by Muzaffarpur Now Brandcom (OPC) PVT LTD

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *