बिहार की राजनीति में 90 के दशक में काफी ज्यादा बदलाव हो रहे थे. इस दौरान जहां राज्य में कई बड़े नेताओं का उदय हो रहा था, वहीं कुछ ने सिर्फ राजनीति की दुनिया में कदम ही रखा था. इसी कड़ी में एक नाम था बाहुबली नेता दिलीप सिंह का. दिलीप सिंह का नाम बिहार की राजनीति में अलग से लिया जाता है.

दिलीप सिंह: जिस मंत्री के लिए की बूथ कैप्चरिंग, उसे ही हराकर बने थे विधायक - Dilip Singh brother of anant singh political career bihar vidhan sabha chunav 2020 tstb - AajTak

कहा जाता है कि दिलीप सिंह को मंत्री कांग्रेस के श्याम सुंदर सिंह ‘धीरज’ की एक बात ऐसी लग गई थी कि उन्होंने राजनीति में अपनी पहचान बनाने की कसम खा ली थी. तो आइये जानते है वो किस्सा जिसने बिहार की राजनीति को दिलीप सिंह जैसा बाहुबली नेता दिया था.

कुछ इस तरह का रहा है इतिहास 

बिहार के बाढ़ में राजपूत और भूमिहार के बीच खूनी लड़ाई का एक इतिहास रहा है. यहीं के लदमा गांव में दिलीप सिंह का परिवार रहा करता था. उनके पिता एक किसान थे और वो कम्युनिस्टों के समर्थक भी थे. उनके चार बेटे थे-बिरंची सिंह, फाजो सिंह, दिलीप सिंह और अनंत सिंह. इसमें बिरंची सिंह और फाजो सिंह की बाद में हत्या कर दी गई थी.

Bihar Life story of Leader Dilip Singh to be a political leader | श्याम सुंदर सिंह 'धीरज की वो बात, जिसने बिहार को दिया बाहुबली दिलीप सिंह जैसा नेता | Hindi News, पटना

इसके बाद दिलीप सिंह ने अपना रूतबा बनाने की कोशिश करना शुरू कर दिया. उनके पास नदमा में कई घोड़े थे. ये घोड़े पाले और टमटम चलवाने के काम में आते थे. इसी काम की वजह से वो मध्य बिहार में एक तस्कर कामदेव सिंह के संपर्क में आए. इसी समय उन्होंने रंगदारी का काम शुरू कर दिया था. कुछ ही समय में उनका नाम नामी रंगदारों में होना लगा था.

इसी बीच कामदेव सिंह की हत्या कर दी जाती है. जिसके बाद दिलीप सिंह उन्ही की कुर्सी पर बैठ जाते हैं. उनके नाम की वजह से इलाके में उनका काफी ज्यादा दबदबा था. इसका फायदा कांग्रेस के श्याम सुंदर सिंह ‘धीरज’ ने उठाया. मोकामा में विधानसभा चुनाव जीतने के लिए उन्होंने दिलीप सिंह की काफी ज्यादा मदद ली थी.

वो 1980-1990 तक मोकामा से विधायक भी रहे थे. ये बिहार का वो दौर था, जहां बूथ लूट की घटनाएं आम बात थी. इन किस्सों को राज्य के बुजुर्ग आज भी सुनाते हैं. दिलीप सिंह भी श्याम सुंदर सिंह ‘धीरज’ के लिए यही काम करते थे.

वो ‘बात’ जिसने बदली दिलीप सिंह की दिशा 

इलाके के बुजुर्ग बताते हैं कि एक बार दिलीप सिंह श्याम सुंदर सिंह ‘धीरज’ से मिलने उनके पटना के सरकारी आवास में चले गए थे. इस पर उन्होंने दिलीप सिंह को साफ कह दिता था कि दिन के समय मिलने मत आया करो. तुम कोई शरीफ आदमी या अधिकारी तो हो नहीं. शाम होने के बाद आया करो और वो भी छुपकर.

ये बात दिलीप सिंह को चुभ गई. उन्हें समझ में आ गया था कि ताकत होने के बाद भी लोग उनकी इज्जत नहीं करते हैं. ऐसे में अपने सम्मान के लिए उन्होंने श्याम सुंदर सिंह ‘धीरज’ के खिलाफ ही 1990 के विधानसभा चुनावों में उतरने का फैसला किया. उन्हें जनता दल ने अपना उम्मीदवार बनाया था.

इस चुनाव में दिलीप सिंह को 52,455 वोट हासिल हुए थे जबकि श्याम सुंदर धीरज को सिर्फ 30,349 वोट ही मिले थे. इस जीत के बाद वो लालू प्रसाद यादव की सरकार में मंत्री भी बने थे. वहीं, 1995 के विधानसभा चुनावों में भी दिलीप सिंह ने जीत हासिल की थी. दिलीप सिंह को इस चुनाव में 38,464 वोट मिले थे जबकि श्याम सुंदर धीरज को केवल 31,517 वोट ही हासिल हुए थे.

Source : Zee News

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