जरूरी है कि अपने वाहन में पेट्रोल पंप पर पेट्रोल लेते समय सावधान रहें। हो सकता है कि आप जिसे पेट्रोल समझ रहे हो वह खालिस पानी हो। जिले में पेट्रोल पंप संचालकों की मनमानी का आलम यह है कि अब कई जगहों पर पेट्रोल के बदले पानी ही बेच दिया जा रहा है। आम ही नहीं वरन खास लोग भी पंप संचालकों की मनमानी का शिकार हो रहे हैं।
ताजा मामला सिकटा विधायक वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता से जुड़ा है, जो हाल ही में जिले के मेहसी स्थित एक पेट्रॉल पंप पर ठगी के शिकार हुए हैं। मिली जानकारी के अनुसार विधायक श्री गुप्ता ने मेहसी के मां ङ्क्षवध्यवासिनी पेट्रोल पंप से स्कार्पियो में 51 लीटर डीजल लिया। महज 500 मीटर आगे बढऩे के बाद ही वाहन बंद हो गया। जहां छानबीन में पता चला कि पंप पर डीजल के बदले वाहन में पानी डाल दिया गया था। मामले में विधायक श्री गुप्ता के शिकायत पर स्थानीय थाना में प्राथमिकी भी दर्ज की गई है। वे वीआईपी थे इसलिए फौरन कार्रवाई भी होगी, मगर आम लोगों की क्या स्थिति होगी इसका सहज अनुमान लगाया जा सकता है।
नहीं होती नियमित रूप से पेट्रोल टंकी की जांच, घटतौली से उपभोक्ता हलकान
एक ओर पेट्रोल डीजल की कीमत आसमान छू रही है। वहीं दूसरी ओर पेट्रोल पंपों पर नियमित जांच महज खानापूर्ति बनकर रह गई है। उपर से संचालक द्वारा की जा रही घटमापी वाहन चालकों को जले पर नमक छिड़कने के समान है। बताते चलें कि पेट्रोल की कीमत 100 के पार पहुंच चुका है और डीजल भी महज इससे सात रुपये के करीब कम है। यह वाहन चालकों के जेब पर भारी पड़ रहा है। वाहन चालकों की मानें तो प्रत्येक पंप पर निर्धारित मात्रा से कम ही पेट्रोल या डीजल दिया जाता है। कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां प्रति लीटर 25 एमएल से 100 एमएल तक कम तेल दिया जाता है।
किसी पेट्रोल पंप पर एक लीटर की जगह 900 मिलीलीटर तो कहीं 950 कहीं-कहीं 975 एमएल ही दिया जाता है। बोतल या डब्बा में तेल लेने आए ग्राहकों से जगह- जगह तू-तू ,मैं- मैं होते भी देखा जाता है। जानकारों की मानें तो पेट्रोल पंप पर मशीन में लगे मीटर में ही हेराफेरी का सिस्टम है और तेल देने के समय मशीन का मीटर पूरा एक लीटर दिखता है। लेकिन तेल उससे कम निकलता है। जानकारी के अनुसार प्रत्येक पेट्रोल पंप पर गुणवत्ता एवं मापी की जांच करने संबंधित टूल्स उपलब्ध रखना है। नियमानुसार किसी भी व्यक्ति को उक्त टूल्स के माध्यम से संतुष्ट भी करना है। लेकिन हकीकत में यहां के अधिकांश पेट्रोल पंपों पर इसकी व्यवस्था नही है या है भी तो संचालक उपभोक्ता पर अपना धौंस दिखाकर उन्हें वापस जाने को मजबूर कर देते हैं।
Source: Dainik Jagran
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