श्रावण मास का महीना शुरू हो चुका है. कल इस महीने का दूसरा सोमवार है. सावन सोमवार व्रत का विशेष महत्व माना जाता है. क्योंकि सावन और सोमवार दोनों ही भगवान शिव की पूजा के लिए खास होते है. मान्यताओं अनुसार सावन सोमवार व्रत रखने से व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. आइए जानते है इस व्रत की पूजा विधि, कथा, आरती और इसका महत्व….

सावन की दूसरी सोमवारी पर खास संयोग

सावन मास की दूसरी सोमवारी कृतिका नक्षत्र में प्रारंभ हो रही है और इस दिन कृष्‍ण पक्ष की नवमी तिथि है. इस दिन बेहद खास संयोग बन रहा है. सोमवार के देवता चंद्र, कृत्तिका नक्षत्र का स्वामी सूर्य व राशि शुक्र है और नवमी तिथि की देवी हैं माता दुर्गा. इस बार का सोमवार शिवजी के साथ माता पार्वती की पूजा के लिए भी महत्वपूर्ण है. इस दिन सूर्यपूजा का भी महत्व रहेगा.

सावन का महत्व

पौराणिक कथा के अनुसार, देवासुर संग्राम में समुद्र मंथन से निकले हलाहल विष को कैलाशपति भगवान शिव जी ने पी लिया था. विष के प्रभाव से उनका शरीर बहुत ही अधिक गर्म हो गया था, जिससे शिवजी को काफी परेशानी होने लगी थी. भगवान शिव को इस परेशानी से बाहर निकालने के लिए इंद्रदेव ने जमकर वर्षा की. यह घटनाक्रम सावन के महीने में हुआ था. इस प्रकार से शिव जी ने विषपान करके सृष्टि की रक्षा की थी. तभी से यह मान्यता है कि सावन के महीने में शिव जी अपने भक्तों का कष्ट अति शीघ्र दूर कर देते हैं.

Input: Prabhat Khabar

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